बेंगलुरु के जल संकट का सबक ?

बेंगलुरु के जल संकट का सबक, इस तरह की समस्या से बचने के लिए तुरंत चेतने का संदेश

बेंगलुरु के हैब्बाल तालाब और चेल्ला केरे झील को देवनहल्ली में बन रहे नए इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए बनाए जा रहे एक्सप्रेस हाईवे का ग्रहण लग गया। कर्नाटक गोल्फ क्लब के लिए चेल्लाघट्टा झील को सुखाया गया तो कंटीरवा स्टेडियम के लिए संपंगी झील से पानी निकाला गया। अशोक नगर का फुटबाल स्टेडियम षुल्या तालाब था तो साईं हाकी स्टेडियम के लिए अक्कीतम्मा झील की बलि चढ़ाई गई।

 बेंगलुरु जैसे महानगर में उभरा जल संकट चेतावनियों पर समय रहते न चेतने का दुष्परिणाम है। वर्ष 2018 में दक्षिण अफ्रीका के शहर केपटाउन में पानी के भयंकर संकट को देखते हुए दुनिया के जिन 15 शहरों पर ‘शून्य जल’ स्तर के संकट का खतरा बताया गया था, उनमें भारत के बेंगलुरु का भी नाम था। इस पर ध्यान नहीं दिया गया और इसका ही परिणाम है कि भारत का ‘सिलिकन वैली’ कहा जाने वाला यह महानगर बीते कुछ दिनों से गंभीर जल संकट से दो-चार है। बेंगलुरु की जरूरत 2600 एमएलडी (मिलियन लीटर डे) है, लेकिन कावेरी नदी से मात्र 460 एमएलडी पानी ही मिल पा रहा है।

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