इस्तीफे के फेर में फंस गए थे IAS अभिषेक और SDM निशा बांगरे , बजरंग-विनेश पर सबकी नजरें क्यों?
इस्तीफे के फेर में फंस गए थे IAS अभिषेक और SDM निशा बांगरे, बजरंग-विनेश पर सबकी नजरें क्यों?
विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने चुनाव लड़ने के लिए रेलवे की सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन दोनों तब चुनाव लड़ पाएंगे, जब उनका इस्तीफा स्वीकार होगा. इस स्टोरी में उन अधिकारियों की कहानी जानते हैं, जो इस्तीफा के फेर में फंसकर चुनाव नहीं लड़ पाए…
राजनीति में आने के लिए पहलवान बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने रेलवे की सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है. दोनों रेलवे में विशेष कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी पद पर कार्यरत थे. सूत्रों के मुताबिक विनेश फोगाट जुलाना से कांग्रेस की कैंडिडेट होंगी जबकि बजरंग पूनिया चुनाव नहीं लड़ेंगे. नॉर्दन रेलवे के चीफ पीआरओ कुलतार सिंह के मुताबिक अभी उनका इस्तीफा हुआ है. उसे रेलवे समीक्षा करके पूरी प्रक्रिया के हिसाब से स्वीकार करेगी. स्वीकार करने में कितना वक्त लगेगा, इसे हम नहीं बता पाएंगे.
रेलवे से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दोनों का इस्तीफा इस्टैब्लिशमेंट में भेजा जाएगा, जहां सारे एनओसी देखने के बाद ही स्वीकार करने पर फैसला होगा. यह प्रक्रिया 24 घंटे से लेकर 6 महीने तक में पूरी होती है. हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख 12 सितंबर है.
निशा बांगरे को हाईकोर्ट तक लगानी पड़ी चक्कर
मध्य प्रदेश सिविल सेवा की अधिकारी निशा बांगरे ने 2023 में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया. निशा बैतूल जिले की आमला सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी थीं, लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा ही स्वीकार नहीं किया. निशा पहले इस मामले को मीडिया के जरिए उठाने की कोशिश की, लेकिन सरकार पर तब भी फर्क नहीं पड़ा.
इसी बीच नामांकन करने की आखिरी तारीख भी नजदीक आ रही थी. निशा मामले में हाईकोर्ट चली गई. लंबी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट से निशा का इस्तीफा तो स्वीकार हो गया लेकिन बांगरे चुनाव नहीं लड़ पाईं.
दरअसल, हाईकोर्ट का जब तक फैसला आया, तब तक कांग्रेस पार्टी अमला सीट पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी थी. निशा ने टिकट बदलवाने की तमाम कोशिश की, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने यह कहकर निशा की डिमांड खारिज कर दी कि अगर यहां टिकट बदलेंगे तो बाकी जगह भी दबाव बनेगा.
निशा लोकसभा चुनाव में भी लड़ने की तैयारी में थी, लेकिन उन्हें वहां भी टिकट नहीं मिला. आखिर में निशा ने फिर से मध्य प्रदेश सरकार में अपनी नौकरी वापस पाने की अर्जी दाखिल की. हालांकि, इस अर्जी पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है.
मदन गोपाल मेघवाल भी फंस गए थे
राजस्थान के आईपीएस अफसर मदन गोपाल मेघवाल भी इस्तीफा स्वीकार होने में हुई देरी के फेर में फंस गए थे. 2018 के नवंबर महीने में मदन गोपाल मेघवाल ने सर्विस से इस्तीफा दिया था, लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार होने में 8 दिन का वक्त लग गया.
इसी बीच मदन गोपाल जिस खाजूवाला सीट से टिकट मांग रहे थे वहां से पार्टी ने गोविंदराम मेघवाल को टिकट दे दिया. मदन गोपाल इस फैसले से इतना व्यथित हुए कि उन्होंने नौकरी के लिए फिर से अर्जी लगा दी, लेकिन वहां भी विभाग ने उनकी अर्जी स्वीकार नहीं की.
आखिर में मदन गोपाल लोकसभा चुनाव के लिए जुट गए. 2019 में कांग्रेस ने उन्हें बीकानेर से प्रत्याशी भी बनाया, लेकिन वे जीत नहीं बन पाए.
इस्तीफा के फेर में अभिषेक भी फंसे
यूपी काडर के चर्चित आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह जौनपुर से चुनाव लड़ने के लिए 2023 में ही इस्तीफा दे दिया, लेकिन इसे स्वीकार होने में करीब 6 महीने का वक्त लग गया. मार्च 2024 में अभिषेक का इस्तीफा स्वीकार हुआ.
इस्तीफा स्वीकार नहीं होने की वजह से चुनाव को लेकर अभिषेक प्लानिंग ही नहीं कर पाए.
शुरू में अभिषेक सिंह बीजेपी से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन बीजेपी ने अभिषेक पर बने सस्पेंस को देखते हुए कृपाशंकर सिंह को उम्मीदवार बना दिया. टिकट न मिलने की वजह से अभिषेक चुनाव मैदान में ही नहीं उतरे.
चुनाव खत्म होने के बाद अभिषेक ने फिर से नौकरी में आने की अर्जी दाखिल की. हालांकि, सरकार ने इस अर्जी को स्वीकार नहीं किया.