नौ सांसदों के साथ संसद में इटावा की धाक !
नौ सांसदों के साथ संसद में इटावा की धाक, देश में सात लोकसभा सदस्य वाला इकलौता जिला, दो राज्यसभा सदस्य भी
Etawah News: देश में 28 राज्य और आठ केंद्र शासित प्रदेश हैं, जिनमें कुल 797 जिले हैं। इनमें इटावा इकलौता जिला है, जिसके नौ सांसद लोकसभा और राज्यसभा में अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
इस बार संसद में इटावा की धाक है। जिले के रहने वाले नौ सांसद लोकसभा और राज्यसभा में अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पहली बार लोकसभा से सात लोग पहुंचे हैं। राज्यसभा में जिले के दो सदस्य पहले से हैं। देश में 28 राज्य और आठ केंद्र शासित प्रदेश हैं। इनमें कुल 797 जिले हैं।
मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार की वजह से इटावा की इन सभी जिलों में पहले से ही अलग धाक रही है। लेकिन इस बार संसद में इटावा सबसे मजबूत है। जहां एक ओर सपा ने लोकसभा में ऐतिहासिक प्रदर्शन करके 37 जीती हैं। वहीं इनमें से सात सांसद इटावा से ही हैं।
अकेले सैफई से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के परिवार से ही वह स्वयं कन्नौज से, उनकी पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से, चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव आजमगढ़ से, चचेरे भाई अक्षय यादव फिरोजाबाद से, चचेरे भाई आदित्य यादव बदायूं से सांसद बने हैं।
अखिलेश यादव
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की पुत्र वधु और अखिलेश यादव की पत्नी हैं। 2012 में वह कन्नौज में हुए उपचुनाव में निर्विरोध सांसद बन चुकी हैं। 2022 में मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी में हुई रिक्त सीट से उपचुनाव में सपा की तरफ से उन्होंने चुनाव लड़ा था। उस समय उन्होंने लगभग 2.88 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी सपा ने उन्हें ही चुनाव लड़ाया था। इस बार उन्होंने 2.21 लाख वोटों से जीत दर्ज की है।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव से तीन साल छोटे भाई अभयराम यादव के बेटे हैं। अभयराम यादव राजनीति से दूर हैं और वह गांव में खेती-बाड़ी का काम देखते हैं। मुलायम सिंह यादव ने 2004 में अपनी पैतृक सीट मैनपुरी देकर पहली बार धर्मेंद्र यादव को सांसद बनाया था। इसके बाद वह एक मैनपुरी और एक बार बदायूं के सांसद रहे। 2019 में उन्हें भी बदायूं से हार का सामना करना पड़ा था। 2022 में उन्हें आजमगढ़ से टिकट दिया गया था। यहां से उन्होंने 1.61 लाख वोटों से जीत दर्ज की है।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई और सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल के बेटे हैं। अक्षय 2014 से 2019 तक फिरोजाबाद से सांसद रह चुके हैं। 2019 में भी सपा ने फिरोजाबाद से ही उन्हें प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उस समय परिवार में फूटन की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भी सपा ने उन्हें फिरोजाबाद से ही टिकट दिया था। उन्होंने 89312 वोटों से जीत दर्ज की है।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव के बेटे हैं। सपा ने इस बार बदायूं में कार्यकर्ताओं की नाराजगी को देखकर शिवपाल सिंह यादव को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा था। शिवपाल सिंह यादव के मैदान में आने के बाद बदायूं के लोगों की नाराजगी दूर हो गई थी। कुछ दिन बाद पार्टी की ओर से शिवपाल के स्थान पर उनके स्थान पर आदित्य यादव को टिकट दिया था। आदित्य ने यहां से तमाम खींचतान के बीच लगभग 35 हजार वोटों से जीत दर्ज की है।
महेवा ब्लाक के सुनवर्षा गांव के मूल रूप से निवासी हैं। लगभग 20 साल से वह शहर में ही घर बनाकर रह रहे हैं। वह बसपा की पृष्ठभूमि से हैं। 2005 से लेकर 2020 तक बसपा में जिलाध्यक्ष, जिला महासचिव समेत तमाम पदों पर रहे हैं। 2020 में वह सपा में शामिल हुए। इसके बाद 2018 में हुए चुनावों में उनकी पत्नी ने सपा के टिकट से महेवा ब्लाॅक प्रमुख के रूप में जीत दर्ज की थी। 2024 में सपा ने उन्हें सांसद का टिकट दिया था। उन्होंने लगभग 58 हजार वोटों से जीत दर्ज की है।
