घर बैठे तुरंत हो सकेगी ई-एफआईआर ?
अब हत्या, लूट, बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों में भी घर बैठे तुरंत हो सकेगी ई-एफआईआर
1. ई-एफआईआर
पहले… मप्र में अब तक ई एफआईआर साधारण चोरी और वाहन चोरी जैसे अपराधों के लिए आईपीसी की धारा 379 में की जाती थी। इनमें तीन साल तक सजा का प्रावधान है। अब… हत्या, लूट या बलात्कार जैसी गंभीर धाराओं में भी ई-एफआईआर हो सकेगी। वॉइस रिकॉर्डिंग से भी पुलिस को सूचना दे सकेंगे। ई एफआईआर के मामले में फरियादी को तीन दिन के भीतर थाने पहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर साइन करने होंगे।
2. जीरो एफआईआर
पहले… जीरो एफआईआर यानी घटना किसी भी जिले की हो, उसकी FIR दूसरे जिले के थाने में दर्ज करवा सकते हैं। पहले फरियादी को थाना क्षेत्र का हवाला देकर लौटा दिया जाता था।
अब… नए बदलावों के तहत जीरो एफआईआर को कानूनी तौर पर मेंडेट कर दिया है। अपना क्षेत्र न होने का हवाला देकर फरियादी के साथ टालामटोली करने वाले पुलिसकर्मी पर निलंबन जैसी विभागीय कार्रवाई भी की जा सकती है।
3 . केस की प्रोग्रेस SMS पर
पहले… फरियादी को थाना स्टाफ से अपने केस की जानकारी लेने में परेशान होना पड़ता था। ‘जांच चल रही है’ कहकर उसे थाने से लौटा दिया जाता था। आरटीआई तक लगानी पड़ती थी। अब… पीड़ित को उसके केस से जुड़े हर अपडेट की जानकारी हर स्टेज पर उसके मोबाइल नंबर पर एसएमएस से मिलेगी। यानी केस में हो रही हर अपडेट फरियादी को बतानी होगी। अपडेट देने की समय सीमा 90 िदन निर्धारित की गई है।
4 . सारे दस्तावेज मिलेंगे
पहले… फरियादी को एफआईआर की कॉपी लेने के लिए भी परेशान होना पड़ता था। ये आरोप भी लगते रहे कि फरियादी ने पुलिस को जो बयान दिया, वह कोर्ट में बदलकर पेश कर दिया गया।
अब…फरियादी को एफआईआर, बयान से जुड़े दस्तावेज भी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। फरियादी चाहे तो पुलिस द्वारा आरोपी से हुई पूछताछ के बिंदु भी ले सकता है। यानी वे पेनड्राइव में अपने बयान की कॉपी ले सकेंगे।
5 . एकतरफा खात्मा नहीं
पहले… हर साल प्रदेशभर में करीब 500 ऐसे केस राज्य शासन अपने स्तर पर ही बंद कर देता था, जो राजनीतिक होते थे। जैसे किसी पार्टी कार्यकर्ताओं पर धरने-प्रदर्शन के दौरान दर्ज केस।
अब… राज्य शासन अब ऐसे केस एकतरफा बंद नहीं कर सकेगा। धरना-प्रदर्शन, उपद्रव में यदि फरियादी आम नागरिक है तो उसकी मंजूरी लेनी होगी। धरना-प्रदर्शन के दौरान किसी नागरिक के साथ मारपीट या वाहन में तोड़फोड़ होने पर फरियादी आम नागरिक होता है।
6 . पीड़ित को मुआवजा
पहले… अब तक केवल एससी-एसटी के प्रकरणों में पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत भुगतान किए जाते थे। ये रकम एफआईआर, चालान और सजा होने पर तीन किस्तों में जारी की जाती थी।
अब… केंद्र की मदद से राज्य सरकार पीड़ित या उसके आश्रितों के लिए पीड़ित प्रतिकर स्कीम तैयार करेगी। ऐसे पीड़ित, जिन्हें अपराध के कारण नुकसान हुआ है व जिन्हें पुनर्वास की जरूरत है। सरकार के विवेक पर होगा कि प्रतिकर योजना का लाभ किस तरह के अपराधों में दें।
7 . छोटे अपराधों पर भी गंभीर
पहले… दुर्व्यवहार व हाथापाई जैसे छोटे अपराध (असंज्ञेय), जो पुलिस के सीधे हस्तक्षेप योग्य नहीं होते, में पुलिस धारा 155 के तहत एनसीआर काटकर फरियादी को कोर्ट जाने की सलाह दे देती थी।
अब… स्टाफ को थाने में दर्ज असंज्ञेय अपराधों की जानकारी भी संभालकर रखनी होगी। हर 15 दिन में मजिस्ट्रेट को जानकारी देनी होगी।