हरियाणा : मुद्दों से ज्यादा ध्रुवीकरण पर जोर ?

 मेवात कांग्रेस का गढ़…यहां है भाजपा का दबदबा; मुद्दों से ज्यादा ध्रुवीकरण पर जोर
हरियाणा का मेवात कांग्रेस का गढ़ है, लेकिन यहां भाजपा का दबदबा है। दोनों जगह मुद्दों से ज्यादा ध्रुवीकरण पर जोर है। विकास को तरसती धरती में पिछड़ापन और अपराध बड़ा मुद्दा है, एक दूसरे दल के क्षेत्र को जीतने के लिए दलों ने ताकत झोंक दी है।
स्वतंत्रता के महासंग्राम में अपने हौसले व जज्बे का डंका बजा चुकी हरियाणा की मेवात व बृज बेल्ट अब विधानसभा चुनाव के रण में भी वोट की ताकत का अहसास कराने का दम भर रही है। मौजूदा समय में मेवात जहां कांग्रेस का गढ़ है, वहीं बृज बेल्ट में भाजपा का दबदबा है। दोनों ही दलों ने एक-दूसरे के दुर्ग को भेदने के लिए ताकत झोंक दी है। 

पिछड़ेपन के साथ-साथ बढ़ता अपराध यहां का मुख्य मुद्दा है, लेकिन जाति व धर्म के आधार पर ये मुद्दे वोटों के ध्रुवीकरण के नीचे दब जाते हैं। मेवात में मुस्लिम व मेव और बृज हिंदु बाहुल है। इन दोनों बेल्टों में दो लोकसभा क्षेत्र गुरुग्राम और फरीदाबाद आते हैं, जिनमें फरीदाबाद, पलवल और मेवात जिले की कुल 12 विधानसभा सीटें आती हैं। 

पिछले चुनाव में बृज क्षेत्र की सात सीटों पर भाजपा और मेवात जिले की चार सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। एक सीट पर निर्दलीय विधायक जीते। राजस्थान व उत्तर प्रदेश के साथ लगते इस इलाके पर दोनों प्रदेशों की संस्कृति का भी प्रभाव रहता है।

तीन माह पहले हुए लोकसभा चुनावों में बेशक भाजपा को गुरुग्राम और फरीदाबाद सीट मिली हो लेकिन पिछली बार के मुकाबले उनका घटा वोट मार्जिन खतरे की घंटी है। भाजपा इसको लेकर सतर्क है और लगातार जमीनी स्तर पर बैठकें जारी हैं, जबकि कांग्रेस इसे संजीवनी मान रही है। 

मेवात की तीनों सीटों पर नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना में एकतरफा कांग्रेस को वोट पड़े थे। भाजपा के विधायक वाले हलके हथीन और होडल और निर्दलीय विधायक पृथला के हलके में भी कांग्रेस आगे रही थी।
कांग्रेस इन परिणामों को विधानसभा चुनाव में दोहराने की मंशा रखती है, जबकि भाजपा की कांग्रेस के गढ़ मेवात में सेंध लगाने की तैयारी है। हालांकि, यहां पर राष्ट्रीय दलों के साथ साथ प्रदेश के क्षेत्रीय दलों का भी दबदबा रहा है। 

कभी यह क्षेत्र इनेलो का गढ़ माना जाता था। पिछले कुछ समय से यहां पर कांग्रेस का कब्जा है। इस समय तीनों सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं। इतिहास बताता है कि यहां के मतदाता किसी एक दल के साथ बंधकर नहीं रहे, इनेलो कांग्रेस और निर्दलीयों को भी मौका दिया है। इसी कारण जजपा व इनेलो को भी इस क्षेत्र से खास उम्मीदें हैं। इन सबके बीच इस बार यहां विकास का मुद्दा भी खूब गूंज रहा है। 

भाजपा : मेवात में कमल खिलाना चुनौती
मेवात जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर कमल खिलाना शुरू से ही चुनौती रहा है। पिछली बार भाजपा की टिकट पर यहां के दिग्गज नेता जाकिर हुसैन भी इस परपंरा को नहीं तोड़ पाए थे। इस इलाके में भाजपा के पास फरीदाबाद से सांसद कृष्ण पाल गुर्जर, मंत्री सीमा त्रिखा के अलावा जाकिर हुसैन के साथ साथ स्थानीय नेताओं के भरोसे कमान है।

