क्या है आचार संहिता ?
आचार संहिता लागू होते ही चुनाव आयोग कैसे हो जाता है सबसे पावरफुल: बात उन सभी नियमों की
चुनाव आयोग लोकतंत्र का एक अहम स्तंभ है. यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से आयोजित किए जाएं. आचार संहिता के दौरान चुनाव आयोग ही चुनाव से जुड़े सभी मामलों में सर्वोच्च होता है.

क्या है आचार संहिता
आचार संहिता एक दिशानिर्देश है जो सभी राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और सरकार पर लागू होता है. आचार संहिता का उद्देश्य चुनाव को स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से कराना होता है. इसके तहत राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को कुछ नियमों का पालन करना होता है.
आचार संहिता का उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग किसी भी उम्मीदवार या पार्टी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है. राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से भी रोक सकता है.
इस स्पेशल स्टोरी में समझिए आचार संहिता लागू होते ही देश में क्या बदल जाता है, सरकार के कामकाज पर क्या पड़ता है असर, सरकार की कितनी रह जाती ताकत.
भाषण देते समय वाणी पर रखना होगा कंट्रोल
चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, इस दौरान कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी कोई गतिविधि नहीं करेगा जिससे अलग-अलग जातियों, समुदायों, धर्मों या भाषाओं के बीच पहले से मौजूद मतभेद और बढ़ जाएं. या उनमें आपसी नफरत पैदा हो या तनाव की स्थिति बने. मस्जिद, चर्च, मंदिर या अन्य पूजा स्थलों का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए मंच के रूप में नहीं किया जा सकता.
दूसरी पार्टियों की आलोचना करते समय, सिर्फ उनकी नीतियों, कार्यक्रमों, पिछले कामकाज और रिकॉर्ड पर ही बात की जाएगी. निजी जिंदगी के उन पहलुओं की आलोचना करने से बचा जाना चाहिए जिनका राजनीतिक गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं है. बिना सबूत के लगाए गए आरोपों या तोड़-मरोड़ कर पेश की गई बातों के आधार पर दूसरी पार्टियों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना नहीं की जा सकती.
मतदाताओं को रिश्वत देना, मतदाताओं को डराना, मतदाताओं की नकली पहचान बनाना और मतदान केंद्रों के 100 मीटर के भीतर प्रचार करना अपराध है. इसके अलावा मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने और ले जाने की व्यवस्था करना भी गलत है.
राजनीतिक दल और उम्मीदवार ये सुनिश्चित करें कि उनके समर्थक दूसरे दलों की सभाओं और रैली में रुकावट न डालें. किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता या समर्थक किसी दूसरी राजनीतिक पार्टी की सभाओं में लिखित-मौखिक सवाल पूछकर या अपनी पार्टी के पर्चे बांटकर अशांति न पैदा करें.
राजनीतिक पार्टियां उस स्थान से अपनी रैली नहीं निकाल सकती हैं जहां पहले ही किसी दूसरे दल की सभा आयोजित की जा रही है. इसके अलावा एक पार्टी द्वारा लगाए गए पोस्टर को दूसरी पार्टी के कार्यकर्ताओं नहीं हटा सकते.
घर के सामने नहीं कर सकते विरोध प्रदर्शन
हर किसी को अपने घर में शांतिपूर्वक रहने का अधिकार है. ये हक सबको मिलता है. भले ही किसी को राजनीतिक पार्टियों या उम्मीदवारों की राजनीतिक राय या काम पसंद न आएं.
किसी के विचारों या गतिविधियों का विरोध करने के लिए उनके घर के बाहर प्रदर्शन या नारेबाजी नहीं कर सकते. विरोध जताने के लिए और तरीके हैं, घर के बाहर जमा होना ठीक नहीं है.
कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार अपने समर्थकों को किसी भी व्यक्ति के घर, जमीन या परिसर की दीवार पर बिना इजाजत के झंडा लगाने, बैनर लटकाने, नोटिस चिपकाने या नारे नहीं लिख सकता.
जनसभा या रैली की जानकारी पहले पुलिस को देनी होगी
राजनीतिक दलों के लिए अपनी जनसभा या प्रचार कार्यक्रम की पूरी जानकारी स्थानीय पुलिस को देना जरूरी है. इसमें सभा का स्थान और समय शामिल है. इससे पुलिस को यातायात व्यवस्था संभालने और शांति बनाए रखने का इंतजाम करने में मदद मिलेगी.
साथ ही दलों को कोई सभा करने से पहले पता कर लेना चाहिए कि क्या उस इलाके में कोई पाबंदी या रोक लगाने का आदेश तो नहीं है. अगर ऐसी कोई पाबंदी है, तो उसका सख्ती से पालन करना होगा. अगर उस पाबंदी में छूट चाहिए, तो पहले आवेदन करके अनुमति लेनी होगी.
