ग्वालियर : गलती विभाग की, लाभ स्कूलों को मिला, अभिभावकों में निराशा ?
गलती विभाग की, लाभ स्कूलों को मिला, अभिभावकों में निराशा
स्कूलों की मनमानी फीस को बढ़ाने के मामले में उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है, क्योंकि भोपाल से दिशा निर्देश जारी हुए जिसमें फीस वृद्धि की स्कूल द्वारा जिला शिक्षा विभाग को जानकारी न देना शिक्षा विभाग की गलती मानी गई है। जिस पोर्टल पर स्कूलों को अपनी समस्त जानकारी अपलोड करनी थी वह पोर्टल काम ही नहीं कर रहा था।
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- जिस पोर्टल पर जानकारी देनी थी वह काम नहीं कर रहा
- 35 स्कूलों की जांच में तीन स्कूलों ने बढ़ाई 10 फीसदी से ज्यादा फीस
ऐसे में निजी स्कूल संचालक अपनी जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं कर सके और जिला शिक्षा विभाग को बढ़ाई गई फीस के बारे में सूचना नहीं देना, उनकी गलती नहीं मानी गई। स्कूल संचालकों को दस फीसद तक की फीस वृद्धि की जानकारी जिला शिक्षा विभाग कार्यालय में या पोर्टल पर देनी थी।
पोर्टल संचालन न होने का लाभ निजी स्कूल संचालकों को मिला लेकिन इससे उन अभिभावकों को निराशा मिली जिन्होंने स्कूलों की मनमानी के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी और खुलकर सामने आकर शिकायत की थी। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश भर के स्कूलों की जानकारी आनलाइन करने के लिए एक पोर्टल का संचालन शुरू किया था। जिस पर सभी स्कूलों को अपनी जानकारी अपलोड करनी थी।
यह था मामला
जिले में निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ प्रशासन के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने जांच शुरू की थी। 35 स्कूलों की जांच में पाया कि तीन स्कूल ऐसे थे जिन्होंने 10 फीसद से अधिक फीस बढ़ाई पर जिला शिक्षा समिति से अनुमति तक नहीं ली। इसके अलावा ऐसे स्कूल भी थे जिन्होंने दस फीसद से कम फीस बढ़ाई पर उसकी जानकारी उन्होंने शिक्षा विभाग तक नहीं पहुंचा। ऐसे स्कूलों की संख्या 21 थी। इसको लेकर जिला शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूलों के खिलाफ एक्शन लेने से पहले भोपाल से मार्गदर्शन मांगा था।
जिन स्कूल संचालकों ने दस फीसद तक फीस बढ़ाई और जिला शिक्षा कार्यालय में जानकारी नहीं दी। उनके खिलाफ कार्रवाई करने से पहले मार्गदर्शन मांगा था जिसमें भोपाल से उन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई ना करने के लिए कहा गया। क्योंकि फीस की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी थी पर पोर्टल उस दौरान संचालित नहीं था।
अजय कटियार, जिला शिक्षा अधिकारी