कांग्रेस : बड़े चेहरों की कमी नहीं
बृज क्षेत्र में कांग्रेस के पास लोकसभा प्रत्याशी रहे पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह के साथ साथ पूर्व मंत्री कर्ण दलाल शामिल हैं। इनके साथ मेवात में कांग्रेस के तीनों विधायक नूंह से आफताब अहमद, पुन्हाना से मोहम्मद इलियास और फिरोजपुर झिरका विधानसभा क्षेत्र से मोमन खान विधायक बड़े चेहरे हैं

मुद्दे : साइबर अपराध का गढ़, बेरोजगारी भी बढ़ रही
मेवात का सबसे बड़ा मुद्दा है पिछड़ापन, बेरोजगारी और अपराध है। इसे साइबर अपराध का गढ़ भी कहा जाता है। कम पढ़े लिखे युवाओं को साइबर ठगी में लगा दिया जाता है। इसके अलावा, वाहन चोरी और लूटपाट के मामले भी यहां बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य के नाम पर नल्हड़ में मेडिकल काॅलेज है, लेकिन यहां पर न तो पर्याप्त डाक्टर हैं और न ही पर्याप्त स्टाफ। उपकरण भी कम हैं। 

मेडिकल कॉलेज एक तरह से रेफरल सेंटर बनकर रह गया है। इसके अलावा, नहरी पानी भी यहां पर बड़ा मुद्दा है। नौकरी नहीं होने के चलते अधिकतर लोग खेती करते हैं, लेकिन यह इलाका आज भी नहरी पानी को तरस रहा है। यहां कोई विश्वविद्यालय नहीं है और स्कूलों में अध्यापक भी काफी कम हैं।

पिछले साल जुलाई माह में हुए दंगे एक दाग के समान हैं। दंगों में छह लोग मारे गए और 70 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इसलिए दोबारा ऐसी कोई चिंगारी न भड़के, पुलिस के लिए यहां पर शांतिपूर्ण चुनाव कराना भी बड़ी चुनौती है।

वोट बैंक : मुस्लिम, मेव, गुर्जर, यादव, वैश्य समाज
बृज क्षेत्र में जाट, गुर्जर, ब्राह्मण और वैश्य समाज का वोट बैंक अधिक है। इनके अलावा, हथीन और होडल के साथ मेवात की तीनों सीटों पर मुस्लिम वोट बैंक का दबदबा है। पिछड़ा वर्ग के साथ-साथ अनुसूचित जाति का खासा वोट बैक है। कुछ सीटों पर राजपूत समुदाय और पंजाबी समुदाय के मतदाता भी निर्णायक भूमिका में हैं।

कहां पर किसकी सीट
फरीदाबाद भाजपा
एनआईटी फरीदाबाद कांग्रेस
बड़खल भाजपा
तिगांव भाजपा
बल्लभगढ़ भाजपा
पृथला निर्दलीय
पलवल भाजपा
हथीन भाजपा
होडल भाजपा
नूंह कांग्रेस
फिरोजपुर झिरका कांग्रेस
पुन्हाना कांग्रेस

चंद परिवारों के हाथों में रही चौधर
मेवात में दो सबसे प्रमुख राजनीतिक परिवार खुर्शीद अहमद और तैय्यब हुसैन रहे हैं। दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ कई संसदीय और विधानसभा चुनाव लड़े और कई बार पार्टियां बदली। अहमद 1962 और 1982 के बीच पांच बार विधानसभा के सदस्य बने। 2020 में उनकी मृत्यु हो गई।
अब इसी परिवार के आफताब अहमद जो नूंह से विधायक हैं। वहीं, तैय्यब हुसैन के पिता यासीन खान स्वतंत्रता से पहले 1926 से 1946 तक अविभाजित पंजाब से विधायक रहे थे। हुसैन को तीन राज्यों- पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से विधायक होने का गौरव प्राप्त है।
2008 में उनकी मृत्यु हो गई। उनके बेटे जाकिर हुसैन तीन बार विधायक और हरियाणा वक्फ बोर्ड के प्रशासक हैं। इनके अलावा, रहीम खान 1967, 1973 और 1982 में नूंह विधानसभा सीट से हर बार निर्दलीय विधायक बने।
उनके बेटे मोहम्मद इलियास ने 1991 में कांग्रेस के टिकट पर यह सीट जीती थी। इलियास 2009 में इनेलो और 2019 में कांग्रेस टिकट पर और कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में नूंह जिले की पुन्हाना सीट से चुने गए थे।

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