बुजुर्ग करेंगे सीनियर सिटीजन एक्ट का इस्तेमाल, नालायक बच्चे जाएंगे जेल ?

माता-पिता को सताना पड़ेगा भारी:बुजुर्ग करेंगे सीनियर सिटीजन एक्ट का इस्तेमाल, नालायक बच्चे जाएंगे जेल

बुजुर्ग माता-पिता अपनी संपत्ति वापस भी ले सकते हैं। उनके इस अधिकार को लेकर देश के दो हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है।

बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला: कोर्ट ने एक मामले में बेटे को मां का घर खाली करने का आदेश दिया। मां ने बेटे को फ्लैट गिफ्ट डीड के तौर पर दिया था। उसके बाद बेटे के हावभाव बदल गए। वह मां से बदसलूकी करने लगा। जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा और बेटे को मां की प्रॉपर्टी से बेदखल कर दिया गया।

मद्रास हाई कोर्ट का फैसलाकोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर माता-पिता को लगता है कि उन्‍हें बिना प्‍यार और सत्कार के रखा जा रहा है, तो वो एकतरफा तरीके से बच्‍चों के नाम की गई संपत्ति के विल को वापस ले सकते हैं।

कई बार ऐसी खबर आती हैं जिसमें माता-पिता की प्रॉपर्टी मिलने के बाद बच्चे उन्हें घर से निकाल देते हैं और मेंटेनेंस का पैसा भी नहीं देते।

माता-पिता के पास संपत्ति को लेकर क्या अधिकार हैं, संपत्ति वापस लेने की क्या प्रक्रिया है, मेंटेनेंस न मिलने पर कहां शिकायत कर सकते हैं।  …….आज इन सब पर बात करेंगे।

सवाल: पहले जानते हैं कि प्रॉपर्टी कितने तरह की होती है?
जवाब: 
प्रॉपर्टी दो तरह की होती है।

Movable Property (चल सम्पत्ति) – वह संपत्ति, जिसे हम एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकते हैं। जैसे- पैसा, जूलरी, बर्तन, घर का सामान। ऐसी प्रॉपर्टी को Movable Property कहते हैं।

Immovable property (अचल सम्पत्ति) – वह संपत्ति, जिसे हम एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले जा सकते हैं। जैसे- जमीन, घर, प्लाॅट। ऐसी प्रॉपर्टी को Immovable property कहते हैं।

सवाल: माता-पिता की प्रॉपर्टी पर किसका हक होता है?
जवाब:
 माता-पिता की प्रॉपर्टी पर उनके बच्चों का हक होता है।

सवाल: क्या माता-पिता बच्चों को दी हुई अपनी प्रॉपर्टी वापस भी ले सकते हैं?
जवाब: 
कानून ने माता-पिता को यह अधिकार दिया है कि अगर उनका बच्चा उनकी देखभाल नहीं करता या फिर उन्हें सताता है, तो वो उन्हें दी हुई प्रॉपर्टी वापस ले सकते हैं। भारत के कानून में इसके लिए सीनियर सिटीजन एक्ट भी है।

सवाल: सीनियर सिटीजन एक्ट क्या है?
जवाब:
 सीनियर सिटीजन के संरक्षण के लिए यह एक्ट 2007 लागू किया गया था।

इस एक्ट के तहत बुजुर्गों को फाइनेंशियल सिक्योरिटी, मेडिकल सिक्योरिटी, मेंटेनेंस (जिंदगी जीने के लिए खर्च) और प्रोटेक्शन मिलने का अधिकार है।

आमतौर से बुजुर्ग अपनी प्रॉपर्टी बच्चों को ट्रांसफर कर देते हैं। इसके बाद बच्चे उनकी देखभाल नहीं करते।

इस सिचुएशन में बुजुर्ग सीनियर सिटीजन एक्ट की मदद ले सकते हैं। अगर कोई सीनियर सिटीजन जो भारत का नागरिक है लेकिन देश के बाहर रहता है वह भी इस एक्ट का इस्तेमाल कर सकता है।

शांति और डिग्निटी के साथ बुढ़ापे में बुजुर्ग जी सकें, इसका अधिकार संविधान के आर्टिकल 41 और 46 में भी दिया गया है।

