महिला आरक्षण पर दूर करें अपना कन्फ्यूजन ?

महिला आरक्षण पर दूर करें अपना कन्फ्यूजन, आसान शब्दों में जानें हर सवाल का जवाब
महिला आरक्षण बिल मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया. ये विधेयक 27 साल से संसद से पास होने का इंतजार कर रहा है. साल 1996 में पहली बार इसे लोकसभा में पेश किया गया था. वाजपेयी सरकार और मनमोहन सरकार में भी इसे पेश किया गया था लेकिन पास कभी भी नहीं हो पाया.
महिला आरक्षण पर दूर करें अपना कन्फ्यूजन, आसान शब्दों में जानें हर सवाल का जवाब

महिला आरक्षण बिल

महिला आरक्षण बिल (नारीशक्ति वंदन विधेयक) आखिरकार मंगलवार को लोकसभा में पेश हो गया. कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने विधेयक को पेश किया. बुधवार को लोकसभा में बिल पर चर्चा होगी. संसद से पास होने के बाद ये कानून बन जाएगा. महिला आरक्षण बिल एक ऐसा विधेयक रहा है जो लंबे समय से संसद से पास होने का इंतजार कर रहा है. साल 1996 में देवगौड़ा सरकार में इसे लोकसभा में पेश किया गया था. उसके बाद वाजपेयी सरकार और मनमोहन सरकार ने भी बिल को पेश किया, लेकिन ये कभी भी संसद से पास नहीं हो पाया. इस बार बिल के आसानी से संसद से पारित होने की उम्मीद है और इसके साथ ही 27 साल का लंबा इंतजार भी खत्म हो जाएगा.

अर्जुन मेघवाल ने कहा, लोकसभा में SC/ST में जो प्रावधान है, उसी में हम 33 फीसदी महिलाओं के आरक्षण से संबधित बिल पेश कर रहे हैं. 33 फीसदी सीटें लोकसभा, विधानसभा और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए रिजर्व होगी. महिला आरक्षण की अवधि 15 साल होगी. अगर इसे बढ़ाना है तो यह सदन के द्वारा बढ़ाया जा सकता है. लोकसभा में 543 सीटें हैं. कानून बनने के बाद महिलाओं की संख्या 181 हो जाएगी.

बिल से जुड़ी हर जानकारी…
  • क्या है बिल का नाम- महिला शक्ति वंदन अधिनियम
  • कितना आरक्षण मिलेगा- 33%
  • किसको आरक्षण- सभी जाति, वर्ग और धर्म की महिला
  • कहां लागू- लोकसभा, विधानसभा और दिल्ली
  • कब से लागू- तारीख तय नहीं, लेकिन ये परिसिमन के बाद ही लागू होगा.
  • कानून कैसे बनेगा- लोकसभा, राज्यसभा से पास होने के बाद. राष्ट्रपति की मंजूरी और गजट में प्रकाशन के बाद.
  • कब तक आरक्षण- 15 साल
  • 15 साल बाद क्या- संसद की समीक्षा के बाद भविष्य तय होगा
  • SC & ST महिलाओं के लिए क्या- SC & ST कोटे के भीतर आरक्षण
  • कोटा के भीतर कोटा में OBC को शामिल किया- कोटा के अंदर कोटा की श्रेणी में OBC नहीं
  • सामान्य सीटों पर क्या- कोई भी चुनाव लड़ सकता है
  • राज्यसभा में क्या होगा- राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषद में महिला आरक्षण नहीं
  • क्या महिला आरक्षण बिल पास कराने के लिए किसी तरह का संविधान संशोधन भी करना होगा- हां, 128वां संविधान संशोधन करना होगा

181 महिला सांसद का दावा किया गया उसमें सामान्य और आरक्षित का कोटा कैसे तय होगा? 

यहां 181 की संख्या उदाहरण के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. हकीकत में परिसीमन के बाद असल नंबर तय होगा.

कांग्रेस के महिला आरक्षण कानून को लागू क्यों नहीं किया गया, नया कानून क्यों लाए? 

कांग्रेस द्वारा लाया गया बिल 2014 में ही लेप्स हो गया था इसलिए नया बिल लाया गया

क्या सरकार संसद की सीट बढ़ा कर महिला आरक्षण को बैलेंस करने पर विचार कर रही है?

 हां परिसीमन के बाद बढ़े हुए सीटों के आधार पर महिला आरक्षण लागू होगा, लिहाजा मौजूदा पुरुषों की भागीदारी वाली सीटों पर बहुत कुछ असर नहीं होगा.

बिल का इतिहास
  • 27 साल पुराना है महिला आरक्षण बिल
  • 12 सितंबर 1996 को पहली बार सदन में पेश
  • तब केंद्र में एचडी देवगौड़ा की सरकार थी
  • कुछ दलों के विरोध की वजह से पास नहीं हुआ
  • इसके बाद संसद में 6 बार और ये बिल आया
  • NDA सरकार में- 4 बार, UPA के दौरान- 2 बार
  • मोदी सरकार में पहली बार बिल लाया गया
  • 8वीं बार बिल पेश हुआ

स्वतंत्रता से पहले पहली बार सरोजिनी नायडु ने महिला आरक्षण का विचार रखा था. तब महिलाएं स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही थीं. 1931 में सरोजिनी नायडू ने ब्रिटिश पीएम को पत्र लिखा. पत्र में महिलाओं को राजनीतिक अधिकार देने की बात कही. सरोजिनी नायडु महिलाओं को मनोनीत करने के खिलाफ थीं. उनका मानना था कि महिलाओं का मनोनयन उनका अपमान है. वह चाहती थीं कि महिलाएं लोकतांत्रिक तरीके से चुनी जाएं. इसके बाद ही महिलाओं के आरक्षण की बात होने लगी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *