चंबल नदी के अटेर घाट पुल का और लंबा हुआ इंतजार, मार्च तक होगा पूरा

चंबल नदी के अटेर घाट पुल का और लंबा हुआ इंतजार, मार्च तक होगा पूरा

पुल की ऊंचाई बढ़ाने का काम पूरा, पिलर की विशेष सुरक्षा के लिए लगाई जाएंगी प्लेट

भिण्ड. जिला मुख्यालय को आगरा से सीधे जोडऩे वाला और दूरी 40 किमी तक कम करने वाला चंबल नदी का अटेरघाट पुल दिसंबर में भी यातायात के शुरू नहीं हो पाएगा। निर्माण एजेंसी ने खंभों की मजबूती के लिए विशेष प्रकार की प्लेट लगाने, रेलिंग एवं अन्य फिनिसिंग कार्य पूरा करने के लिए मार्च 2024 तक का समय मांग लिया है।

वर्ष 2016 से बन रहे पुल का कार्य जुलाई 2018 में ही पूरा होना था, लेकिन सात साल बाद भी पूरा नहीं हो पा रहा है। सेतु निगम के अधिकारियों ने सितंबर में दावा किया था कि दिसंबर तक पुल आवागमन के लिए खोल दिया जाएगा। ऐसा हो नहीं पा रहा है और दिसंबर में पुल से आवागमन शुरू होने की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को निराशा हुई है। जिला मुख्यालय से अटेर होकर करीब 35 किमी दूर चंबल नदी के इस पुल के बन जाने से आगरा, दिल्ली, मथुरा, फिरोजाबाद के बीच सीधा अवागमन शुरू होने से लोगों को बहुत लाभ होगा। उदी मोड़ होकर आगरा दूरी भिण्ड से 150 किलोमीटर है, जबकि अटेर होकर यह दूरी 110 किलोमीटर रह जाएगी, इसलिए लोगों को पुल का निर्माण कार्य पूरा होने और आवागमन के लिए खोले जाने का बहुत इंतजार है। निर्माण कार्य प्रारंभ करते समय पुल के निर्माण की लागत 66.49 करोड़ रुपए थी, जो साल भर पहले 111 करोड़ तक पहुंच चुकी है, माना जा रहा है काम खत्म होने तक पुल की लागत सवा सौ करोड़ तक पहुंच जाएगी।

8 मीटर होगी नए पुल की ऊंचाई

चंबल के अटेर घाट पुल की प्रारंभिक ऊंचाई 26.5 मीटर थी। इसमें 24 मीटर के पिलर और 2.5 मीटर ऊपर का ढांचा शामिल था। लेकिन वर्ष 2022 में आई बाढ़ में चंबल का जल स्तर रेकॉर्ड 129.91 मीटर तक पहुंच जाने से पुल की ऊचाई को पुनरीक्षित करना पड़ा। डेढ़ मीटर ऊंचाई बढ़ाने से काम में विलंब हुआ। डेढ़ मीटर पिलर ऊंचे कर देने से उनकी लंबाई 25.5 मीटर हो गई है। 2.5 मीटर का ऊंपर का ढांचा होने से बाढ़ के सभी खतरों से पुल सुरक्षित रहेगा।

संपर्क सड़क को भी नहीं मिली है मंजूरी

पुल का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बावजूद सुगम आवागमन मुश्किल होगा। क्योंकि पुल के बाद यातायात निकालने के लिए संपर्क सडक़ बनाई जानी है। इसके लिए एमपीआरडीसी (मप्र सडक़ विकास प्राधिकारण ) तीन साल से कवायद कर रहा है। पहले वन विभाग की अनापत्ति लेने में समय और अब सडक़ निर्माण के प्रस्ताव को प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति नहीं मिल पा रही है। एमपीआरडीसी ने दो किमी लंबी संपर्क सडक़ के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा है। इसके निर्माण पर छह से सात करोड़ रुपए की लागत आएगी। यदि एप्रोच रोड नहीं बन पाई तो बरसात के दिनों में पुल चालू हो जाने से बावजूद यातायात सुचारू संचालन में व्यावहारिक परेशानी आएगी।

अतिरिक्त पुल को भी वित्तीय स्वीकृति नहीं

निर्माणाधीन पुल के चालू हो जाने के बाद भी बीड़ी इलाके से 400 मीटर लंबा एक और पुल सेतु निगम ने प्रस्तावित किया है। हालांकि इसके लिए प्रशासकीय स्वीकृति तो मिल गई है, लेकिन वित्तीय स्वीकृति का इंतजार है। अधिकारियों का मानना है कि नवीन बजट में इसके लिए प्रावधान किया जा सकता है। ऐसे में यदि एमपीआरडीसी की रोड भी नहीं बनी और पुल को भी मंजूरी नहीं मिली तो व्यावहारिक समस्याएं आ सकती हैं।

फैक्ट फाइल

1000 मीटर लंबा होगा चंबल का नवीन पुल।

125 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है कुल लागत।

8.5 मीटर चौड़ाई में बनाया जा रहा है चंबल का पुल।

2016 में शुरू कराया गया था निर्माण कार्य।

24 माह था पुल के निर्माण कार्य पूरा करने का समय।

66.49 करोड़ रुपए प्रस्तावित लागत थी प्रारंभिक।

चंबल के अटेर घाट पुल का काम लगभग पुरा हो गया है। ऊंचाई बढ़ाई जा चुकी है, स्लीपर भी लगाए जा चुके हैं। अब पिलर की अतिरिक्त सुरक्षा के लिए कुछ काम होना है और रेलिंग आदि लगाई जानी है। निर्माण एजेंसी ने यह कार्य पूरा करने के लिए मार्च 2024 तक की समयवृद्धि मांगी है। मार्च के अंत में पुल चालू हो सकता है। हालांकि पुल चालू करते समय एमपीआरडीसी एप्रोच रोड भी बनाएगी।

एसडीओ, सेतु निगम, ग्वालियर।

चंबल पुल तक वाहनों के आवागमन के लिए हमें 2 किमी की एप्रोच रोड बनानी है। तीन साल से कवायद की जा रही है। पहले वन विभाग की एनओसी लेने में समय लगा, अब प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति का इंतजार है। सडक़ निर्माण पर छह से सात करोड़ रुपए की लागत आएगी।

संभागीय प्रबंधक, एमपीआरडीसी

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