बसपा सरकार में 2002 में बिधूना से विधायक और बाढ़ सहायता मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहे विनय शाक्य के भाई हैं। देवेश शाक्य भी मूल रूप से शुरुआत में बसपा में रहे हैं। वह लंबे समय से शहर के शांति कॉलोनी में रह रहे हैं। 2017 में दोनों भाई भाजपा में आ गए थे। 2022 में बदलाव करके स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ दोनों भाई सपा में आ गए थे। तब से वह यहीं हैं। देवेश शाक्य दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। 2012 में विधायक का चुनाव लड़े लेकिन जीत नहीं मिली थी। इस बार सपा ने उन्हें एटा से प्रत्याशी बनाया था। और उन्होंने लगभग तीस हजार वोटों से जीत दर्ज की है।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई और प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव हैं। वह सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। मुलायम सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सपा में राजनीति की शुरुआत की है। वर्तमान में सपा की ओर से राज्यसभा के सदस्य हैं।
औरैया के बिधूना के हमीरपुर गांव में जन्मी गीता शाक्य का भरथना क्षेत्र के सिन्हुआ गांव में शादी हुई थी। शिक्षिका गीता शाक्य सन 2000 में राजनीति में सक्रिय हुईं और पहली बार प्रधान बनीं। एक बार बिधूना से विधायकी का चुनाव हारने के बाद वह भाजपा में चली गई थीं। इसके बाद वह दो साल तक जिला औरैया की भाजपा जिलाध्यक्ष रहीं। इस समय प्रदेश की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद हैं।
इटावा जिले के 9 सांसद ….देश की राजनीति के इतिहास में बना नया रिकॉर्ड, अखिलेश डिंपल सहित सैफई परिवार के 5 सदस्य जीते सांसदी
देश की राजनीति में इटावा जिले का नाम एक अनोखा इतिहास दर्ज हो गया है। 18वीं लोकसभा में एक जिले से 7 सांसद जिले का प्रतिनिधित्व करेंगे। देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार कहे जाने वाले यूपी के सैफई समाजवादी परिवार के 5 सदस्यों ने 2024 के संसदीय चुनाव में जीत दर्ज करके एक नया रिकॉर्ड हासिल किया है।
वहीं इटावा के 9 सांसद जिले का प्रतिनिधित्व करेंगे। इसमें प्रोफेसर रामगोपाल यादव राज्यसभा सांसद और भाजपा से गीता शाक्य राज्यसभा सांसद भी शामिल है जोकि इटावा जिले के ही निवासी है। इस लिहाज से राजनीति के इतिहास में एक नया अध्याय लिख गया है।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व नगर अध्यक्ष वसीम चौधरी ऐसा मान रहे हैं कि देश प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले इटावा के सैफई परिवार के 5 निर्वाचित और जिले से 7 सांसद जब संसद में किसी मुद्दे पर चर्चा करेंगे तो जाहिर है कि बड़ा ही रोचक प्रसंग बन पड़ेगा। इस 18वीं लोकसभा का यह इकलौता मौका होगा जब देश के किसी भी राजनीतिक परिवार से एक साथ पांच सांसद निर्वाचित हुए हो।
एक ही जिले से 7 सांसद निर्वाचित हुए हो। नेता जी स्व. मुलायम सिंह यादव की वजह से छोटे से इस इटावा जिले को देश की राजनीति में एक अलग पहचान मिली है। संसद की कार्यवाई में जब एक साथ एक ही परिवार के पांच सदस्यों की इंट्री होगी तो सोचिए संसद का माहौल कैसा होगा। 2024 के संसदीय चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने खुद समेत पांच सदस्यों को चुनाव मैदान में उतारा था जिसमें सभी पांचो की जीत हो गई है।
सपा प्रदेश सचिव गोपाल यादव बताते है कि अपने परिवार के पांच सदस्यों के संसदीय चुनाव मैदान में उतारे जाने का भी वाक्या कम दिलचप्स नहीं है। होली के अवसर पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव भारतीय जनता पार्टी के परिवारवाद का जिक्र करते हुए बोले कि अब वो भी अपने परिवार को संसदीय चुनाव में उतारेंगे जिसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक-एक करके परिवार के पांच सदस्यों को चुनाव मैदान में उतारा।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुद अपनी परंपरागत सीट कन्नौज से चुनाव मैदान में उतरे तो अपनी पत्नी डिंपल यादव को मैनपुरी संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतारा। वही अपने चचेरे भाई पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा, तो पूर्व सांसद अक्षय यादव को फिरोजाबाद संसदीय सीट और पहली दफा अपने चचेरे भाई आदित्य यादव को बदायूं संसदीय सीट से चुनाव मैदान में सपा उम्मीदवार के रूप में किस्मत आजमाने उतारा था, जिसमें सभी परिवार के सदस्यों को सफलता मिली है।
कन्नौज लोकसभा सीट….
