‘कटरों का करप्शन’ ?

‘कटरों का करप्शन’, परिवहन विभाग की स्वच्छ छवि बनाना नए आयुक्त के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती
लंबे इंतजार के बाद मध्य प्रदेश परिवहन आयुक्त की नियुक्ति कर दी गई है। अब भ्रष्टाचार में डूबे परिवहन विभाग को आयुक्त किस तरह से मुक्ति दिलाते हैं, यह देखने वाली बात होगी।
Madhya Pradesh

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में नए परिवहन आयुक्त की नियुक्ति हो गई है। लगभग डेढ़ माह के लंबे इंतजार के बाद इस पद पर भारतीय पुलिस सेवा के 1994 बैच के अधिकारी डीपी गुप्ता की नियुक्ति की गई है। अपनी ईमानदार और स्वच्छ छवि के लिए जाने जाने वाले गुप्ता के सामने सबसे बड़ी चुनौती परिवहन विभाग को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाना है।

खाली था पद

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश को नए परिवहन आयुक्त मिल ही गए। आईपीएस डीपी गुप्ता को इस पद पर नियुक्त किया गया है। गुना बस हादसे के बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कड़ी कार्रवाई करते हुए तत्कालीन परिवहन आयुक्त संजय कुमार झा को इस पद से हटा दिया था। तब से यह पद खाली पड़ा था।

डीपी गुप्ता अपनी स्वच्छ निर्भीक और ईमानदार छवि के लिए जाने जाते हैं। 1994 बैच केआईपीएस डीपी गुप्ता जहां भी पदस्थ रहे, अपनी कार्य शैली से उन्होंने एक अलग पहचान छोड़ी है। अब जब उनकी पदस्थापना परिवहन आयुक्त पद पर की गई है, कई बड़ी चुनौतियां उनके सामने है।

गुप्ता के सामने होंगी यह चुनौतियां

दरअसल पिछले 5 साल में परिवहन विभाग भ्रष्टाचार के चलते सुर्खियों में रहा है। हालात इस कदर खराब है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी इस विभाग के अधिकारियों को चंबल के डकैत तक कह चुके हैं। परिवहन विभाग की नाकों पर लूटमार और वसूली के चलते देशभर के ट्रांसपोर्टर परेशान है और इसके बारे में कई बार प्रधानमंत्री तक को शिकायत कर चुके हैं। परिवहन नाकों को बंद करने के लिए वर्ष 2023 में तत्कालीन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और अधिकारियों के साथ ट्रांसपोर्टर की एक मीटिंग हुई थी जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि 2023 के दिसंबर तक सारे नाके बंद कर दिए जाएंगे। लेकिन आज तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। हैरत की बात यह है कि लगभग सभी नाकों पर जितने सरकारी कर्मचारी पदस्थ नहीं है उससे ज्यादा निजी कर्मचारी पदस्थ है जिन्हें कटर कहा जाता है। परिवहन विभाग में पदस्थ रहे कई अधिकारी- कर्मचारी अब इन नाकों के अनौपचारिक एजेंट बन गए हैं और जमकर वसूली कर रहे हैं।

 

बताया जाता है कि विभाग में ही पदस्थ रहा एक परिवहन आरक्षक तो इतना पावरफुल हो गया कि उसने अपनी नौकरी छोड़ दी और उसके बाद उसने कई परिवहन नाकों पर वसूली के लिए अनौपचारिक से काम करने लगा। इसके साथ ही परिवहन विभाग के कई ऐसे कर्मचारी भी हैं जो रिटायर होने के बाद भी लगातार विभाग से जुड़े हुए हैं और नाकों पर वसूली में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं जैसे बाकायदा नोटरी के माध्यम से उनकी नियुक्ति हो गई हो। सूत्रों की माने तो अभी भी परिवहन विभाग में वसूली का काम वही पुराना सिस्टम कर रहा है जो चुनाव के पहले कर रहा था।

 

मुख्यमंत्री की कार्यशैली को बढ़ाना होगा आगे

दो महीने के अपने कार्यकाल में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अपनी जो ईमानदार स्वच्छ और तेज तर्रार कार्यशैली बनाई है अब उसे बरकरार रखना नए परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता के लिए सबसे बड़ा काम होगा। इसके साथ ही डीपी गुप्ता ने अब तक अपनी सेवा में जो निर्विवाद छाप थोड़ी है उसे बनाए रखना भी एक बड़ी चुनौती है।

अब गुप्ता परिवहन विभाग की इन विसंगतियों पर किस तरह अंकुश लगाकर उसकी एक साफ सुधरी छवि बनाने में सफल होते हैं, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।

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