कोटा के अस्पताल में महीने भर में क्यों हुई 102 बच्चों की मौत, AIIMS के डॉक्टर करेंगे पड़ताल

कोटा: जिले के जेके लोन अस्पताल में मासूमों की मौतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. दिसंबर से लेकर अब तक कुल 102 बच्चों की मौत हो चुकी है. अस्पताल में संसाधनों का अभाव है तो चारों ओर गंदगी भी फैली है. संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल वेंटिलेटर पर है तो इन बच्चों की मौत पर पूरे देश में राजनीति भी हो रही है.

इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन (Harsh Vardhan) ने ट्वीट कर कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय का ओर से एक हाईलेवल टीम रवाना की गई है. इस टीम में एम्स जोधपुर (AIIMS Jodhpur) के विशेषज्ञ और स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय निदेशक भी शामिल हैं. ये टीम कल कोटा पहुंचेगी.

उन्होंने बताया कि उनकी ओर से सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) को आश्वस्थ किया गया है कि कोटा में बच्चों की मौत के सिलसिले को रोकने के लिए हरसंभव सहायता दी जाएगी.

एक महीने में मौत का आंकड़ा 102 के पार पहुंच गया है. 1 जनवरी को अस्पताल में 4 दिन की बच्ची की ठंड से मौत हो गई, वहीं 2 जनवरी तक 2 और बच्चे काल के गाल में समा गए. 30 और 31 दिसंबर को कुल 9 बच्चों की मौत हुई. अस्पताल प्रशासन की सभी कोशिशें नाकाम हो रही हैं. इतनी मौतों के बाद भी नज़र कोई बदलाव नहीं आ रहा है.

शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉ. अमृत लाल बैरवा ने बताया कि अस्पताल में ये ज्यादातर रेफरल बच्चे हैं. ये सब बाहर से रेफर होकर आए हैं. इनमें बारां और कोटा ग्रामीण क्षेत्रों से हैं. ये न्यू बॉर्न थे. इन बच्चों में जन्म से ही सांस नहीं आया और जब आया तब दिमाग पर असर कर गया. इस कारण इनकी मौतें हुई हैं.

बता दें 24 दिसंबर तक बच्चों की मौत का आंकड़ा 77 था. उसके बाद 25 दिसंबर से सात दिन में 22 बच्चों की मौत हो चुकी है यानी दिसंबर से जनवरी तक माह में अस्पताल में बच्चों की मौत का आंकड़ा 102 तक पहुंच चुका है.
जानकारी के मुताबिक, एनआईसीयू में न्यू बॉर्न बेबी को रखा जाता है. यहां एक माह से कम उम्र के बच्चों को रखते हैं लेकिन सेंट्रल ऑक्सीजन लाइन नहीं डली है. पीआईसीयू में ऑक्सीजन लाइन है. यहां एक माह से अधिक उम्र के बच्चों को रखते हैं लेकिन वहां भी भर्ती बच्चे दम तोड़ रहे हैं.

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