कृषि ने ऐसे बदली देश की तस्वीर ?
विकसित भारत का सपना और तीसरी इकॉनोमी के मुहाने पर खड़ा भारत, कृषि ने ऐसे बदली देश की तस्वीर
भारत के विकास में किसानों और किसानी का अलग ही महत्व है. भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि ही है. किसानों के बिना राष्ट्र के विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती है.
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा की तरह है. आज लगभग देश में 50% लोगों को रोजगार कृषि का ही क्षेत्र देता है. किसान अगर उत्पादक है तो सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है. किसान जो कुछ खरीदता है, तो उसका असर जीडीपी पर पड़ता है. शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों का भी देश के विकास में अहम योगदान है. ग्रामीण क्षेत्र में ही अधिकांश किसान निवास करते हैं.
देश की सर्वोच्च प्राथमिकता किसान हैं. आज भी देश के करीब 50 फीसद लोग कृषि पर आधारित है. इसलिए सरकार का ध्यान कृषि क्षेत्र पर भी है. इस क्षेत्र में युवाओं के जॅाब की संभावनाएं भी खूब है. इसको ध्यान में रखकर सरकार की ओर से इस क्षेत्र में विकास के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
विकसित भारत की संकल्पना
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की परिकल्पना की गई है. वर्तमान की केंद्र सरकार इसके लिए हर क्षेत्र में विकास के काम कर रही है, चाहें वो ऊर्जा का क्षेत्र हो या फिर स्वास्थ्य का क्षेत्र या फिर कोई अन्य. देश के विकास में हर क्षेत्र का योगदान हो, इस परिकल्पना से योजनाएं लाई जा रही हैं और उसका क्रियान्वयन किया जा रहा है. आजादी के 100 साल होने तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की परिकल्पना की गई है.
विकसित भारत के लिए पिछले दस सालों में अभूतपूर्व काम किए गए हैं. विश्व के पांच बड़े आर्थिक सशक्त राष्ट्रों में भारत पांचवें स्थान पर है. अब भारत को तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं. अब कृषि क्षेत्र को भी सरकार आगे की ओर पुश कर रही है. भारत आखिर को एक कृषि प्रधान देश है. इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों के लिए 109 किस्म के बीज लोकार्पित किए, जो वैज्ञानिकों ने विकसित किए हैं. इस कदम से किसान और खेती दोनों को बढ़ावा मिलेगा.
किसानों को सशक्त बनाने की कोशिश
सरकार किसानों के सशक्त बनाने की कोशिश में लगी है. पीएम सम्मान योजना के अंतर्गत किसानों के सीधे खाता में छह हजार रूपये की मदद की जा रही है. इससे छोटे किसानों को फायदा हो रहा है. किसानों की सिंचाईं के लिए दिक्कत ना हो इसके लिए पीएम सोलर ऊर्जा को खेतों तक पहुंचाने के लिए काम किया जा रहा है. खेतों की सिंचाईं के लिए कृषि फेडर बनाकर बिजली की आपूर्ति हो रही है,
इसमें किसानों के लिए कम रेट से बिजली मिलती है. सरकार ने कम लागत में अधिक उत्पादन की परिकल्पना की थी, उसी क्षेत्र में सरकार किसानों के लिए काम कर रही है. बैंकों में किसानों के लिए ऋण की व्यवस्था भी कराई गई है. पीएम फसल क्षतिपूर्ति योजना और फसल अनुदान दोनों प्रावधान सरकार की ओर से की गई है.
युवाओं के देश भारत में संभावनाएं काफी
भारत युवाओं का देश है और बाकी क्षेत्रों के मुकाबले आज भी इसकी कृषि पर निर्भरता कहीं ज्यादा है. इसलिए इस युवा देश में संभावनाएं काफी है. अगर इनको सही दिशा में जोड़ा जाए तो यकीनन भारत को विश्व में एक नई शक्ति के रूप में देखा जा सकेगा. युवा अगर कृषि से जुड़ते हैं तो उनको रोजगार का क्षेत्र तो मिलेगा ही साथ ही वो नया करने की कोशिश कर सकते हैं. भारत कृषि प्रधान देश रहा है.
