आखिर भेड़िया क्यों बना नरभक्षक ?
आखिर भेड़िया क्यों बना नरभक्षक
वन्यजीवों के आदमखोर बनने का अहम कारण ‘इंसान-जानवर टकराव’; जंगल-आहार संरक्षण अहम
इन दिनों उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़िये का खौफ शेर से अधिक है। बीते कुछ दिनों में नौ बच्चों सहित दस लोग आदमखोर भेड़िये का शिकार हुए हैं। कुछ गांवों से पलायन शुरू हो गया है। जंगल महकमा अभी तक चार भेड़ियों को पकड़ चुका है, लेकिन अंधेरा होते ही भय, अफवाह और कोहराम शुरू हो जाता है। चार सितंबर को जब बीते 48 घंटों में छह बार भेड़िये के हमले की सूचना आई, तो राज्य सरकार ने गोली मारने के आदेश दे दिए।
वैसे भारतीय भेड़िया (कैनिस ल्यूपस पैलिप्स) भूरे भेड़िये की एक लुप्तप्राय उप-प्रजाति है। चिड़ियाघरों में कोई 58 भेड़िये हैं, जबकि पूरे देश में 55 प्रजाति के तीन हजार से कम भेड़िये ही बचे हैं । उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में शायद इनकी संख्या तीन सौ भी न हो। आदमखोर भेड़ियों को मारना या पकड़ लेना तात्कालिक समाधान तो है, लेकिन गहन जंगल और गन्ने की सघन खेती वाले बहराइच में जानवर का नरभक्षी बन जाना इन्सान-जानवरों के टकराव की ऐसी अनबूझ पहेली है, जिसका हल नहीं खोजा, तो यह समस्या विस्तार ले सकती है।
समझना होगा कि कोई भी जानवर या तो वह भोजन के लिए या फिर भय के चलते ही हमलावर होता है। अब कम सघन जंगल में रहने वाले मांसाहारी जानवर बस्ती के पास आ रहे हैं। जब भेड़िये को बस्ती में उसके लायक छोटा जानवर नहीं मिलता, तो वह छोटे बच्चों को उठाता है और एक बार उसे मानव-रक्त का स्वाद लग जाता है, तो वह उसके लिए पागल हो जाता है। भेड़िये एक जटिल सामाजिक संरचना वाले झुंड में रहने वाले जानवर हैं, जो आक्रामक और चंचल दोनों तरह के व्यवहार करते हैं। ये इन्सान को देखकर डरते हैं, पर भागते नहीं। वे आमतौर पर इन्सान से सतर्क रहते हैं।
भारतीय भेड़िये झाड़ीदार जंगल, घास के मैदान, अर्ध-शुष्क क्षेत्र और कम घने जंगल में रहना पसंद करते हैं। ऐसे स्थान, जहां एकांत हो और वे मांद बना सकें, उनके पर्यावास की प्राथमिकता होती है। बहराइच का इलाका इसलिए उन्हें पसंद है। लेकिन जिस तरह से जलवायु परिवर्तन का प्रभाव उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में हुआ है, जिसके अनुकूल होने में जानवरों को दशकों लगेंगे। फिलहाल वे मौसम के अस्वाभाविक परिवर्तन के कारण पैदा हुए पर्यावास और भोजन के हालात से जूझने के लिए पलायन कर रहे हैं।
भेड़िये के व्यवहार में आ रहे बदलाव का कारण रैबीज के अलावा कोई रोग भी हो सकता है। जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न हो रही नई बीमारियां और कीट, भेड़ियों और उनके शिकार को संक्रमित कर सकते हैं। यह भी उनके आक्रामक होने का एक कारण हो सकता है। किसी इलाके में इनकी संख्या वृद्धि या फिर सहवास न कर पाने के चलते भी इनमें आक्रामकता आती है।
भेड़िये भी जंगल और प्राकृतिक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में गहन जंगलों वाले इलाके कम होने से इन्सान और जानवर में टकराव बढ़ता जा रहा है। आज जरूरत इस बात की है कि किसी जानवर को नरभक्षी बनने से कैसे रोका जाए, इसके लिए उनके लिए पर्याप्त जंगल और उनके स्वाभाविक आहार को संरक्षित करने का काम करना होगा