कागज में भट्ठा बंद और मौके पर बनती मिलीं ईंट !

कागज में भट्ठा बंद और मौके पर बनती मिलीं ईंट
गाजियाबाद। राज्यकर विभाग ने ड्रोन कैमरों की मदद से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी का खुलासा किया है। गाजियाबाद और हापुड़ में कार्रवाई को अंजाम दिया गया, जहां अवैध तरीके से संचालित दो ईंट भट्ठे पकड़े गए हैं। इनमें एक ईंट भट्ठे का पंजीकरण रद्द कराकर उसे कागजों में बंद दिखाया जा चुका था लेकिन ड्रोन कैमरे से वीडियोग्राफी कराने पर हकीकत सामने आ गई। कर चोरी कर रहे दोनों ही भट्ठों में 51 लाख ईंटों और 17 टन कोयले का स्टॉक सीज किया गया है।

राज्य कर विभाग के अपर आयुक्त ग्रेड-1 दिनेश कुमार मिश्र ने बताया कि अवैध ईंट भट्ठे संचालित होने की सूचना के आधार पर रेकी और ड्रोन कैमरों से वीडियोग्राफी कराई जा रही है। गाजियाबाद और हापुड़ जिले में सबसे ज्यादा गड़बड़ी सामने आ रही है। इन दोनों ही जिलों में ऐसे भट्ठा कारोबारियों की जानकारी मिली है जो भट्ठा चला रहे हैं लेकिन सरकार को जीएसटी का भुगतान नहीं कर रहे हैं। विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा (एसआईबी) की अपर आयुक्त ग्रेड-2 सरिता सिंह की निगरानी में दो फर्मों की जांच कराई गई, जिसमें बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी की जानकारी मिली है।

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फर्जीवाड़ा-1
गाजियाबाद के गांव अटोर नंगला फिरोज मोहनपुर में माया ब्रिक कंपनी का दिसंबर 2023 में पंजीयन निरस्त कराया गया था। कर चोरी की मंशा से बिना पंजीकृत ईंट भट्ठा चलाया जा रहा था। एसआईबी रेंज ए के अधिकारियों ने मार्च के महीने से ईंट भट्ठे का संचालन जारी होने की जानकारी जुटाई। ड्रोन कैमरों से कराई गई वीडियोग्राफी और स्थलीय निरीक्षण के दौरान पथाई, भराई, फुंकाई और निकासी का कार्य होता मिला। संचालक मनबीर सिंह के ही पैन नंबर से माया ब्रिक कंपनी का संचालन हो रहा था लेकिन जानबूझकर पंजीयन रद्द करा दिया गया था। जांच टीम को मौके पर 26 लाख पकी ईंटे और 10 टन कोयले का स्टॉक मिला। इससे संबंधित कोई स्टॉक रजिस्टर, अभिलेख भी प्रस्तुत नहीं किया गया। टीम ने स्टॉक को सीज करते हुए कर, अर्थदंड की कार्रवाई शुरू कर दी है।

फर्जीवाड़ा-2
गाजियाबाद के साथ ही हापुड़ की एक अन्य फर्म सर्व श्री प्रधान भट्ठा कंपनी की भी जांच की गई। जीएसटी रिटर्न व अन्य दस्तावेज की जांच में पाया गया कि वर्ष 2022-23 में फर्म ने 51 लाख रुपये के कोयले की खरीद की थी, जबकि संबंधित वर्ष में ईंटों की बिक्री मात्र 6.5 लाख रुपये घोषित की गई थी। इसी तरह वर्ष 2023-24 में मात्र 17 लाख रुपये की बिक्री घोषित की गई है। अधिकारियों ने बताया कि फर्म की ओर से कम बिक्री दिखाकर कम टैक्स जमा किया जा रहा है। जांच टीम ने जानकारी जुटाने के बाद बीते सात जून को एसआईबी रेंज बी से ईंट भट्ठे की जांच कराई। व्यापार स्थल पर 16 पाए का हाईड्राइट भट्ठा चलता पाया गया। व्यापार स्थल पर कोई रिकॉर्ड लेखजोखा नहीं मिला। 25 लाख ईंट और सात टन कोयले का स्टॉक मौके पर पाया गया, जिसे जांच टीम ने सीज कर दिया। इस मामले में भी टैक्स और जुर्माने का आकलन किया जा रहा है।

आईटीसी की आड़ में चल रहा खेल
अपर आयुक्त ग्रेड-1 ने बताया कि समाधान योजना के अंतर्गत एक अप्रैल 2022 से ईंट भट्ठा पर छह और 12 प्रतिशत टैक्स देयता निर्धारित है। समाधान योजना का विकल्प चुनने वाले कारोबारी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के बिना छह प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करते हैं। जो कारोबारी योजना का विकल्प नहीं चुनना चाहते उन्हें आईटीसी के साथ 12 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करना होता है। विस्तृत जांच में पाया गया कि गाजियाबाद जोन के अंतर्गत आने वाले बुलंदशहर के 247 में से 228 भट्ठा कारोबारी समाधान योजना को अपनाकर छह प्रतिशत की दर से बिना आईटीसी क्लेम किए ही टैक्स का भुगतान कर रहे हैं। यहां प्रतिवर्ष टैक्स की देयता बढ़ रही है। जबकि गाजियाबाद जोन के अंतर्गत आने वाले हापुड़, मोदीनगर और गाजियाबाद में पंजीकृत भट्ठा कारोबारी समाधान योजना का विकल्प नहीं अपनाते हुए ईंट के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल (जैसे-कोयला, रोडी, बदरपुर, बालू, मिट्टी आदि) पर आईटीसी क्लेम करते हुए 12 प्रतिशत की दर से कर का भुगतान कर रहे हैं, जिसे संदेह के दायरे में लेते हुए जांच शुरू कराई गई है। जांच में सामने आया है कि अधिकांश भट्ठा संचालक समय से जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं।

14.15 करोड़ रुपये मिला टैक्स
गाजियाबाद, हापुड़, मोदीनगर और बुलंदशहर के अंतर्गत आने वाले ईंट भट्ठों से वर्ष 2022-23 में 12.05 करोड़ रुपये टैक्स मिला था, जबकि वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 14.15 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

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