भ्रष्ट डिप्टी कलेक्टर की आय से 356% ज्यादा संपत्ति … ?
भ्रष्ट डिप्टी कलेक्टर की आय से 356% ज्यादा संपत्ति …
सफाई में कहा-15 साल की उम्र से शुरू की कमाई, पैतृक व्यवसाय से बनाई जायदाद
डिप्टी कलेक्टर की संपत्ति आय से 356.96 प्रतिशत अधिक पाई गई है। हालांकि, आरोपी डिप्टी कलेक्टर ने 15 साल की उम्र से कमाई करना और 1 लाख 71 हजार 100 रुपए दान करने की बात अपने बयान में कही थी।
मौत के बाद रिश्तेदारों पर कसा लोकायुक्त का शिकंजा
शाजापुर में पदस्थ पूर्व डिप्टी कलेक्टर हुकुमचंद सोनी के यहां 21 जुलाई 2011 को लोकायुक्त का छापा पड़ा था। भोपाल में हुई शिकायत के बाद उज्जैन लोकायुक्त ने यह कार्रवाई की थी। छापे में डिप्टी कलेक्टर सोनी को भ्रष्टाचार कर आय से अधिक संपत्ति अपने व रिश्तेदारों के नाम अर्जित करने का दोषी माना गया। जांच का समय 1 जनवरी 2002 से 21 जुलाई 2011 तक का माना गया। इस टाइम पीरियड में वैध तरीके से सोनी ने 49 लाख 88 हजार 024 रुपए की कमाई की, लेकिन इसी दौरान 2 करोड़ 27 लाख 43 हजार 775 रुपए खर्च किए। इस तरह 1 करोड़ 77 लाख 55 हजार 751 रुपए (356.96 प्रतिशत) असमानुपातिक (अवैध) संपत्ति इकट्ठा की गई।
साल 2017 में सोनी द्वारा भ्रष्टाचार से कमाई गई अवैध संपत्ति को शासन के पक्ष में जब्त करने के लिए लोकायुक्त ने मप्र विशेष न्यायालय अधिनियम 2011 के तहत आवेदन लगाया। सुनवाई के दौरान 12 अप्रैल 2023 को सोनी की मौत हो गई। जिसके बाद उनके खिलाफ कार्यवाही समाप्त की गई, लेकिन उसके रिश्तेदारों को कार्यवाही के दायरे में लिया गया।
सोनी का परिवार वैशाली नगर, उज्जैन का मूल निवासी है। मामले में सोनी के अलावा पत्नी सुषमा के साथ 5 बेटियां अंजलि, सोनालिका, प्रीति, सरिता, प्रमिला और सोनालिका की सास रेखा वर्मा और दामाद अजय वर्मा के खिलाफ केस चला। कुल 9 लोग केस में शामिल थे। अब सोनी की पत्नी, बेटी, समधन और दामाद की चल-अचल संपत्ति और बीमा पॉलिसियों से वसूली होगी।
1975 में एलडीसी के पद पर शुरू की थी नौकरी
हुकुमचंद सोनी की सरकारी सेवा में पहली नियुक्ति 19 नवंबर 1975 को निम्न श्रेणी लिपिक (एलडीसी) के रूप में तराना में हुई थी। उन्हें निर्वाचन कार्य के लिए नियुक्त किया गया था। उज्जैन के साथ शाजापुर, मंदसौर, झाबुआ, सीहोर आदि जिलों में भी सोनी की पोस्टिंग रही। विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 1987 में पदोन्नति पाते हुए सोनी नायब तहसीलदार, 1998 में तहसीलदार और साल 2010 में डिप्टी कलेक्टर के पद तक पहुंचे।
2011 में भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त ने छापा मारा था। इसमें ज्ञात एवं वैध आय से असमानुपातिक संपत्ति (356.96 प्रतिशत) अधिक पाई गई थी। लोकायुक्त ने कोर्ट में कहा कि अपने अधिकारों का अवैध लाभ अर्जित कर सोनी ने पत्नी और बेटियों के नाम पर मकान, प्लॉट, कृषि भूमि, वाहन आदि खरीदे।
