भारत में पहली बार फेस स्कैन करवाकर डाला वोट, तेलंगाना निकाय चुनाव में ऐप का इस्तेमाल

भारतीय चुनाव के इतिहास में बुधवार को तेलंगाना में वोटिंग प्रक्रिया के दौरान एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। यहां पर नगरपालिका चुनावों में मतदान से पहले वोटर की पहचान के लिए एक मोबाइल ऐप का इस्तेमाल किया गया। इस ऐप की मदद से वोटिंग करने से पहले मतदाताओं की पहचान की गई। आपको बता दें कि 2012 में गुजरात के सूरत में ऑन लाइन वोटिंग का पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ था।

एक चुनाव अधिकारी ने बताया कि मतदान केंद्र पर मौजूद चुनाव कर्मियों ने टी-ऐप फोलियो नाम के एक मोबाइल ऐप के जरिए मतदाताओं के चेहरे को स्कैन किया। चुनाव अधिकारी ने कहा कि ऐसा करने के लिए विशेष मोबाइल फोन का उपयोग किया गया और मतदाता सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद डेटा खत्म कर दिया जाता।

चुनाव आयोग ने इस तकनीक का इस्तेमाल कई कार्यकर्ताओं और राजनेताओं के विरोध के बावजूद किया। मंगलवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने तेलंगाना चुनाव आयोग को इस तकनीक को वापस लेने के लिए एक पत्र लिखा था। उनकी मांग थी कि इसके बजाए मौजूदा मतदाता सत्यापन पद्धति को और मजबूत किया जाए।

प्राइवेसी एक्टिविस्ट का डर है कि इससे डाटा लीक और गलत अस्वीकृति का खतरा है, खासकर जब भारत ने अभी तक डेटा गोपनीयता कानून लागू नहीं किया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने डेटा संरक्षण विधेयक की आलोचना के बाद उसे संसदीय समिति को भेजा दिया है। एशिया के नीति निदेशक एक्सेस नाउ के एशिया पॉलिसी डायरेक्टर रमन जीत सिंह चीमा ने बताया कि यह स्पष्ट नहीं है कि यह (चेहरे की पहचान) किस कानूनी ढांचे के तहत इस्तेमाल किया जा रहा है और डेटा को कैसे सुरक्षित और उपयोग किया जाएगा।

चुनाव आयोग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि तेलंगाना स्टेट टेक्नोलॉजी सर्विसेज के सर्वर पर स्टोर किए गए डेटा के साथ-साथ इस प्रक्रिया के बाद फोन से खत्म कर दिया जाएगा। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि प्रक्रिया का पालन करने के लिए कोई कानूनी ढांचा है या नहीं और ऐसा करने के लिए अधिकृत (और जिम्मेदार) कौन है। इस प्रक्रिया में इस्तेमाल किए जा रहे फोन की सुरक्षा मापदंडों को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। ज्यादातर फोन ऑटोमेटिक रूप से क्लाउड सर्वर पर तस्वीरें अपलोड करते हैं – एंड्रॉइड फोन पर गूगल फोटो और एप्पल पर आई क्लॉड से। गोपनीयता कानून के बावजूद, अधिकारी चेहरे की पहचान की तकनीक को बढ़ा रहे हैं। दिल्ली पुलिस प्रदर्शनकारियों की पहचान के लिए चेहरे की पहचान का उपयोग कर रही है। तकनीक को मूलरूप से पुलिस बल खोए हुए लड़कों और लड़कियों की पहचान करने के लिए अधिग्रहित किया गया था।

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