घोटाला, इस्तीफा और विवाद…जब प्रधानमंत्री ने बजट पेश किया !

घोटाला, इस्तीफा और विवाद… जब प्रधानमंत्री ने बजट पेश किया और घोषणाओं से चौंकाया भी
Budget 2024: पिछले 77 सालों के इतिहास में देश के 3 प्रधानमंत्री ऐसे भी रहे जिन्होंने संसद में बजट पेश किया. इसके साथ ही उन्होंने कई ऐसी घोषणाएं भी की जो चर्चा में रहीं. पढ़ें उनके बजट में क्या खास था और वित्त मंत्री की जगह उन्हें क्यों पेश करना पड़ा बजट?
घोटाला, इस्तीफा और विवाद... जब प्रधानमंत्री ने बजट पेश किया और घोषणाओं से चौंकाया भी

पंडित जवाहर लाल नेहरू बजट पेश करने वाले पहले प्रधानमंत्री थे.

केंद्रीय बजट पेश करने की जिम्मेदारी वित्त मंत्री की होती है, लेकिन कई ऐसे भी मौके जाए जब देश के प्रधानमंत्रियों ने सदन में बजट पेश किया. इस दौरान रिकॉर्ड भी बने और कई ऐसी घोषणाएं भी हुईं, जिसने देशवासियों को चौंका दिया. ये बजट कई मायनों में खास रहे क्योंकि वित्त मंत्री की गैरमौजूदगी ने लोगों का ध्यान खींचा. अब एक बार फिर बजट पेश होने वाला है. 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी. वित्त मंत्री के रूप में यह उनका 7वां बजट है.

पंडित नेहरू: वो मुद्रा घोटाला और गिफ्ट टैक्स की घोषणा

पंडित जवाहर लाल नेहरू बजट पेश करने वाले पहले प्रधानमंत्री थे. वित्त वर्ष 1958-59 का बजट उन्होंने पेश किया. पहले यह बजट तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामाचारी पेश करने वाले थे लेकिन उनका नाम मुद्रा घोटाले में आने के कारण इस्तीफा देना पड़ा था. वित्त मंत्री के इस्तीफे के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने वित्त मंत्रालय का प्रभार संभालते हुए बजट पेश किया.

इंदिरा गांधी: वित्त मंत्री को पार्टी से बाहर कर बजट पेश किया, EPF पर घोषणा

70 के दशक में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मोरारजी देसाई ने पार्टी में बगावत का बिगुल फूंक दिया था. तत्कालीन उपप्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के पास वित्त मंत्रालय का भी प्रभार था. मोरारजी देसाई की बगावत पर कांग्रेस ने सख्त आपत्ति जताते हुए 12 नवंबर 1969 को उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया. वित्त मंत्री न होने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली और 28 फरवरी 1970 को प्रधानमंत्री के रूप में पहला बजट पेश किया.

उस बजट में उन्होंने कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) को लेकर बड़ी घोषणा की. बजट में कर्मचारी के 8 प्रतिशत हिस्से और संस्था की भागीदारी के अलावा सरकारी सहयोग की घोषणा की गई, जिसके तहत कर्मचारी की मौत के बाद फैमिली पेंशन के रूप में एकमुश्त राशि परिवार को दी जाएगी.

राजीव गांधी: वित्त मंत्री से विवाद हुआ, कॉर्पोरेट टैक्स लागू करके चौंकाया

साल 1987-88 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बजट पेश करने की वजह विवाद रहा. उनके कार्यकाल में तत्कालीन वित्त मंत्री वीपी सिंह का राजीव गांधी से विवाद हुआ. लगातार बढ़ते विवाद और पार्टी के दबाव में आकर वीपी सिंह ने बजट से कुछ समय पहले जनवरी, 1987 अपने इस्तीफा दे दिया. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव ने वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली ओरबजट पेश किया.

अपने बजट में उन्होंने कॉर्पोरेट टैक्स लागू करके देशवासियों को चौंकाया. इसे मिनिमम ऑल्टरनेट टैक्स भी कहा गया. वहीं, विदेशी यात्रा के लिए भारत में जारी होने वाले फॉरेन एक्सचेंज पर 15 प्रतिशत की दर से टैक्स देने का नियम लागू किया गया.

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