लोकायुक्त ने कोर्ट को बताया कि हुकुमचंद सोनी के पिता स्व. केसरीमल सोनी सोने-चांदी की दुकान चलाते थे। परिवार का जीवन स्तर साधारण था। हुकुमचंद सोनी की शादी 1 नवंबर 1970 को सुषमा सोनी से शाजापुर जिले के भदौरी गांव में हुई थी। उनकी 6 संतान हैं और सभी बेटियां हैं। बेटी अंजलि की शादी छापे के बाद साल 2012 में की थी, बाकी सभी बेटियों की शादी पहले हो गई थीं।
सुनवाई के दौरान बचाव में दिए ये तर्क
लोकायुक्त के आरोपों से इनकार करते हुए हुकुमचंद सोनी और पत्नी सुषमा सोनी ने कार्यवाही को झूठा बताया और साल 2018 में अपना जवाब पेश करते हुए आपत्ति ली। जवाब में कहा कि सोनी पिता के सबसे बड़े बेटे थे। पिता का पैतृक व्यवसाय सोने-चांदी का काम था। पारिवारिक व्यवसाय, दुग्ध संघ, शासकीय सेवा, भवन किराया, आय, बैंक खातों पर ब्याज, वेतन भत्ता, अर्जित अवकाश समर्पण, जीपीएफ अंतिम और अंतरिम भुगतान, जनगणना, पशु गणना मानदेय, लोकसभा, विधानसभा, मंडी, पंचायत, निर्वाचन कार्यरत अतिरिक्त पारिश्रमिक, बैंक वसूली का इंसेंटिव, जीवन बीमा, डाक बचत पत्र, आईसीआईसीआई बॉन्ड पत्र सावधि जमा राशि बैंक ब्याज, पैतृक संपत्ति और अन्य से आय अर्जित की जाती रही। इसे गिनती में लोकायुक्त ने नहीं लिया।
नौकरी में आने (साल 1975) से पहले 15 साल की उम्र से हुकुमचंद सोनी पैतृक व्यवसाय में शामिल थे और तब से ही उनकी आय शुरू हो गई थी। जबकि लोकायुक्त ने चेक पीरियड 2002 से 2011 माना है।
बेटी ने ट्यूशन से दिखाई अपनी कमाई
हुकुमचंद सोनी की बेटी अंजलि ने अलग जवाब पेश करते हुए बताया कि उसने घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाया है और आय अर्जित की है। लोकायुक्त ने राजनीतिक दबाव के कारण छापा डाला। उसने बहन सोलानिका और जीजा अजय को कोटा से नौकरी छोड़कर उज्जैन बुलाया था। सोनी एंड सोनी एसोसिएट का पंजीयन करवाया, जिसमें मां सुषमा सोनी को भागीदार बनाया।
समधन रेखा वर्मा ने भी अपने जवाब में आरोपों को सारहीन और मनगढ़ंत बताया। दामाद अजय ने अपने जवाब में बताया कि 2006 में सोनी की बेटी सोनालिका से उसकी शादी हुई थी। 2009 में नई नौकरी की तलाश में वो उज्जैन आया और सोनी एंड सोनी एसोसिएट में मैनेजर बना। वो सरकारी कर्मचारी नहीं है लेकिन लोकायुक्त ने फिर भी उसके घर छापा मारा।
सोनी की बेटी सरिता ने अपने जवाब में बताया कि संयुक्त परिवार के साथ रहते हुए वह सोने-चांदी का व्यवसाय करती रही है। पति और ससुर के साथ आभूषणों का निर्माण और कारीगरी का काम करती थी। एक अन्य बेटी प्रीति सोनी ने भी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर आय अर्जित करना बताया।