अखिलेश यादव करीब डेढ़ दशक बाद कन्नौज संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतरे जहां उन्हें भारतीय जनता पार्टी के सुब्रत पाठक के मुकाबले जीत हासिल हुई है। 2002 में अखिलेश यादव पहली बार कन्नौज संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे, तब उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के अकबर अहमद डंपी को पराजित किया था। जिसके बाद से लगातार निर्वाचित होते हुए चले आए।
2012 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार बनने पर अखिलेश यादव ने सांसद पद से इस्तीफा दिया तो उनकी पत्नी डिंपल यादव निर्विरोध निर्वाचित हुई, लेकिन 2019 में हुए संसदीय चुनाव में डिंपल यादव भारतीय जनता पार्टी के सुब्रत पाठक के मुकाबले मामूली अंतर से पराजित हो गई।
मैनपुरी लोकसभा सीट….
मैनपुरी संसदीय सीट से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने योगी सरकार के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह को पराजित किया है। नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके उत्तराधिकारी के रूप में डिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारा गया, जिसमे डिंपल यादव ने भाजपा के रघुराज सिंह शाक्य को करीब 288000 मतों से पराजित कर दिया।
इस बार डिंपल का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जयवीर सिंह से था चुनाव पूर्व ऐसा कहा जा रहा था कि डिंपल यादव को कड़ी टक्कर जयवीर सिंह के जरिए मिल रही है, लेकिन जब नतीजा सामने आया तो जयवीर सिंह चारों खाने चित हो गए।
फिरोजाबाद लोकसभा सीट…
फिरोजाबाद संसदीय सीट से पूर्व सांसद अक्षय यादव को जीत मिली है। उन्होंने अपने निकटतम विरोधी भाजपा के ठाकुर विश्वजीत सिंह को पराजित किया। अक्षय यादव 2014 में पहली बार फिरोजाबाद संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे, जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई थी। 2019 में फिर से उन्होंने चुनाव मैदान में उतारकर के किस्मत आजमाई, लेकिन समाजवादी परिवार में चल रहे अलगाव के चलते शिवपाल सिंह यादव के उतर जाने के कारण अक्षय यादव पराजित हो गए और चंद्रसेन जादौन की जीत हुई थी।
लेकिन नेताजी के निधन के बाद शिवपाल सिंह यादव ने अच्छे यादव को एक बार फिर से संसद पहुंचने का प्रण किया और फिरोजाबाद संसदीय क्षेत्र में की जान से चुनाव प्रचार में जताते हुए अपने भतीजे अक्षय यादव को संसद में पहुंचने की पुरजोर अपील की नतीजे के तौर पर अक्षय यादव एक बार फिर से सांसद निर्वाचित हो गए।
आजमगढ़ लोकसभा सीट….
पूर्वी उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ संसदीय सीट से पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था धर्मेंद्र यादव ने भारतीय जनता पार्टी के दिनेश लाल यादव को पराजित किया है। आजमगढ़ सीट से 2019 के संसदीय चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जीत हासिल की थी।
इसके बाद उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया तब धर्मेंद्र यादव ने उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में किस्मत आजमाई, लेकिन उपचुनाव में उन्हें भाजपा के दिनेश लाल यादव के मुकाबले हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद एक बार फिर से धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ सीट से उतर गया जहां उन्हें रिकार्ड मतों से जीत हासिल हुई है।
बदायूं लोकसभा सीट….
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव को बदायूं संसदीय सीट से चुनाव मैदान में पहली बार उतारा गया, आदित्य यादव ने संसदीय चुनाव की पहली पायदान पर ही कामयाबी हासिल कर ली है।
आदित्य यादव ने कांटे के संघर्ष में भाजपा के उम्मीदवार दुर्विजय सिंह शाक्य को पराजित कर दिया है। आदित्य के स्थान पर पहले शिवपाल सिंह यादव का नाम घोषित किया गया था। लेकिन नामांकन के आखिरी दिन आदित्य यादव के नाम की घोषणा कर दी गई।
सैफई परिवार के अलावा इटावा लोकसभा सीट से सपा के जितेंद्र दोहरे और इटावा निवासी एटा लोकसभा सीट से देवेश शाक्य भी सपा से लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए है। तो वही सपा से प्रो रामगोपाल यादव और भाजपा से गीता शाक्य पहले से ही राज्यसभा सांसद है। तो इस तरह से इटावा जिले के 9 सांसद जिले से प्रतिनिधित्व करेंगे।