शरणार्थियों के लिए बसा था दिल्ली का राजेंद्र नगर ….दिल्ली का राजेंद्र नगर बन गया कोचिंग सेंटरों का अड्डा …

शरणार्थियों के लिए बसा था दिल्ली का राजेंद्र नगर, अब बन गया कोचिंग सेंटरों का अड्डा

दिल्ली के राजेंद्र नगर में हर छह माह में करीब 20 हजार नए छात्र कोचिंग के लिए दूसरे राज्यों से यहां आते हैं। यह इलाका काफी पुराना है। सड़क और मकानों की सीढ़ियों के नीचे ड्रेनेज और सीवरेज ढक गए हैं। संसद और राष्ट्रपति भवन से मात्र पांच किलोमीटर दूरी पर बसे ओल्ड राजेंद्र नगर को अविभाजित भारत के पंजाब से आए लोगों को रहने के लिए बसाया गया था।

दिल्ली का राजेंद्र नगर बन गया कोचिंग सेंटरों का अड्डा …
  1. पुराने समय का है ड्रेनेज।
  2. निचले इलाके में होने की वजह से हो जाता है वर्षा के कारण जलभराव।

नई दिल्ली। संसद और राष्ट्रपति भवन से मात्र पांच किलोमीटर दूरी पर बसे ओल्ड राजेंद्र नगर को अविभाजित भारत के पंजाब से आए लोगों को रहने के लिए बसाया गया था। भारत के विभाजन के दौरान आए इन लोगों को यहां पर रहने के लिए नीचे दुकान और और ऊपर मकान दिया गया था।

चूंकि भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद थे तो उन्हीं के नाम पर इस कॉलोनी को बसाया गया था। लुटियंस दिल्ली के नजदीक होने की वजह से यह इलाका तेजी से विकसित होने लगा। अब यहां पर करीब एक लाख लोग रहते हैं और 25 हजार मकान हैं।

इस इलाके में 20 हजार नए छात्र यहां पर हर छह माह में देश के विभिन्न राज्यों से आईएएस और आईपीएस बनने का सपना लेकर कोचिंग के लिए आते हैं। यहां बनी कोचिंग सेंटरों की आय का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पूरे इलाके में लाखों रुपये अपनी प्रतिष्ठा को बनाने में खर्च करते हैं।

वसूली जाती है दो लाख तक सालाना फीस

जिस मार्ग पर राव कोचिंग सेंटर चल रहा है, वह सतपाल भाटिया मार्ग है। पूरे मार्ग पर कोचिंग सेंटरों की बाढ़ है। 80 हजार सालाना से लेकर दो लाख रुपये सालाना की फीस वसूली जाती है। यह इलाका पहले रिहायशी था, लेकिन व्यावसायिक गतिविधियों के चलते इस मार्ग को नोटिफाइड कर्मिशियल में तब्दील कर दिया गया है।

ड्रेनेज सिस्सट की समस्या नहीं सुधरी

यानि यहां पर कन्वर्जन चार्ज देकर पूरी इमारत का व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है। व्यावसायिक उपयोग होने की यहां पर आने वाले लोगों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन नहीं दुरुस्त हो रहा है वो है यहां का ड्रेनेज सिस्टम।

ईंट से बना है नाला, सीवर है रोड से ऊंचा

यहां पर बना हुआ यह नाला इतना पुराना है कि ईंट से बना हुआ है और यह पूरी तरह से ढक गया है। यहां से निकलने वाले सीवरेज और ड्रेनेज का निकास पूसा रोड पर है। जो कि इस इलाके से करीब दो फुट ऊंचा है। जिसकी वजह से पानी इतनी तेजी से नहीं निकल पाता है, जितना की निकलना चाहिए।

पूरा नाला ढक गया

साथ ही नाला पूरा ही सड़क के नीचे ढक गया है और जो ड्रेनेज की लाइन हैं उसके ऊपर भी कब्जा हो गया जो कि संपत्ति मालिकों ने उसे ढक लिया है। इसकी वजह से मैनुअल तरीके से नाले की सफाई नहीं हो पाती है।

निगम या तो शंकर रोड की तरफ से प्रवेश करते ही सतपाल भाटिया मार्ग के गोल चक्कर पर बने आउटफाल से ही सफाई करते हैं। जबकि एक किलोमीटर के इलाके में सफाई करने की व्यवस्था ही नहीं है।

स्थानीय लोगों का आरोप हैं कि इस साल तो वह भी सफाई नहीं हुई। इसकी वजह से वहां पर पानी जमा हो गया और तेज वर्षा में निकासी न होने की वजह से घुटनों से ज्यादा पानी जमा होने से कोचिंग सेंटर की बेसमेंट में पानी घुस गया।

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