3 साल में 4 पेपर रद्द:एग्जाम क्यों नहीं करवा पा रही यूपी सरकार?

 3 साल में 4 पेपर रद्द: यूपी में लाखों आवेदक, करोड़ों की कमाई फिर भी ठीक ढंग से एग्जाम क्यों नहीं करवा पा रही सरकार?
भारत के ज्यादातर युवाओं की ख्वाहिश होती है कि सरकारी नौकरी लग जाए. ऐसे युवा जीवन के 5-10 साल सरकारी नौकरियों की तैयारी में लगा देते हैं. लेकिन फिर एग्जाम रद्द होने से उनका भविष्य दांव पर लग जाता है.
योगी सरकार ने यूपी पुलिस कांस्टेबल की भर्ती परीक्षा रद्द कर दी है. ये परीक्षा 16 और 17 फरवरी को हुई थी, लेकिन पेपर लीक होने की खबर से हड़कंप मच गया था. अब आखिरकार यूपी सरकार ने एग्जाम रद्द कर दिया.

ये पहला मौका नहीं है जब यूपी में पेपर लीक का हुआ और एग्जाम रद्द कर दिया गया. इससे पहले 2021 में उत्तर प्रदेश सब-ऑर्डिनेट सर्विस सेलेक्शन कमीशन (UPSSSC) ने तीन पेपर रद्द कर दिए थे. यानी कि उत्तर प्रदेश में तीन साल के भीतर चार पेपर रद्द हो गए.

यूपीएसएसएससी ने 2018 में आयोजित हुए ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक के एग्जाम में धांधली की शिकायत सही पाये जाने के बाद पेपर कैंसिल करने का फैसला लिया था.

इस स्पेशल स्टोरी में हम आपको बताएंगे कि यूपी में हाल ही में कौन-कौन से बड़े एग्जाम हुए, कौन-कौन से पेपर लीक हुए, कितने एग्जाम प्रस्तावित हैं, कितने पदों पर बहाली निकली, कितने लोगों ने फॉर्म भरे और फॉर्म की कीमत से कितने करोड़ आए.

पहले समझिए सरकारी नौकरी की क्यों रहती है डिमांड
सरकारी नौकरी का मतलब है भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा किसी व्यक्ति को नियुक्त करना. सरकारी नौकरी में वेतन सरकार निर्धारित करती है. यहां प्राइवेट नौकरी की तुलना में अधिक सुरक्षा होती है. यहां एक रिटायरमेंट की तिथि होती है, उसके बाद पेंशन मिलती है. स्वास्थ्य बीमा, ग्रेजुएटी और अन्य लाभ मिलते हैं.

केंद्र सरकार की ओर से अलग-अलग तरह की नौकरियां दी जाती हैं. जैसे कि IAS, IPS, IFS, IRS आदि. राज्य सरकार की ओर से PCS, PPS, RPS जैसे बड़े पदों पर नौकरी दी जाती है.

हालांकि सरकारी नौकरी की परीक्षाएं बहुत कठिन होती हैं. प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक होती है. वेकैंसी कम होती हैं और उम्मीदवार कई गुना ज्यादा होते हैं. इसके अलावा भ्रष्टाचार और पेपर लीक के कारण परीक्षा रद्द होना भी एक बड़ी समस्या है.

यूपी में कौन-कौन से पेपर हुए लीक

योगी सरकार पर बीतें 5 सालों में आधा दर्जन से ज्यादा परीक्षाओं के पेपर लीक होने के आरोप लगे हैं. इनमें दरोगा भर्ती से लेकर एसएससी की परीक्षाओं तक के पेपर लीक होने का आरोप है. मार्च 2017 में योगी सरकार सत्ता में आई थी और चार महीने बाद ही पहली बार पेपर लीक होने का मामला सामने आया था.

