आखिर किसके भरोसे पढ़ें नौनिहाल ?

आखिर किसके भरोसे पढ़ें नौनिहाल ?

सरकारी स्कूल बदहाल: प्रदेश के 7793 स्कूलों में एक तो 2621 में एक भी शिक्षक नहीं …

सरकारी दावा: 50 हजार शिक्षकों की हो चुकी भर्ती; हकीकत: स्कूलों में पढ़ाई भगवान भरोसे

सिंगरौली जिले के 244 सरकारी स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं

भोपाल. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की बड़ी चुनौती है। यहां 7793 स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक हैं। वहीं 2621 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं। यहां सीएम राइज स्कूल, मॉडल स्कूल, एक्सीलेंस स्कूल, एजुकेशन फॉर ऑल जैसे उत्कृष्टता के प्रयोग भी कमतर साबित हो रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बच्चे किसके भरोसे स्कूल जाएं। अगर ये स्कूल जाते भी हैं तो इन्हें पढ़ाएगा कौन?

यह स्थिति भी तब है, जब सरकारी दावों के हिसाब से 50 हजार शिक्षकों की भर्ती हो चुकी है। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या के हिसाब से भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर सहित अन्य बड़े शहरों की स्थिति खराब है। सबसे खराब स्थिति सिंगरौली जिले की है। यहां बिना शिक्षक और एक शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या सबसे ज्यादा है। इस हिसाब से छतरपुर जिले की स्थिति भी काफी दयनीय है।

स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं भी लचर

संभागवार स्कूलों की संख्या

एक शिक्षक वाले स्कूल

1431

1091

837

शून्य शिक्षक वाले स्कूल

774

710

421

537

257

310

336

140

135

106

भोपाल ग्वालियर इंदौर जबलपुर सागर उज्जैन नर्मदापुरम

विंध्य क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों का है ज्यादा टोटा

47 जिलों के 7793 स्कूलों में एक-एक शिक्षक हैं। सबसे खराब हालत वाले 10 जिलों में सिंगरौली शीर्ष पर है। यहां 552 स्कूलों में शिक्षकों की संख्या एक है। यही नहीं, छतरपुर के 414 स्कूल, सागर के 404, सतना के 381, रीवा के 379, विदिशा के 290, सीधी के 285, कटनी के 262, टीकमगढ़ के 260 व देवास के 259 स्कूलों में एक-एक शिक्षक हैं।

पढ़ाई की जगह सिर्फ ‘खेल’

स्कूलों में बच्चों को खेल सिखाना अच्छी बात है, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। भेड़ा गांव के इस स्कूल में बच्चे इसलिए खेल रहे हैं, क्योंकि यहां शिक्षक नहीं हैं। स्कूल सिर्फ दो अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहा है।

स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं भी लचर

…..ताल में सामने आया कि सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं भी लचर हैं। स्कूलों में जर्जर कक्षा के साथ शुद्ध पेयजल, सुविधाघर और बैठक व्यवस्था के लिए कुर्सी, टेबल, बेंच का भी अभाव है। स्कूलों की जमीन पर अतिक्रमण जैसी कई समस्याओं से भी बच्चे परेशान होते हैं। इसके अलावा एक बड़ी समस्या शिक्षकों की उपलब्धता को लेकर है।

स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं भी लचर

स्कूल शिक्षा विभाग के मध्यप्रदेश राज्य शिक्षा पोर्टल 2.0 के अनुसार, प्रदेश के 47 जिलों के 2621 स्कूलों में शिक्षकों की संख्या शून्य है। इस मामले में सिंगरौली सबसे ऊपर है। यहां के 244 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं। इसके बाद शिवपुरी के 260 स्कूल, छतरपुर के 169, सागर के 124 और विदिशा के 116 स्कूलों में शिक्षकों की संख्या शून्य है। इसके बाद देवास के 104, सीधी के 98, रीवा के 97, खंडवा के 90 और पन्ना के 89 स्कूल शिक्षक विहीन हैं। यहीं नहीं, भोपाल जिले के 09, इंदौर के 11, जबलपुर के 15, ग्वालियर के 23 और उज्जैन के 68 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं।

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