कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच क्यों नहीं हो पाया सीटों पर समझौता?
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच क्यों नहीं हो पाया सीटों पर समझौता?
उम्मीद की जा रही थी कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस सपा के साथ गठबंधन कर सकती है. लेकिन, दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की उम्मीदें कांग्रेस की लिस्ट आते ही खत्म हो गई.
ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि प्रदेश में कांग्रेस सपा के साथ गठबंधन कर सकती है. लेकिन, मध्यप्रदेश में दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की उम्मीदें कांग्रेस की लिस्ट आते ही खत्म हो गईं.
दरअसल कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में उन सात सीटों में से चार पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी, जहां अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी पहले ही लिस्ट में उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. सपा ने आज फिर नौ और उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है.
इन सीटों पर किया गया उम्मीदवारों का ऐलान
अब दोनों पार्टियों की लिस्ट देखकर तो साफ है कि आम चुनाव के लिए बन रहे 28 विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA के दो महत्वपूर्ण घटक कांग्रेस और सपा फिलहाल एमपी के विधानसभा चुनाव में आमने-सामने आ गए हैं. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने जिन चार विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है, वे सीट हैं चितरंगी, मेहगांव, भांडेर और राजनगर. पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस को इन चारों सीटों में से सिर्फ चितरंगी में हार का सामना करना पड़ा था, चितरंगी को छोड़कर अन्य तीनों सीटों पर कांग्रेस को ही जीत मिली थी.
भांडेर: इस विधानसभा सीट पर साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 40 हजार वोट से जीत दर्ज किया था, लेकिन दलबदलने के बाद हुए उपचुनाव में इसी सीट को कांग्रेस ने सिर्फ 161 वोटों से गंवा दिया था,
राजनगर: इस सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लगातार तीसरी बार जीतने में कामयाब हुई थी, हालांकि, समाजवागी पार्टी के समर्थन भी इस क्षेत्र में कम नहीं हैं. पिछली विधानसभा चुनाव में सपा को इस सीट से 23 हजार से ज्यादा वोट मिले थे.
4 सीटों पर अगले लिस्ट में उम्मीदवार उतार सकती है कांग्रेस
हालांकि समाजवादी पार्टी की तरफ से घोषित चार अन्य सीटों पर अभी कांग्रेस ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. लेकिन कांग्रेस सूत्रों की मानें तो इन सीटों पर दो से तीन उम्मीदवारों के बीच जोर आजमाइश चल रही है. अगली लिस्ट में इन पर उम्मीदवारों के नाम भी तय कर लिए जाएंगे.
क्यों नहीं हो पाया समझौता
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश के समाजवादी पार्टी चीफ रामायण सिंह पटेल ने कांग्रेस के साथ सपा के गठबंधन पर कहा, ‘कांग्रेस की लिस्ट के साथ दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की सभी संभावनाएं खत्म हो गई हैं.’
रामायण सिंह पटेल ने आगे कहा, ‘ये सच है कि हमारी कांग्रेस नेतृत्व से थोड़ी बहुत बात हुई थी, लेकिन ये सब रविवार को लिस्ट जारी करते ही खत्म हो गया. हम सीटों पर खुद ही मुकाबला करेंगे और अगले साल चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे.
इंडियन एक्सप्रेस की इसी रिपोर्ट के अनुसार अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले एक वरिष्ठ नेता ने भी कांग्रेस को लेकर अपनी नाराजगी जताई है. सपा नेता ने कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस चाहती ही नहीं की बीजेपी हारे. उन्होंने बताया कि हमारी पार्टी (समाजवादी पार्टी) ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने से पहले कांग्रेस नेतृत्व के साथ बातचीत की थी, लेकिन लगता है कि कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए गठबंधन बनाने में दिलचस्पी नहीं रखते हैं. ऐसा लगता है कि उनका मकसद बीजेपी को नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी को हराना है.
उन्होंने कहा आगे कहा कि भले ही लोकसभा चुनाव के लिए हमारा गठबंधन होगा, लेकिन मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के मैदान में हम अकेले चुनाव उतरेंगे. हमने कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत कर उन्हें बताया कि हम 10 सीटें चाहते हैं. लेकिन उन्होंने कम सीटों की पेशकश की. फिर उन्होंने अचानक से हमें बिना बताए बिना इतने सारे उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया. गठबंधन इस तरह काम नहीं करता.
