नोएडा में 4.5 लाख वर्गमीटर में बनेगा कॉमर्शियल हब !
नोएडा में 4.5 लाख वर्गमीटर में बनेगा कॉमर्शियल हब
बाजार, मॉल, मल्टीप्लेक्स, एम्यूजमेंट पार्क सब एक साथ होगा, आर्किटेक्ट करेंगे डिजाइन
नोएडा के हार्ट सेक्टर-25ए और 32ए को सबसे बड़े कॉमर्शियल हब के रूप में विकसित करने का प्लान है। इसके लिए आर्किटेक्ट का चयन किया जा रहा है। इसे ऐसे विकसित किया जाएगा कि यहां एक साथ बाजार, मॉल, मल्टीप्लेक्स, पार्किंग, होटल, एम्यूजमेंट पार्क, कॉन्फ्रेंस हॉल, ऑफिस, बैंक आदि की सुविधा मिल सके। ये योजना करीब साढ़े चार लाख वर्गमीटर जमीन पर बनेगी।
बता दें ये जमीन वेव के पास थी लेकिन जमीन प्राधिकरण को सरेंडर कर दी गई। इसके बाद प्राधिकरण ने यहां छोटे कॉमर्शियल प्लाट की योजना निकाली। इसमें 60 ये 120 वर्गमीटर तक के प्लाट थे। लेकिन कंपनियों ने योजना का लाभ नहीं लिया। अब इसे प्राधिकरण खुद बनाएगा। या किसी कंपनी को पूरे योजना का बीओटी के आधार पर निर्माण कराएगा।
प्लान बनाने के बाद बोर्ड से ली जाएगी मंजूरी
आर्किटेक्ट प्लान बनाकर देगा, जिस पर अधिकारियों और बोर्ड से मंजूरी ली जाएगी। शहर के बीच में होने के कारण पहले से ही यह जमीन कॉमर्शियल उपयोग के लिए मास्टर प्लान में चिह्नित है। यहां से शहर के चारों तरफ की कनेक्टिविटी भी है।
इसके चलते लोगों को आने-जाने में काफी आसानी रहेगी। नोएडा प्राधिकरण ने मार्च 2011 में वेब बिल्डर को 614000 वर्ग मीटर जमीन का आवंटन किया था। सेक्टर-25ए और 32ए तैयार करते हुए प्राधिकरण ने इसका आवंटन किया था।
एमी-2 एलिवेटड के दोनों ओर से जमीन
योजना के तहत एमपी-2 के दोनों ओर की जमीन को विकसित किया जाएगा। इस बाजार को अंडरग्राउंड अंडर पास के जरिए जोड़ा जाएगा। ये नोएडा का सबसे बड़ा कॉमर्शियल हब बन सकता है।
हालांकि वर्तमान में नोएडा के सेक्टर-18 को कॉमर्शियल बोला जाता है। इस जमीन के पास मेट्रो, बस स्टैंड के अलावा सड़क की बेहतर कनेक्टिविटी है। लिहाजा ये योजना निवेश के नजरिए से महत्वपूर्ण होगी।
बिल्डर ने 2016 में जमीन लौटाने की अर्जी दी
वेब बिल्डर ने वर्ष 2016 में यह जमीन प्राधिकरण को सरेंडर करने की अर्जी दी। हालांकि, कुछ अड़चनें की वजह से कार्रवाई पूरी नहीं हो सकी। बाद में प्रोजेक्ट सेटलमेंट पॉलिसी के तहत ही बिल्डर ने फिर से 4.5 लाख वर्ग मीटर जमीन वापस देने के लिए आवेदन दिया।
तब प्राधिकरण ने लैंड वापस लेने संबंधी कार्रवाई पूरी करते हुए जमीन को अपने कब्जे में ले लिया। बाद में बिल्डर ने कुछ जमीन फिर से प्राधिकरण से आवंटित कराई।