:चाहे सोना कम तौलो या आलू; नुकसान में अंतर लाखों का, दुकानदार पर जुर्माना ढाई हजार
मप्र में नाप-तौल विभाग के अजीब नियम:चाहे सोना कम तौलो या आलू; नुकसान में अंतर लाखों का, दुकानदार पर जुर्माना ढाई हजार
सब्जी मंडी में आलू-प्याज तौलने वाले कांटा-बांट पर सील नहीं लगी है तो ढाई हजार जुर्माना लगता है, लेकिन सर्राफा दुकानों के लिए भी यही नियम है। एक ग्राम सोना भी कम होने पर हजारों ग्राहकों के साथ करोड़ों की हेराफेरी हो जाती है, लेकिन नाप-तौल विभाग ज्वेलर्स पर भी वही ढाई से 5 हजार का जुर्माना लगाता है, जो फल-सब्जी दुकानों पर लगता है।
नाप-तौल में ठगी के केस में ढाई हजार रु. से 5 हजार का मामूली जुर्माना भरने पर ही केस खत्म हो जाता है। मनमर्जी के कांटे फिर हेराफेरी में लग जाते हैं। वर्ष 2023-24 में नाप-तौल विभाग ने प्रदेश में कुल 97,685 दुकानों पर निरीक्षण किया। इनमें से 5,676 केस दर्ज किए गए। इनमें अधिकांश दुकानों पर कांटों का सत्यापन नहीं हुआ था। हैरानी की बात ये है कि 5108 (90%) मामलों में सरकार ने जुर्माना लेकर समझौता कर लिया। विधिक माप विज्ञान एक्ट-2009 में जो नियम बनाया है उसके मुताबिक 4 माह में दुकानदार जुर्माना भर देता है तो केस खत्म जो जाता है। ग्राहक के नुकसान की भरपाई के लिए नियम नहीं है।
तीन चरणों में होती है विभाग की कार्रवाई
- चरण एक जांच- विभाग चेक करता है तराजू, बांट पर सील है या नहीं। कम तौल तो नहीं कर रहे।
- जुर्माना- सील नहीं है और कम तौल हो रही है तो पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाता है।
- समझौता- गड़बड़ी पकड़े जाने पर केस दर्ज होता है। यदि चार माह में दुकानदार जुर्माना भर दे तो केस खत्म।
नुकसान में लाखों का अंतर… लेकिन जुर्माने में नहीं
- ज्वेलर- रोशनपुरा के राजलक्ष्मी ज्वेलर्स और टीटी नगर के मंगलम ज्वैलर्स की जांच में इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटा सत्यापित नहीं मिला। केस दर्ज हुआ। ढाई हजार जुर्माना।
- किराना स्टोर- हनीफ कॉलोनी स्थित जय गुरुदेव किराना और अशोका गार्डन के अग्रवाल किराना स्टोर पर इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटा सत्यापित नहीं मिलने पर ढाई हजार रु. जुर्माना।
- फल-सब्जी- काकडा कांप्लेक्स में श्री कृष्ण फ्रूट एवं सब्जी भंडार, करोंद चौराहे के पास राजेंद्र की फल-सब्जी की दुकानों पर कांटा-बांट का सत्यापन नहीं मिला। ढाई हजार रु. जुर्माना।
एक्सपर्ट- समझौते के प्रयास में उपभोक्ताओं से छल
विधिक माप विज्ञान एक्ट-2009 की पालना के लिए राज्यों को अपने नियम तय करने थे। मप्र सरकार ने नियम बनाया है, पर समझौता करने से ग्राहकों से हेराफेरी करने वालों को मामूली जुर्माना देने से राहत मिल जाती है। यह उपभोक्ताओं से छल है।
अध्यक्ष, कंज्यूमर कोऑर्डिनेशन काउंसिल