  • जुलाई 2017: इंस्पेक्टर भर्ती समीक्षा
  • फरवरी 2018 यूपीपीसीएल पेपर लीक
  • ट्यूबवेल ड्राइवर टेस्ट लीक सितंबर 2018
  • लखनऊ परीक्षा (UPTET) 2021
  • अगस्त 2021 में पीईटी परीक्षा का पेपर लीक हो गया
  • अगस्त 2021 कॉलेज प्रवेश परीक्षा पेपर लीक
  • 11 सितंबर 2021, नीट परीक्षा
  • 12 फरवरी 2024, RO, ARO पेपर लीक

बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने 2021 में अपनी ही पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि पिछले दो सालों में अकेले उत्तर प्रदेश में ही 17 पेपर लीक हो चुके हैं, जिसके कारण परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं लेकिन किसी बड़े गिरोह की पहचान नहीं हुई.

यूएनएफपीए की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 15 से 20 के आयु वर्ग में 25.4 करोड़ युवा आबादी के साथ दुनिया का सबसे बड़ा युवा देश है. इनमें सबसे ज्यादा युवा आबादी उत्तर प्रदेश में है. यूपी में हर साल लाखों युवा सरकारी नौकरी के लिए परीक्षा में भाग लेते हैं, हालांकि सरकारी नौकरी कुछ लाख युवा को ही मिलती है.

कैसे मिलती है सरकारी नौकरी, क्या योग्यता होनी चाहिए
सरकारी नौकरी के लिए कम से कम 18 साल और अधिकतम 40 साल की उम्र होनी चाहिए. तमाम सरकारी विभागों या आयोग में अलग-अलग पदों पर नौकरी के लिए लगभग हर साल विज्ञापन जारी होता है. वैकेंसी के अनुसार ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन पत्र भरना होता है. आवेदन शुल्क का भुगतान करना होता है.

ज्यादातर सरकारी नौकरियों के लिए लिखित परीक्षा पास करनी होती है. कुछ पदों के लिए शारीरिक परीक्षा या इंटरव्यू भी आयोजित किया जाता है. परीक्षा और अन्य चरणों में प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है. मेरिट लिस्ट में शामिल उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है. इसके बाद अंतिम चयन किया जाता है.

यूपी में अब तक कितने युवाओं को मिली सरकारी नौकरी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा है कि छह साल में करीब छह लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी गई है. यानी कि हर साल लगभग एक लाख युवा की सरकारी नौकरी लगी. ये आंकड़ा साल 2017 से अप्रैल 2023 तक का है. यहां कुछ प्रमुख नियुक्तियां हैं-

  • 29 अगस्त 2022: 573 जूनियर इंजीनियरों की संविदा पर नियुक्ति
  • 30 सितंबर 2022: 332 आबकारी आरक्षियों को नियुक्ति पत्र वितरित
  • 4 अक्टूबर 2022: 109 महिला आबकारी आरक्षियों को नियुक्ति पत्र वितरित
  • 20 नवंबर 2022: 1354 स्टाफ नर्सों को लोक सेवा आयोग के तहत नियुक्ति पत्र वितरित
  • 16 दिसंबर 2022: 431 वरिष्ठ प्राविधिक सहायकों को नियुक्ति पत्र वितरित
  • 18 दिसंबर 2022: 1395 प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र वितरित
  • 26 फरवरी 2023: 9,055 उप निरीक्षक नागरिक, पुलिस प्लाटून कमांडर पीएसी और अग्निशमन द्वितीय अधिकारियों को नियुक्ति पत्र वितरित
  • 17 मार्च 2023: 496 लोक सेवा आयोग के अधिकारियों को नियुक्ति पत्र वितरित
  • 5 अप्रैल 2023: 795 चिकित्सा अधिकारी, आबकारी निरीक्षक, श्रम प्रवर्तन अधिकारी, पूर्ति निरीक्षक, विपणन निरीक्षक, अधिशासी अधिकारी, राजस्व निरीक्षक, सहायक चकबंदी अधिकारी, सहायक उद्यान निरीक्षक (वर्ग-3), अपर जिला सूचना अधिकारी एवं कनिष्ठ अधिकारी को नियुक्ति पत्र वितरित

यूपी में कितने पदों पर निकली सरकारी नौकरी
उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) ने हाल ही में करीब दो हजार पदों पर अलग-अलग विभागों में सरकारी भर्तियां निकाली हैं. इनमें ज्यादातर सहायक लेखाकार पदों पर वैकेंसी हैं.

