भ्रष्टाचार रोकना है तो बॉडी वार्न कैमरे का उपयोग जरूरी !
भ्रष्टाचार रोकना है तो बॉडी वार्न कैमरे का उपयोग जरूरी
थानों में लगे सीसीटीवी कैमरों से पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार हुआ है। मुल्जिम को पीटा तो चीखें दूर तक सुनाई देंगी का डर है।
जी एसटी के छापे में प्रदेश में बॉडी वार्न कैमरे से लैस होगी। यह खबर छोटी है, लेकिन बहुत बड़े असर और व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली है। दरअसल, गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) डिपार्टमेंट ने टैक्स चोरों के यहां छापा मारने के दौरान लगने वाले आरोपों से बचने के लिए यह पहल की है। व्यापारियों की शिकायतें रहती हैं कि छापेमारी के दौरान कर्मचारी दुर्व्यहार करते हैं। अब वार्न कैमरे में हर गतिविधि कैद होगी। भोपाल में बैठे अफसर जिले के किसी भी कोने की छापेमारी कार्रवाई को देख सकेंगे। हवाई अड्डों पर सीमा शुल्क अधिकारियों के बढ़ते भ्रष्टाचार और रेलवे में टीटीई की अवैध वसूली पर अंकुश के लिए यह व्यवस्था लागू है। ऐसे में राज्य सरकार के इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फरमान के बाद भोपाल पुलिस ने भी इसी तर्ज पर थानों में सीसीटीवी लगवाए हैं। मुल्जिम को पीटा तो चीखें दूर तक सुनाई देंगी। आवाज भी रिकॉर्ड होगी। इस डर से अब थानों की कार्यप्रणाली सुधरी है। थानों में अब नो योर केस स्कीम लागू करने की मांग उठ रही है, ताकि, शिकायतकर्ता को किसी आपराधिक या अन्य मामलों में दर्ज केस प्रगति व स्थिति पता चल सके। पब्लिक से जुड़े जितने भी विभाग हैं, वहां बॉडी वार्न कैमरे, सीसीटीवी और मामले की प्रगति को जानने की व्यवस्था होनी ही चाहिए। आरटीआई एक्ट के बाद अब पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर रोक के लिए यह पहल जरूरी है। तहसीलों और कोर्ट-कचहरियों में तो आंकठ भ्रष्टाचार है। परिवहन, पासपोर्ट और जिला प्रशासन से जुड़े कार्यालयों में भी भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हैं। यहां कभी मेज के नीचे रिश्वतखोरी हुआ करती थी। अब तो सरेआम मुठ्ठियां गर्म की जाती हैं। कहीं कोई रोक-टोक और नियंत्रण नहीं है। शायद यही वजह है कि कई राज्य सरकारों ने परिवहन और पुलिसकर्मियों पर नजर रखने के लिए तीसरी नजर की अनिवार्यता लागू की है। प्रदेश में भी अब इसकी जरूरत महसूस की जाने लगी है। यहां जनता से जुड़े विभागों में सिटीजन चार्टर व्यवस्था लागू है। सभी कार्यों को तय समय सीमा में करने के निर्देश हैं। लेकिन, नियत तिथि तक उंगलियों में गिने जाने वाले ही काम होते हैं। इसलिए जरूरी है कि पारदर्शिता के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल को बढ़ावा मिले, ताकि जनता के काम ईमानदारी से होते रहें।