सिस्टम में लीकेज रोकने के लिए एक ही ईमानदार व्यक्ति काफी है !

सिस्टम में लीकेज रोकने के लिए एक ही ईमानदार व्यक्ति काफी है

यह प्रमाण पत्र जारी करने से पहले पंजीयन सम्बंधी दस्तावेजों के प्रभारी लिपिक को विगत कुछ वर्षों के रिकॉर्ड देखना होते थे। इसमें दो से तीन दिन बीत जाते। प्रमाण पत्र की अर्जी देने वाले पक्ष को इसकी प्रतीक्षा करना होती थी। अगर अर्जी देने के तुरंत बाद प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता तो विभाग के सालाना ऑडिट के दौरान ऑडिटिंग टीम इसे एक गड़बड़ समझती और इसके लिए लिपिक को जिम्मेदार ठहराती।

सम्पत्तियों के हस्तांतरण के मामलों से जुड़े प्रभावी लोग अज्ञात कारणों से उपपंजीयक से अनुरोध करते कि प्रमाण पत्र तुरंत ही बना दें। लेकिन 1920 के दशक में मेरे नाना दिवंगत एस. जगदीशन अडिग रहते। प्रभावी लोगों की इच्छा पूरी नहीं कर पाने पर उपपंजीयक नाराज हो सकते थे, जो कि उन्हें रिश्वत देने को भी तैयार थे। लेकिन जगदीशन ने कभी भी अनुचित तरीके से प्राप्त धनराशि में रुचि नहीं दिखाई।

उनके लिए अनैतिक तौर-तरीकों से कोई भी काम करना पूर्णतया निषिद्ध था। उन्होंने अपनी इस ईमानदारी की यह कीमत चुकाई कि वे एक लिपिक की तरह ही सेवानिवृत्त हुए, क्योंकि उपपंजीयक कभी उनकी सराहना करने वाली रिपोर्ट नहीं तैयार करते थे! लेकिन ऑडिटर की नजर में उनका विभाग साफ-सुथरा बना रहा और उसे कभी कोई ऑब्जर्वेशन रिपोर्ट नहीं मिली।

मुझे अपने नाना की यह कहानी तब याद हो आई, जब मुझे पता चला कि यूपी के मैनपुरी जिले के औगोंठा में ओम प्रकाश शाक्य नामक पोस्ट मास्टर ने स्थानीय रहवासियों के चार करोड़ रुपयों का गबन कर दिया। अब वह फरार है और पुलिस उसका पीछा कर रही है।

हमारे देश में केवल एक लाख 55 हजार डाकघर हैं, जो साढ़े छह लाख गांवों, 5,730 कस्बों और छह मेट्रो शहरों का कामकाज सम्भालते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित हर डाकघर के अंतर्गत अनेक गांव होते हैं और उपरोक्त डाकघर के तहत भी जिले के 16 गांवों की जिम्मेदारी थी।

डाक विभाग ने अंदरूनी जांच का आदेश दे दिया है और शाक्य के मातहत चार और कर्मचारियों को उनकी ‘लापरवाही’ के लिए निलंबित कर दिया है। इस घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब अनेक ग्रामीण डाकघर में अपनी बचतें निकलवाने गए और उन्हें बताया गया कि उनके खातों में कोई पैसा नहीं है। उनकी शिकायतों के आधार पर पुलिस ने पोस्ट मास्टर पर आईपीसी की दफा 409 (लोकसेवक द्वारा विश्वास का आपराधिक उल्लंघन), 420 (धोखाधड़ी) और 120-B (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।

पोस्ट मास्टर की फरारी और चार कर्मचारियों का निलंबन दर्ज कराई गई शिकायतों का परिणाम थे। अनेक ग्रामीणों के पास एफडी के दस्तावेज तो थे, लेकिन डाकघर में कोई रिकॉर्ड्स नहीं थे। ग्रामीणों ने अब तक कम से कम 70 खाताधारकों के विवरण संकलित कर लिए हैं और वे दूसरों से भी डाकघर जाकर अपनी बचतों की जानकारी लेकर उन्हें सूचित करने को कह रहे हैं। अगर इस डाकघर में जगदीशन जैसे एक भी व्यक्ति होते तो गरीबों की जीवन भर की पूंजी यूं लुट न जाती।

 अगर आप सच में गरीबों के लिए भ्रष्टाचार-मुक्त सेवाएं चाहते हैं तो कम से कम एक व्यक्ति ऐसा चुनें, जिनके मन में सेवा की विशुद्ध भावना हो और जिनके नैतिक मूल्य बहुत मजबूत हों।

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