सोनी की बेटी प्रमिला ने बताया कि उसकी शिक्षा, लालन-पालन दादा-दादी ने किया। ससुर ने ट्रक खरीदा, उसने नहीं खरीदा। लोकायुक्त ने पिता हुकुमचंद द्वारा बेटी के नाम पर खरीदना बताया है, जो निराधार है। इतना ही नहीं, सभी ने ये बात भी कही कि राजसात की कार्यवाही लोकसेवकों के खिलाफ की जा सकती है। प्रभावित व्यक्ति लोक सेवक नहीं है।
अपने और रिश्तेदारों के नाम पर 11 बैंक अकाउंट का संचालन
लोकायुक्त ने कोर्ट को बताया कि हुकुचंद सोनी ने अपने, पत्नी, बेटी, दामाद, सोनी एंड सोनी एसोसिएट के नाम पर कुल 11 सेविंग और करंट अकाउंट्स का संचालन किया। सभी अकाउंट्स में कुल 52 लाख 12 हजार 377 रुपए जमा हुए और 51 लाख 5 हजार 123 रुपए निकाले गए। 30 हजार रुपए का ब्याज भी मिला। 1 लाख 7 हजार रुपए बैंक अकाउंट में बचे। बैंक अकाउंट में जमा हुए 52 लाख रुपए सोनी और उसके परिवार वाले कहां से लाए, ये नहीं बताया गया।
आयकर रिटर्न में पत्नी की कमाई ज्यादा, पढ़ रही बेटी ने खरीदी कृषि भूमि
हुकुमचंद सोनी ने वेतन के अतिरिक्त वर्ष साल 2008-09 में कैपिटल गेन से कुल आय 17,438/- रुपए, अन्य स्त्रोत से 12,151/- रुपए सहित कुल आय 29,598/- दर्शाई। इसी तरह साल 2009-10 में हाउस प्रॉपर्टी से 42 हजार रुपए, अन्य स्त्रोत से 19,692 रुपए जोड़कर कुल आय 61,692 रुपए बताई है। साल 2010-11 में वेतन के अतिरिक्त अन्य कोई आय नहीं बताई। इस तरह आयकर के रूप में 2008-09 और 2009-10 में कुल 91 हजार 281 रुपए आय मान्य की गई।
वहीं, आयकर रिटर्न के तहत पत्नी सुषमा सोनी की 2008-09 से 2010-11 में कुल आय 5 लाख 95 हजार 710 रुपए का खुलासा हुआ। इसी अवधि में बेटी अंजलि की भी आयकर रिटर्न के तहत कुल आय 5 लाख 68 हजार रुपए सामने आई। हुकुमचंद सोनी और परिवार की कुल 12 लाख 55 हजार रुपए आयकर रिटर्न के तहत इसी टाइम पीरियड में आय का खुलासा हुआ।
लोकायुक्त ने कोर्ट को बताया कि जानबूझकर हुकुमचंद सोनी ने शादीशुदा बेटी के नाम मुख्त्यारनामा की हैसियत से भवन खरीद निर्माण कराया। खरीदार बेटी प्रीति सोनी और पत्नी सुषमा सोनी का पंजीकृत दस्तावेज में व्यवसाय गृहिणी लिखा है। दोनों के पास कमाई का वैधानिक स्त्रोत नहीं है।
लोकायुक्त ने कोर्ट को ये भी बताया कि बेटी अंजलि 2006 में पढ़ रही थी। उसके नाम पर कृषि भूमि 2 लाख 14 हजार रुपए में खरीदी गई। इस तरह अचल संपत्तियों को खरीदने के स्त्रोत स्पष्ट नहीं हैं और संदिग्ध हैं। बेटियों की आय का कोई अलग स्त्रोत प्रमाणित नहीं है।
मुख्य आरोपी की मौत का हवाला देकर प्रकरण निरस्त करने की मांग
कोर्ट से सोनी के रिश्तेदारों ने प्रार्थना की कि मुख्य आरोपी हुकुमचंद की मौत हो चुकी है। ऐसे में प्रकरण को निरस्त किया जाए। बेटियों, दामाद के प्रति उदारता दिखाते हुए उनके निवास स्थान वाले भवन, बेटियों की संपत्ति को अधिग्रहण की कार्यवाही से मुक्त रखा जाए। हालांकि, कोर्ट ने इसे मान्य नहीं किया।