आज के समय में कृषि से लोग भाग रहे हैं, लेकिन अगर युवा वर्ग इसमें आते हैं तो देश में विकास में चार चांद लग जाएगा. भारत में करीब 40 फीसद युवा हैं, जिनकी उम्र करीब 35 से कम है. कई विश्वविद्यालयों में कृषि से संबंधित कक्षाएं शुरू की गयी हैं, ताकि युवाओं को कृषि के प्रति जागरूक किया जा सके.
फसल और बागवानी पर जोर
हमारे समाज में कई ऐसे उदाहरण देखे गए हैं, जिसमें लोग नौकरी छोड़ कर वो खेती में लगे हैं. परंपरागत खेती को छोड़कर वो बागवानी की ओर ध्यान दे रहे हैं. फलों की खेती के अलावा मसालों की खेती कुछ लोग कर रहे हैं और अपनी आय को दोगुना कर रहे है. किसानों की आय बढ़ाने के साथ कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए वर्तमान की सरकार नई कृषि रोड मैप बनाने पर काम कर रही है.
सरकार, उत्पादन बढ़ाने, उत्पादन के लागत को कम करने, कृषि उत्पाद का ठीक दाम देने, प्राकृतिक आपदा में नुकसान की क्षतिपूर्ति देने, परंपरागत फसल से हटकर और दूसरे खेती करने और प्राकृतिक खेती करने को लेकर रोड मैप कर काम करने वाली है. वैज्ञानिकों ने अनुसंधान करके अधिक उत्पादन देने वाली धान की कई किस्में हैं जिसको सरकार लाने की सोच में है. इसमें 20% कम पानी का उपयोग होगा. सरकार हर खेत को बिजली और खेत को पानी देने पर भी विचार कर रही है. कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में निरंतर बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है.
कृषि और अर्थव्यवस्था
भारत में कृषि का अपना एक अलग ही महत्व रहा है. पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने भी जब नारा दिया था- तब उन्होंने जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान कहा था. जवान जहां भारत की रक्षा करते हैं तो विज्ञान देश को आगे ले जाता है, लेकिन किसान पूरे देश के लिए अनाज उत्पादन करता है. किसान की पहुंच अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक नहीं होती, वो जो भी खरीद या फिर बिक्री करते हैं वो लोकल के बाजार में ही करते हैं. बाजार की स्थिति जो ग्रामीण क्षेत्र में है, उसको एक तरह से किसान संभाले रहते हैं. रविवार को पीएम मोदी ने भी बीज के किस्मों की शुभारंभ करते समय कहा कि देश के किसान उनके अपने हैं. किसान के परंपरागत खेती के साथ जलवायु के अनुकूल खेती करने पर भी ध्यान देना होगा.
उदाहरण के तौर पर देखें तो जब किसानों की फसल बिकती है तो उस समय बाजार गर्म रहता है, उस समय ट्रैक्टर और अन्य वाहनों की बिक्री खूब होती है. बाजार में खरीद बिक्री करने से सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, जिसको जीडीपी के तौर पर भी जोड़ा जाता है. अभी कृषि के क्षेत्र में विकास के और रास्ते खोले जा सकते हैं. बढ़ती जनसंख्या के बीच किसानों की भूमि भी घटती जा रही है, ऐसे में किसानों पर बोझ भी बढ़ते जा रहा है, सरकार को लागत कम करने और उत्पादकता को बढ़ाने पर विचार करने की जरूरत है ताकि किसान सशक्त हो सके. जब किसान सशक्त होगा तभी देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त किया जा सकता है और भारत विश्व में एक विकसित राष्ट्र बन सकेगा.