सियासी पिच पर अफसरशाही की बैटिंग, कहीं चौके-छक्के तो कोई रनआउट

सियासी पिच पर अफसरशाही की बैटिंग, कहीं चौके-छक्के तो कोई रनआउट

आइएएस-आइपीएस की नई पारी: हर बार चुनाव में उतरते हैं कुछ अफसर

विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री तक बने… किसी ने नई पार्टी भी बनाई

भोपाल. प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले सियासी पिच पर अफसरशाही का नया बैच दस्तक दे रहा है। आइएएस अफसर राजीव शर्मा का इस्तीफा मंजूर हो चुका है, जबकि राज्य प्रशासनिक सेवा की निशा बांगरे का इस्तीफा स्वीकृति के लिए अटका हुआ है। राजीव ने फिलहाल राजनीति में नहीं आने की बात कही है, जबकि निशा सियासी समर में कूदने की भरपूर जद्दोजहद कर रही हैं। आइएएस सेवा से सेवानिवृत्त हुए कुछ अफसर दो महीने पहले भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं, जबकि कुछ सेवानिवृत्त आइएएस और कतार में हैं।

ऐसे में सियासत पर अफसरशाही का असर साफ दिखता है। ये और बात है कि सियासी पिच पर बैटिंग में कोई चौके-छक्के लगाता है तो कोई रनआउट हो जाता है। फिर भी हर बार चुनाव में अफसरशाही का उतरना लगातार जारी है।

 

ज्यादा सफल नहीं

यूं तो हर बार चुनाव में कई अफसर चुनाव में उतरते हैं, लेकिन ज्यादा अफसर सफल नहीं हो पाते हैं। एक-दो बार के चुनाव या फिर टिकट की जुगाड़ में ही रह जाते हैं। अब तक ब्यूरोक्रेसी का सबसे बड़ा सफल उदाहरण अजीत जोगी हैं, जो छत्तीसगढ़ के सीएम बने थे। बाकी चुनावी मशक्कत में अनेक खो भी गए। 2018 में आइएएस शशि कर्णावत बर्खास्त होने के बाद कांग्रेस में शामिल हुईं, लेकिन सियासी परिदृश्य पर गुमनाम ही रहीं। राजा भैय्या प्रजापति एक बार करैरा से चुनाव हार चुके हैं।

1. अजीत जोगी: आइएएस सेवा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए। यह ब्यूरोक्रेसी से से राजनीति में सबसे बड़ा नाम है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने।

2.अजातशत्रु: आइएएस सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद से भाजपा में।

3.अजीता वाजपेयी पाण्डेय: आइएएस से सेवानिवृत्त होने के बाद कांग्रेस में।

4.जीएस जामोर: जलसंसाधन में इंजीनियर थे। विधायक बने अब भाजपा की तरफ से रतलाम सांसद।

5.हीरालाल त्रिवेदी: आइएएस सेवा से निवृत्त होने के बाद सपाक्स पार्टी बनाई।

6.रुस्तम सिंह: इंडियन पुलिस सेवा में थे। सेवानिवृत्ति के बाद भाजपा की राजनीति में उतरे। मंत्री तक बने।

7.एसएस उप्पल: आइएएस से सेवानिवृत्त होने के बाद से भाजपा में।

8.वरदमूर्ति मिश्रा: आइएएस की नौकरी छोड़ इस चुनाव में अलग पार्टी बनाई।

9.वीणा घाणेकर: आइएएस से सेवानिवृत्ति के बाद सपाक्स में काम।

10.वीके बाथम: आइएएस से सेवानिवृत्ति के बाद से कांग्रेस में।

साथ रहने के दौरान अफसर विधायक-मंत्रियों का जलवा देखते हैं। क्षेत्र विशेष में काम करते हैं तो जनता उनसे जुड़ती है। लोग तवज्जो देते हैं। इससे भी उन्हें लगता है कि राजनीति में सफल हो सकते हैं। कुछ मामलों में राजनेताओं, पार्टी से अच्छे संबंध हो जाते हैं। इसलिए राजनीति में हाथ आजमाते हैं।

इन्होंने हाल ही में ली राजनीति में एंट्री: कवींद्र किवायत, एमके अग्रवाल, रवीेंद्र कुमार मिश्रा, वेदप्रकाश शर्मा सहित एसएन चौहान, रघुवीर श्रीवास्तव व अन्य।

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