सपा करेगी दबाव की राजनीति
वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा ने एबीपी से बात करते हुए कहा, ‘अखिलेश यादव हमेशा ही बड़ा दिल दिखाने की बात करते रहे हैं, लेकिन साथ ही साथ वह दबाव बनाने की राजनीति भी बड़ी अच्छी तरह से करते हैं. उनका हाल ही में दिया हुआ एक बयान देखें तो पाएंगे कि अखिलेश ने कहा था कि उत्तर प्रदेस में वह सीटें बांटेंगे, मांगेंगे नहीं. तो, वह यहां अपना अपर हैंड पहले से ही रख रहे हैं. इसीलिए, जब-जब विपक्ष की तरफ से कांग्रेस और आरएलडी अपनी मांग रखती है, जैसे आरएलडी ने 15 सीटें मांगी और कांग्रेस ने 30 सीटें मांगी. अभी कल इस बात की चर्चा थी. तो, समाजवादी पार्टी के लोगों ने कहा कि 30 सीटों पर लड़नेवाले लोगों के नाम दे दें. अखिलेश कह रहे हैं कि गठबंधन की लड़ाई है, वह बड़ा दिल दिखाएंगे और बाकी सब कुछ, लेकिन वह अपने लीडरशिप और अपने प्रभाव से समझौता करने के मूड में नहीं हैं. इसीलिए, उन्होंने मध्य प्रदेश में अपने 9 प्रत्याशी लड़ाने की बात कही थी और उनके नाम भी घोषित कर दिए थे.
समाजवादी पार्टी ने इन नेताओं पर जताया भरोसा
सपा ने लिस्ट जारी करते हुए ‘एक्स’ अकाउंट पर लिखा कि अखिलेश यादव की अनुमति से मध्य प्रदेश में होने वाले सामान्य निर्वाचन 2023 के लिए इन प्रत्याशियों की सूची घोषित की जाती है-
- चितरंगी – श्रवण कुमार सिंह गोंड
- सिरमौर – लक्ष्मण तिवारी
- निवाड़ी विधानसभा – मीरा दीपक यादव
- राजनगर- बृजगोपाल पटेल उर्फ बबलू पटेल
- भाण्डेर – डी आर राहुल (अहरिवार)
- धौहानी – विश्वनाथ सिंह मरकाम
- बिजवार – डॉ. मनोज यादव
- कटंगी – महेश सहारे
- सीधी – रामप्रताप सिंह यादव
2018 विधानसभा चुनाव में सपा ने जीती थी एक सीट
सपा ने निवाड़ी के अलावा राजनगर, भांडेर, धौहनी, चितरंगी, सिरमौर, बिजावर, कटंगी और सीधी विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की गई है. साल 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम पर नजर डालें तो यहां सपा ने केवल एक सीट- छतरपुर जिले की बिजावर पर जीत दर्ज किया था. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी को केवल 6.26 प्रतिशत वोट मिली था.
पिछले चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद भी कांग्रेस बहुमत से पीछे रह गई, तो वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो विधायकों, एक सपा विधायक और चार निर्दलीय विधायकों ने कमलनाथ के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार को बाहर से समर्थन दिया था.
प्रदेश में कब होने वाले हैं चुनाव
मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को एक फेज में वोट डाले जाएंगे. इन वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी. चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के कुल 5.6 करोड़ मतदाताओं में 2.88 करोड़ पुरुष और 2.72 करोड़ महिला वोटर्स हैं.
प्रदेश में लगभग 22.36 लाख है जो पहली बार मताधिकार का उपयोग करेंगे. लोकसभा चुनाव से लगभग तीन-चार महीने पहले होने जा रहे विधानसभा चुनाव को साल 2024 से पहले लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. इस चुनाल में सत्ताधारी बीजेपी सत्ता बचाए रखने के लिए पूरा जोर लगा रही है तो वहीं विपक्षी कांग्रेस 2018 की तरह सत्ता का सूखा खत्म कराने के लिए.
साल 2018 से कितनी अलग है इस बार प्रदेश की तस्वीर
साल 2018 और साल 2023 के विधानसभा चुनाव में एक बात सामान्य है कि भारतीय जनता पार्टी तब भी सत्ताधारी दल के रूप में मैदान उतरी थी और अब भी सत्ताधारी दल के तौर पर ही मैदान में उतर रही है. हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव (साल 2018) से इसबार की तस्वीर काफी अलग है क्योंकि पिछली बार भारतीय जनता पार्टी 15 साल की सरकार के साथ चुनाव में गई थी और इस बार बीजेपी 15 महीने तक सत्ता से दूर रहने और कांग्रेस विधायकों की बगावत क बाद बनी सरकार के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है.
इतना ही नहीं कई बड़े नेता भी इस विधानसभा चुनाव से पहले दल बदल चुके हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चुनाव अभियान की धुरी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं तो वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी दल के कई नेता भी अब विरोधी खेमे में जा चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे और तीन बार के पूर्व विधायक दीपक जोशी, पूर्व विधायक कुंवर ध्रुव प्रताप सिंह, राधेलाल बघेल सहित लगभग दो दर्जन से ज्यादा नेता भारतीय जनता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं.