कैसे न्यायिक जांच हाथरस में हुई मौतों का सच सामने लाएगी ?

कैसे न्यायिक जांच हाथरस में हुई मौतों का सच सामने लाएगी, यह CBI इंवेस्टिगेशन से कितनी अलग?
Hathras Satsang Stampede: यूपी के हाथरस में भोलेबाबा के सत्संग में भगदड़ से 121 मौते हुईं. बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घायलों से मुलाकात करने हाथरस के जिला अस्प्ताल पहुंचे और जुड़ीशियल इंक्वॉयरी यानी न्यायायिक जांच कराने की बात कही. ऐसे में सवाल है कि क्या होती है न्यायिक जांच, यह सीबीआई और दूसरी जांच एजेंसियों से कितनी अलग है और कैसे तैयार होती है रिपोर्ट?
कैसे न्यायिक जांच हाथरस में हुई मौतों का सच सामने लाएगी, यह CBI इंवेस्टिगेशन से कितनी अलग?

हाथरस मामले में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने न्‍यायिक जांच कराने का निर्देश दिया है.

उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोलेबाबा के सत्संग में भगदड़ से 121 मौते हुईं. हाथरस, अलीगढ़, एटा और आगरा में रातभर मृतकों के पोस्टमॉर्टम किए गए. बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घायलों से मुलाकात करने हाथरस के जिला अस्प्ताल पहुंचे और जुड़ीशियल इंक्वॉयरी यानी न्यायिक जांच कराने की बात कही. मुख्यमंत्री ने कहा, यह हादसा साजिश जैसा है. लोग मरते रहे और सेवादार भाग गए. न तो उन्होंने प्रशासन की मदद ली और न ही प्रशासन की मदद की. प्रशासन की टीम जब मौके पर पहुंची तो सेवादारों में उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया.

अब इस पूरे मामले की न्यायिक जांच होगी. जिसमें कई बातें सामने आएंगीं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि जांच टीम में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज, पुलिस के वरिष्ठ रिटायर्ड ऑफिसर की टीम भी शामिल होगी. जो दोषी है उसे सजा दी जाएगी. ऐसे में सवाल है कि क्या होती है न्यायिक जांच, यह सीबीआई और दूसरी जांच एजेंसियों से कितनी अलग है और कैसे तैयार होती है रिपोर्ट?

क्या होती है न्यायिक जांच?

जुडिशियल इंवेस्टिगेशन के निर्देश तब दिए जाते हैं जब कोई बहुत गंभीर घटना होताी है. जैसे-साम्प्रदायिक दंगे या बड़ी संख्या में मौतें. या फिर भ्रष्टाचार के मामले में किसी मंत्री के पड़ने जाने पर . गंभीर घटनाओं में जनता से लेकर वकील, पीड़ित और विपक्ष दल न्यायिक जांच की मांग करते हैं. गंभीर मामलों में न्यायिक जांच की मांग इसलिए की जाती है क्योंकि माना जाता है कि इसमें किसी तरह की धांधली नहीं होती. यह प्रभावित नहीं होगी. लोगों को न्यायिक जांच पर ज्यादा भरोसा होता है और न्यायिक जांच की जिम्मेदारी जजों के हाथों में होती है.

कौन करता है यह जांच, कैसे तैयार होती है रिपोर्ट?

भारत में न्यायिक जांच करने की जिम्मेदारी वर्तमान जज या सेवानिवृत्त जज को दी जाती है. हालांकि, जांच करने वाले जजों की संख्या एक की जगह दो भी हो सकती है. जांच के लिए समय-सीमा भी तय की जाती है. मुख्य जांचकर्ता को सहायक और दूसरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. न्यायिक जांच करने वाला घटनास्थल का मुआयना करता है. गवाहों के बयान लेता है और सबूतों को खुद परखता है. इन सबके आधार पर एक तय सीमा में वह जांच रिपोर्ट तय करता है.

पुलिस और CBI की जांच से न्यायिक जांच कितनी अलग

प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जांच के लिए पुलिस और सीबीआई, जांच अधिकारी की नियुक्ति करते हैं. जांच अधिकारी या तो पुलिस से होगा या सीबीआई से. जांच अधिकारी पूरी इंवेस्टिगेशन करने के बाद चार्जशीट तैयार करता है और इसे अदालत में पेश करता है.

अब हाथरस में भगदड़ के बाद हुई मौतों की जांच होगी. सामने आएगा कि सत्संग कार्यक्रम में 121 मौतों की असल वजह आखिर क्या थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच के निर्देश दे दिए हैं. इस प्रकार की घटना की दोबारा न हो इसके बारे में सुझाव और गाइडलाइन बनाई जाएगी.

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