राजस्थान: चोरगढ़ी कैसे बना साइबर क्राइम का अड्डा ?

राजस्थान: चोरगढ़ी कैसे बना साइबर क्राइम का अड्डा
जहां बिना स्कूल गए अंग्रेजी बोलते हैं बच्चे
15 साल पहले मेवात में नूंह जिले के एक युवक के साथ साइबर ठगी हुई थी. इसके बाद ठगी के शिकार इसी युवक ने पहले साइबर क्राइम का तरीका सीखा और आज इन्हीं 15 सालों में मेवात क्षेत्र के 32 गांवों में करीब ढाई हजार युवक इस तरह के वारदातों को अंजाम देने लगे हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक देश में होने वाला हर 8वां साइबर अपराध मेवात में बैठकर अंजाम दिया जा रहा है.
राजस्थान: चोरगढ़ी कैसे बना साइबर क्राइम का अड्डा, जहां बिना स्कूल गए अंग्रेजी बोलते हैं बच्चे
डिजिटल इंडिया के दौर में जिस तेजी से साइबर क्राइम के मामले बढ़े हैं, उसी तेजी से लोगों में जागरुकता भी आई है. हाल तक साइबर क्राइम का देश में सबसे बड़ा हॉट स्पॉट झारखंड का जामताड़ा हुआ करता था, लेकिन वहां की सरकार ने सख्ती की तो नए हॉट स्पॉट के रूप में देश की राजधानी से सटा मेवात बनकर उभरा है. इस मेवात के करीब 32 गांवों में साइबर क्राइम का धंधा पूरी ताकत के साफ फल फूल रहा है. इनमें भी सबसे बड़ा केंद्र राजस्थान के भरतपुर जिले में चोरगढ़ी गांव बताया जा रहा है.
खेत में बैठ कर करते हैं कॉल

यहां के लड़कों की मुख्य खासियत यह है कि ये किसी कॉल सेंटर में नहीं, बल्कि खेत में बैठ कर रैंडम नंबरों पर कॉल करते हैं. फिर कॉल सेंटर के कॉलर की तरह ही हिन्दी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में लोगों से बात करते हैं. इस दौरान ये किसी को केवाईसी तो किसी को लॉटरी का लालच देकर ठगी करते हैं. एक और बात, ये लोग भले ही व्यक्तिगत तौर पर वारदात को अंजाम देते हैं, लेकिन तरीका बिलकुल आर्गनाइज्ड होता है. मसलन पैसे मंगाने के लिए ये लोग दूर दराज के लोगों से बैंक में एकाउंट खुलवाते हैं और जितनी रकम खाते में आती है, उसका एक निर्धारित हिस्सा छोड़ कर बाकी रकम निकाल लेते हैं.

राजस्थान पुलिस ने दो साल पहले भरतपुर के चोरगढ़ी गांव का सर्वे कराया था. उस समय इस छोटे से गांव में करीब ढाई लाख मोबाइल नंबर सक्रिय मिले थे. पता चला था कि इन्हीं नंबरों से साइबर क्राइम को अंजाम दिया जा रहा था. यह नंबर राजस्थान के भरतपुर, अलवर, हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूंह और उत्तर प्रदेश के मथुरा, बागपत आदि जिलों से खरीदे गए थे. इसके लिए सर्विस ऑपरेटर को जो दस्तावेज दिए गए थे, जांच के दौरान वह भी फर्जी निकले थे. उस समय पुलिस ने इन सभी नंबरों को भले ही बंद करा दिया, लेकिन आज भी यहां साइबर अपराध बदूस्तर अंजाम दिए जा रहे हैं.

लड़के खुद को बताते हैं बैंक मैनेजर

पुलिस सूत्रों के मुताबिक मेवात क्षेत्र तीन राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पसरा है. इस पूरे क्षेत्र में साइबर क्राइम के लिए 32 गांवों को चिन्हित किया गया है. मतलब इन्हीं 32 गांवों के लड़के इस तरह की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इस तरह की वारदात को अंजाम देने वाले लड़कों की संख्या ढाई से तीन हजार हो सकती है. इसमें ज्यादातर नाबालिग हैं. ये लड़के जब खुद को किसी बैंक का मैनेजर बताते हुए हिन्दी या अंग्रेजी भाषा में बात करते हैं, तो बिल्कुल भी एहसास नहीं होने देते कि ये अनपढ़ हैं या फिर इन्होंने आठवीं तक की पढ़ाई भी मुश्किल से की है.

दो साल पहले जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बेटी के साथ ठगी हुई थी, पुलिस ने अपराधियों के नंबर को ट्रैस किया था. उस समय वह नंबर भरतपुर के चोरगढ़ी में सक्रिय था. इसी प्रकार गाजियाबाद के एक जज की पत्नी के साथ ठगी हुई तो उसमें भी अपराधियों का ठिकाना चोरगढ़ी ही निकल कर आया था.

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