  • सहायक लेखाकार और लेखा परीक्षक मुख्य परीक्षा- 1828 पद- (आवेदन शुल्क- 0, ऑनलाइन प्रक्रिया शुल्क- 25)
  • सहायक स्टोर कीपर व सहायक ग्रेड-तीन मुख्य परीक्षा- 200 पद- (आवेदन शुल्क- 0, ऑनलाइन प्रक्रिया शुल्क- 25)
  • भेषजिक (आयुर्वेदिक) मुख्य परीक्षा- 1002 पद- (आवेदन शुल्क- 0, ऑनलाइन प्रक्रिया शुल्क- 25)

रिपोर्ट्स के अनुसार, अगले छह महीने के भीतर राजस्व, शिक्षा, बिजली, सुरक्षा और श्रम रोजगार जैसे सरकारी विभागों में नौकरी भर्ती निकालने की योजना है. इन विभागों में कुल 15,586 पदों पर भर्तियां हो सकती हैं.

इसके अलावा इस साल उत्तर प्रदेश बाल सेवा एवम पुष्टाहार विभाग की ओर से आंगनबाड़ी के अलग-अलग पदों के लिए भर्ती निकाली जा सकती हैं. लगभग 53000 पदों के लिए भर्ती होगी, जो अब तक की सबसे बड़ी भर्ती हो सकती है.

किस सरकारी विभाग में नौकरी के लिए सबसे ज्यादा डिमांड
यूपी में सरकारी नौकरी की सबसे ज्यादा डिमांड पुलिस विभाग में है. इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है, जब पिछले साल यूपी पुलिस कांस्टेबल की भर्तियां निकली थीं, तब कुल 60 हजार 244 पदों पर वैकेंसी निकली थीं,  जिसके लिए 48 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने आवेदन किया था. यानी कि एक सीट पर 80 उम्मीदवार.

3 साल में 4 पेपर रद्द: यूपी में लाखों आवेदक, करोड़ों की कमाई फिर भी ठीक ढंग से एग्जाम क्यों नहीं करवा पा रही सरकार?

इसके अलावा उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने हाल ही में 3000 से ज्यादा पदों पर सीधी भर्तियां निकाली थी. ये भर्तियां कम्प्यूटर ऑपरेटर, प्रोग्रामर ग्रेड, पुलिस उपनिरीक्षक, पुलिस सहायक उपनिरीक्षक जैसे अलग-अलग पदों पर थी. सभी पदों पर आवेदन की आखिरी तारीख 31 जनवरी 2024 थी.

फॉर्म भराए से यूपी सरकार को कितने मिले!
किसी भी विभाग में सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करते वक्त कुछ फीस भी जमा करनी होती है. ये फीस 25 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक होती है. कुछ जातियों के लिए फीस बहुत कम या जीरो होती है.

यह जानना कठिन है कि यूपी सरकार के खाते में नौकरी की भर्ती से हर साल कितने रुपये आते हैं, क्योंकि विभिन्न विभागों द्वारा अलग-अलग भर्ती प्रक्रियाएं आयोजित की जाती हैं और सभी विभाग अपनी आय का विवरण सार्वजनिक नहीं करते हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सरकारी नौकरी की भर्ती के फॉर्म से सरकार के खाते में सालाना करोड़ों रुपये आते हैं. हाल ही में हुए यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती एग्जाम के जनरल और ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए फॉर्म की फीस 400 रुपये थी. कुल 50 लाख आवेदक आए. इनमें अगर आधे जनरल और ओबीसी कैटेगरी के भी हुए तो इस हिसाब से सरकार के पास 100 करोड़ रुपये आ जाते हैं.

हालांकि इसे सरकार की आय नहीं कहा जा सकता है. ये पैसा परीक्षा आयोजित करने के लिए खर्च किया जाता है. जैसे- एग्जाम सेंटर का किराया, प्रश्न पत्रों की छपाई, कर्मचारियों का वेतन, सुरक्षा व्यवस्था आदि.

ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिरकार फॉर्म के नाम पर करोड़ों रुपये मिलने के बाद सरकार बिना धांधली के ठीक ढंग से एग्जाम क्यों नहीं करवा पा रही है?

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