अगर जनसभा के लिए लाउडस्पीकर या किसी और चीज की इजाजत लेना अनिवार्य है, तो पार्टी या उम्मीदवार को संबंधित अधिकारी से समय से पहले आवेदन करना होगा. जनसभा में किसी भी गड़बड़ी करने वाले या अशांति फैलाने वाले व्यक्ति से निपटने के लिए वहां तैनात पुलिस की मदद लेंगे. आयोजक खुद ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते.
जुलूस निकालते समय इन नियमों का पालन जरूरी
जुलूस निकालने वाली पार्टी या उम्मीदवार को पहले ही तय कर लेना होगा कि जुलूस कहां और किस वक्त शुरू होगा? किस रास्ते से निकलेगा? कहां और किस वक्त खत्म होगा? जुलूस के रास्ते या समय में बिना वजह कोई बदलाव नहीं कर सकते. ट्रैफिक के नियमों का पालन करना होगा.
जुलूस को हमेशा सड़क के दाएं ओर ही चलना चाहिए और जुलूस के दौरान वहां तैनात पुलिस जो कहे, उसका पालन करन अनिवार्य है. अगर दो या ज्यादा पार्टियां या उम्मीदवार एक ही रास्ते या उसके कुछ हिस्सों से लगभग एक ही समय में जुलूस निकालना चाहते हैं, तो दोनों पार्टियों/उम्मीदवारों को पहले से ही आपस में बात कर लेनी चाहिए.
सरकारी खजाने से नहीं दिखा सकते विज्ञापन
आचार सहिंता के दौरान सरकारी खजाने से अखबार और दूसरे मीडिया चैनल में विज्ञापन दिखाने और सरकारी मीडिया का दुरुपयोग करने से पूरी तरह बचा जाना चाहिए. सरकारी मीडिया का इस्तेमाल चुनाव से जुड़ी खबरों को एकतरफा दिखाने या सत्ताधारी पार्टी की उपलब्धियों का प्रचार करने के लिए नहीं किया जा सकता है, जिससे सत्ताधारी पार्टी को चुनाव में फायदा हो. अगर पहले से कोई विज्ञापन चल रहा है तो उसे हटाना होगा.
सरकारी पैसे का नहीं कर सकते इस्तेमाल
मंत्री और अन्य अधिकारी सरकारी खजाने से किसी भी योजना के लिए भुगतान नहीं कर सकते और न ही कोई योजना की स्वीकृत दे सकते हैं. सरकारी कर्मचारियों के अलावा कोई भी मंत्री या अधिकारी किसी भी नई परियोजना या योजना की आधारशिला रखने का काम नहीं कर सकता. साथ ही सरकार कोई भी स्थायी या अस्थायी नियुक्ति नहीं कर सकती है.
अगर अचानक किसी तरह की कोई प्राकृतिक आपदा या महामारी आ जाती है और सरकार कोई उपाय करना चाहती है तो उसे पहले चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होगी.
सरकारी संपत्ति पर उम्मीदवारों का अधिकार
केंद्र और राज्य की सत्ता में रहने वाली पार्टी के नेता अपने आधिकारिक पद का इस्तेमाल चुनावी अभियान के लिए नहीं कर सकते. खास तौर से मंत्रीगण अपने सरकारी दौरे को चुनाव प्रचार के काम से नहीं मिलाएंगे और चुनाव प्रचार के दौरान सरकारी मशीनरी या कर्मचारियों का इस्तेमाल भी नहीं करेंगे.
चुनाव प्रचार के लिए सभा करने वाली जगह और हेलीपैड का इस्तेमाल करने का अधिकार सिर्फ सत्ताधारी पार्टी को नहीं होगा. दूसरी पार्टियों और उम्मीदवारों को भी इन सुविधाओं का इस्तेमाल करने की अनुमति उन्हीं नियमों और शर्तों पर मिलेगी जिन पर सत्ताधारी पार्टी इन्हें इस्तेमाल करती है.
सरकारी रेस्ट हाउस, डाक बंगला या अन्य सरकारी आवास पर राजनीतिक पार्टी जो सत्ता में है या उसके उम्मीदवारों का एकछत्र राज नहीं चलेगा. दूसरे दलों और उम्मीदवारों को भी ये जगह इस्तेमाल करने का समान हक होगा. लेकिन ध्यान रहे, कोई भी दल या उम्मीदवार इन सरकारी आवासों (और आसपास के इलाके) को चुनाव प्रचार के लिए जनसभा नहीं कर सकता है.
मंत्रियों पर पाबंदी
केंद्र सरकार या राज्य सरकार के मंत्री किसी भी मतदान केंद्र या मतगणना स्थल पर नहीं जा सकते हैं. सिर्फ उम्मीदवार, मतदाता या किसी उम्मीदवार के अधिकृत प्रतिनिधि के तौर पर ही वे इन जगहों पर जा सकते हैं.