सवाल: सीनियर सिटीजन की कैटेगरी में कौन लोग आते हैं?
जवाब:
 जिन लोगों की उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है, वे सीनियर सिटीजन की कैटेगरी में आते हैं।

सवाल: अगर कोई जबरदस्ती या इमोशनली माता-पिता से प्रॉपर्टी अपने नाम करवाना कोई चाहें, तब बुजुर्गों के पास क्या ऑप्शन है?
जवाब:
 बुजुर्ग माता-पिता से जबरन प्रॉपर्टी अपने नाम लिखवाना अपराध है। इसकी शिकायत दो तरीके से कर सकते हैं…

पुलिस में शिकायत: उस बेटे या बेटी के खिलाफ इंडियन पीनल कोड की धारा 350, 379 , 506 के तहत आपराधिक मामला दर्ज होगा।

वेलफेयर ट्रिब्यूनल: ऐसे मामलों की शिकायत के लिए हर राज्य में स्पेशल ट्रिब्यूनल होता है। जो सब-डिविजनल अधिकारी यानी SDO की रैंक के ऑफिसर की निगरानी में काम करता है।

वे SDO को लिखित में शिकायत कर सकते हैं। शिकायत लिखते वक्त अपना नाम, पता और दूसरे जरूरी जानकारी साफ-साफ लिखनी होगी। शिकायत की सुनवाई के दौरान उस बुजुर्ग के बच्चों को बुलाया जाएगा।

सवाल: अगर किसी बच्चे ने अपने बुजुर्ग माता-पिता को डरा-धमकाकर प्रॉपर्टी अपने नाम कर ली है, तब उनके पास क्या ऑप्शन है?
जवाब:
 अगर ऐसा करने में बेटा या बेटी सफल हो चुके हैं और इसके बाद उनकी देखभाल भी नहीं कर रहे, उन्हें घर से निकाल दिया है, खाना नहीं देते तब भी वेलफेयर ट्रिब्यूनल सीनियर सिटीजन की मदद करेगा।

वो उस प्रॉपर्टी के ट्रांसफर को शून्य घोषित कर देता है और बच्चों को प्रॉपर्टी से निकल जाने के निर्देश देता है।

सवाल: संपत्ति विवाद और मारपीट को लेकर बुजुर्गों के क्या अधिकार हैं?
जवाब:
 अगल-अलग सिचुएशन के हिसाब से नियम बनाए गए हैं। आमतौर पर संपत्ति विवाद और मारपीट को लेकर बुजुर्गों के भी वही राइट होते हैं जो एक आम इंसान के होते हैं।

अगर मामला मारपीट का है तो ऐसी स्थिति में वेलफेयर ट्रिब्यूनल में जाकर वो अपने बच्चों के खिलाफ आदेश ला सकते हैं। जिसमें माता-पिता को परेशान न करने, उनकी प्रॉपर्टी से दूर रहने, उन्हें टॉर्चर न करने और उन्हें गुजारा भत्ता देने का आदेश होता है।

सवाल: बुजुर्गों को मेंटेनेंस के तौर पर ज्यादा से ज्यादा कितने पैसे मिल सकते हैं?
जवाब:
 ट्रिब्यूनल ये तय कर सकती है कि बुजुर्गों को कितना पैसा मेंटेनेंस के तौर पर उनके बच्चे या रिश्तेदार देंगे। आमतौर पर अधिकतम दस हजार तक देने का प्रावधान है।

सवाल: अगर कोई बुजुर्ग माता-पिता से झगड़ता है तब वह इसकी शिकायत कहां कर सकते है?
जवाब:
 बच्चे अपने माता-पिता से झगड़ा करता है तो इसे इग्नोर करना भारी पड़ सकता है। इसलिए बिना देर किए पुलिस में शिकायत की जानी चाहिए। अगर शराब के नशे में हाथापाई हो रही है तो पुलिस थाने भी ले जा सकती है। जब तक नशा नहीं उतरेगा उस व्यक्ति को पुलिस थाने में ही रखती है। उसे SDM के पास से जमानत लेनी होगी। ऐसे केस में 151 आईपीसी के तहत मामला दर्ज होता है।

सवाल: बुजुर्ग के साथ मारपीट करने और डराने-धमकाने पर सजा मिलने का क्या प्रावधान है?
जवाब:
 1 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। कानून में इसके तहत कई नियम और धाराएं हैं। इसे नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं।

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