सिंगापुर PM के साथ पीएम मोदी की बड़ी डिप्लोमेसी ?

व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर सहमति, एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर फोकस…, सिंगापुर PM के साथ पीएम मोदी की बड़ी डिप्लोमेसी
रणधीर जायसवाल ने कहा- उन्नत विनिर्माण, संपर्क सुविधा, डिजिटलीकरण, स्वास्थ्य सेवा एवं चिकित्सा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं की व्यापक समीक्षा की.’’

माचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर इस बैठक के बारे में लिखते हुए कहा- ‘‘संबंधों में एक नया अध्याय: संबंध व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने सिंगापुर में एक सार्थक बैठक की.’’ उन्होंने आगे कहा: ‘‘दोनों नेताओं ने संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की.

रणधीर जायसवाल ने कहा- उन्नत विनिर्माण, संपर्क सुविधा, डिजिटलीकरण, स्वास्थ्य सेवा एवं चिकित्सा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं की व्यापक समीक्षा की.’’ विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों नेताओं ने भारत-सिंगापुर द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा की. 

एक्ट ईस्ट नीति को मिलेगा बढ़ावा

विदेश मंत्रालय ने कहा- ‘‘द्विपक्षीय संबंधों की व्यापकता और गहराई के साथ अपार संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने (मोदी और वांग ने) संबंधों के दायरे को विस्तार देते हुए इन्हें ‘‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’’ के स्तर तक पहुंचाने का फैसला किया. इससे भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को भी बढ़ावा मिलेगा.’’

इस बयान में विदेश मंत्रालय ने बताया गया कि आर्थिक संबंधों में मजबूत प्रगति पर गौर करते हुए दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश प्रवाह को और बढ़ाने का आह्वान किया. प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग 160 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ सिंगापुर भारत का एक प्रमुख आर्थिक साझेदार है. उन्होंने कहा कि भारत में तेज और सतत विकास ने सिंगापुर की संस्थाओं के लिए निवेश के अपार अवसर खोले हैं. सुरक्षा, समुद्री क्षेत्र में जागरूकता, शिक्षा, एआई, फिनटेक, नयी प्रौद्योगिकी क्षेत्र, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा ज्ञान साझेदारी के क्षेत्रों में मौजूदा सहयोग की भी समीक्षा की. साथ ही, दोनों नेताओं ने देशों के बीच आर्थिक और लोगों के बीच आपसी संबंधों को बढ़ाने के लिए संपर्क सुविधा को मजबूत करने का आह्वान किया.

क्यों महत्वपूर्ण सिंगापुर?

पीएम मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री वोंग ने ‘हरित गलियारा’ परियोजनाओं में तेजी लाने का भी आह्वान किया. अगस्त 2024 में दोनों नेताओं ने सिंगापुर में आयोजित दूसरे भारत-सिंगापुर मंत्रि-स्तरीय गोलमेज सम्मेलन के परिणामों पर चर्चा की. बयान में बताया गया, ‘‘दोनों नेताओं ने इस बात पर गौर किया कि मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन एक अनूठी व्यवस्था है. उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक नए एजेंडे पर विचार-विमर्श करने और उसकी पहचान करने की दिशा में दोनों पक्षों के वरिष्ठ मंत्रियों द्वारा किए गए कार्य की सराहना की.

दोनों नेताओं ने मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन के दौरान सहयोग के स्तंभों के रूप में पहचाने गए उन्नत विनिर्माण, संपर्क सुविधा, डिजिटलीकरण, स्वास्थ्य सेवा एवं चिकित्सा, कौशल विकास और स्थिरता के क्षेत्रों में त्वरित कदम उठाए जाने का आह्वान किया.’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि इन स्तंभों के तहत सहयोग विशेष रूप से सेमीकंडक्टर और महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय खोलता है और दोनों देशों के संबंधों को भविष्योन्मुखी बनाता है.

उनकी चर्चा में 2025 में द्विपक्षीय संबंधों की 60वीं वर्षगांठ के जश्न पर भी बातचीत हुई. पीएम मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक रिश्ते इन संबंधों का एक महत्वपूर्ण घटक है. उन्होंने घोषणा की कि भारत का पहला तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र सिंगापुर में खोला जाएगा. दोनों शीर्ष नेताओं ने भारत-आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) संबंधों और हिंद-प्रशांत के लिए भारत के दृष्टिकोण सहित आपसी हित के महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया.

तय हुआ दूरदर्शी एजेंडा

 दोनों नेताओं ने सेमीकंडक्टर, डिजिटल प्रौद्योगिकी, कौशल विकास और स्वास्थ्य सेवा में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए. ये भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन के अब तक के दो दौर में हुए विचार-विमर्श के परिणाम हैं. प्रधानमंत्री ने वोंग को भारत आने का निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया.    

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हम भारत में भी कई सिंगापुर बनाना चाहते हैं और मुझे खुशी है कि हम इस दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं. हमारे बीच जिस मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन की व्यवस्था हुई है, वह एक पथ-प्रदर्शक तंत्र है.’’ 

उन्होंने कहा कि कौशल विकास, डिजिटलीकरण, गतिशीलता, उन्नत विनिर्माण, सेमीकंडक्टर, कृत्रिम मेधा (एआई), स्वास्थ्य सेवा, स्थिरता और साइबर सुरक्षा में दोनों देशों के बीच साझेदारी इस तंत्र की पहचान बन गई है. पीएम मोदी ने इस बातचीत के बाद सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘अपने मित्र प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के साथ चर्चा आज जारी रही. हमारी बातचीत कौशल, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, एआई और अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित रही. हम दोनों ने व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने की आवश्यकता पर सहमति जताई.’’

पीएम मोदी ने गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए वोंग का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा, ‘‘आपके प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद यह हमारी पहली मुलाकात है. मेरी ओर से आपको बहुत-बहुत बधाई. मुझे पूरा भरोसा है कि 4जी (चौथी पीढ़ी के नेताओं) के नेतृत्व में सिंगापुर और भी तेजी से प्रगति करेगा.’’ 

जबकि, सिंगापुर पीएम वोंग ने कहा कि सिंगापुर और भारत के बीच गहरी और स्थायी मित्रता है, जो मजबूत आर्थिक संबंधों और लोगों के बीच आपसी संबंधों पर आधारित है. उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ संसद भवन में एक सार्थक बैठक हुई. हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों के अगले चरण के लिए एक दूरदर्शी एजेंडा तय किया है.’’ इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि वो भारत में कई सिंगापुर जैसे शहर बनाना चाहते हैं, आने वाले समय में भारत इसके लिए काम भी जरूर करेगा. 

जाहिर है, जब से देश की सत्ता की कमान पीएम मोदी के हाथ में गई है, उसके बाद जहां पड़ोसियों के साथ बेहतर बनाने की कोशिश की गई, तो वहीं दूसरी तरफ नाइबर फर्स्ट के साथ एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर भी सरकार का खास जोर रहा.  

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