विनेश फोगाट ने 53 के बजाय 50 किलोग्राम कैटेगरी लेकर रिस्क लिया!

विनेश फोगाट ने 53 के बजाय 50 किलोग्राम कैटेगरी लेकर रिस्क लिया!
त भर विनेश फोगाट ने दौड़, स्किपिंग और साइकलिंग कर अपने वजन को कम करने की कोशिश की, जिसमें वो असफल रहीं। स्वयं इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष पीटी उषा और विनेश फोगाट के न्यूट्रिशियन दिनशॉ पारदीवाला ने कोशिश की।

Olympic Games Paris 2024: Vinesh Phogat took a risk by taking 50 kg category instead of 53

विनेश फोगाट – फोटो : https://www.instagram.com/vineshphogat/

भारतीय रेसलर विनेश फोगाट जैसे ही पेरिस ओलंपिक-2024 में वूमेन रेसलिंग की 50 किलोग्राम कैटेगरी में फाइनल में पहुंची थीं, देश में एक अलग सा उल्लास छा गया था। गोल्ड नहीं तो सिल्वर पक्का था। चंद घंटों में यह खुशी उदासी में बदल गई, क्योंकि विनेश फोगाट अपनी कैटेगरी में तय वजन से 100 ग्राम अधिक पाई गईं। इंटरनेशनल रेसलिंग फेडरेशन के नियम बेहद सख्त होते हैं। एक ग्राम वजन भी अधिक होता है तो रेसलर को अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। ऐसा नहीं है कि विनेश फोगाट इन नियमों से अनभिज्ञ थीं, क्योंकि एक रात पहले उन्हें पता था कि उनका वजन अधिक है।

फाइनल में जाने से पहले उन्होंने अपना वजन कम करने की कोशिश की थी। विनेश फोगाट टोक्यो ओलंपिक-2020 में 53 किलोग्राम कैटेगरी में खेली थीं, लेकिन पेरिस ओलंपिक में उन्होंने 50 किलोग्राम कैटेगरी क्यों लीं? जबकि महिला रेसलर के लिए वजन कम करना बेहद मुश्किल माना जाता है। क्या विनेश फोगाट ने कैटेगरी बदलकर बड़ा रिस्क लिया? यह ऐसा प्रश्न है, जिसका उत्तर विनेश फोगाट के पास ही है।

पहले नियमों की बात करते हैं। महिलाओं की फ्रीस्टाइल रेसलिंग में 50, 53, 57, 62, 68 और 76 किलोग्राम की कैटेगरी होती हैं। मुकाबले से पहले सुबह रेसलर का वजन मापा जाता है। टूर्नामेंट के दोनों दिन रेसलर को अपने वजन के भीतर रहना होता है। यदि रेसलर फाइनल में पहुंचता है तो उसे सुबह अपना वजन कराना होता है। विनेश फोगाट मंगलवार को मुकाबले के लिए जब गईं तो उनका वजन तय मानक से अधिक था।

मंगलवार रात भर विनेश फोगाट ने दौड़, स्किपिंग और साइकलिंग कर अपने वजन को कम करने की कोशिश की, जिसमें वो असफल रहीं। स्वयं इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष पीटी उषा और विनेश फोगाट के न्यूट्रिशियन दिनशॉ पारदीवाला ने कोशिश की। उन्होंने विनेश के बाल काटे, उसके कपड़े छोटे किए।

भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने एक चैनल से बातचीत में इसका बात का खुलासा किया कि फाइनल में जाने से पहले विनेश फोगाट का वजन दो किलोग्राम अधिक था। कोशिशों के बावजूद विनेश 1.8 किलोग्राम से अधिक वजन कम नहीं कर पाई। विनेश के ताऊ महावीर फोगाट ने भी स्पष्ट किया है कि नियमों के अनुसार फैसला लिया जाता है। एक ग्राम भी वजन ज्यादा हो जाए तो अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।

विनेश फोगाट का यह तीसरा ओलंपिक खेल है। रियो ओलंपिक-2016 में उन्होंने 48 किलोग्राम कैटेगरी में भाग लिया था। टोक्यो ओलंपिक-2020 में वो 53 किलोग्राम कैटेगरी में खेलीं, लेकिन पेरिस ओलंपिक में आकर उन्होंने 50 किलोग्राम कैटेगरी में खेलना तय किया। यह बात सही है कि 53 किलोग्राम की कैटेगरी में खेलना थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि दुनिया के बेस्ट रेसलर 53 किलोग्राम की कैटेगरी में आते हैं।

किसी भी खिलाड़ी के लिए ओलंपिक पदक जितना एक बड़ा सपना होता है। देश का नाम ऊंचा होता है। पेरिस ओलंपिक में यदि विनेश फोगाट सिल्वर या गोल्ड जीततीं तो यह उनका ओलंपिक में पहला पदक होता। अब तक वो एशियाई चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स, वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीत चुकी हैं। मात्र 100 ग्राम वजन के अंतर से न केवल विनेश फोगाट का सपना टूटा है, बल्कि भारत के 140 करोड़ लोगों की खुशियां भी एक झटके में उड़ गई हैं।

सही मायने में विनेश फोगाट ने 53 के बजाय 50 किलोग्राम कैटेगरी में खेलकर बहुत बड़ा रिस्क लिया। यदि वो सत्य जानती थीं तो उन्हें ऐसा करने से बचना चाहिए था। पिछले दिनों दिल्ली में पहलवानों के आंदोलन को लेकर विनेश फोगाट बहुत चर्चा में रहीं। ओलंपिक में विनेश की हार-जीत खेल के बजाय राजनीतिक अखाड़े में बदल गई है।

ओलंपिक भले फ्रांस की राजधानी पेरिस में हो रहे हैं, लेकिन असली कुश्ती भारत में सोशल मीडिया पर खेली जा रही है। यह बेहद चिंतनीय है। पहले तो खेल में राजनीति नहीं होनी चाहिए और यदि खेल में राजनीति आ भी जाए तो खिलाड़ियों को इनमें नहीं घसीटना चाहिए। इससे न केवल खिलाड़ी की परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है, बल्कि अन्य खिलाड़ियों का मनोबल गिरता है। 

संभवतः विनेश फोगाट के लिए यह अंतिम ओलंपिक खेल है, लेकिन चैंपियन तो चैंपियन होता है। भले विनेश फोगाट 100 ग्राम वजन के चलते सिल्वर या गोल्ड से चूक गई हैं, लेकिन उन्होंने भारत के लिए जो पदक जीते हैं, उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। विनेश फोगाट का सम्मान सदैव ऊंचा रहेगा।

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