पाटकनकर बाजार में लगा जाम…
- पाटनकर बाजार में हाथ ठेले वालों का रहता है जमावड़ा
- दुकानदार भी अपना सामान सड़क पर रख लेते हैं
- सड़कों पर वाहन पार्क होने से बढ़ती है समस्या
ग्वालियर। स्टेट टाइम के समय के पाटनकर बाजार की स्थिति भी और बाजारों जैसी ही है। यहां लक्जरी शोरूम से लेकर बैंक तक मौजूद हैं। इसके अलावा बैग से लेकर बड़े सैलून और घड़ियों तक की दुकानें हैं, लेकिन हाथ ठेलों और बेतरतीब वाहन पार्किंग के कारण यहां दिनभर जाम के हालात बने रहते हैं। गश्त के ताजिया के बाद से पाटनकर बाजार शुरू होता है, जो ऊंट पुल तक लगता है। यहां दुकानदार भी अपना सामान सड़क पर रख लेते हैं, जिसके कारण यातायात अवरुद्ध होता है।
मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में यहां बैंक संचालित होती हैं, लेकिन उनकी पार्किंग भी सड़कों पर ही है। यहां ज्यादातर शोरूम के बाहर चार पहिया वाहन खड़े होते हैं। इसके अलावा शिवाजी पार्क की बाउंड्री के ठीक सामने यहां फल और सब्जी के हाथ ठेले लग जाते हैं। यहां से वाहनों पर गुजर रहे लोग खरीदारी करने के लिए सड़क पर ही खड़े हो जाते हैं, जिसके कारण जाम की स्थिति उत्पन्न होती रहती है। सबसे ज्यादा समस्या दोपहर के समय होती है, जब स्कूलों की छुट्टी के दौरान यहां से बसों का गुजरना होता है।
बाजार की मुख्य समस्याएं
1. मुख्य मार्ग पर ही वाहन खड़े होते हैं। इसके कारण दिनभर यातायात बाधित होता रहता है। खुद दुकानदार और उनके कर्मचारी भी रोड पर ही वाहन खड़े करते हैं।
2. महिलाओं के उपयोग के लिए जनसुविधा केंद्र मौजूद नहीं है। पुरुषों के लिए बने शौचालय भी गंदे रहते हैं।
3. त्योहार नजदीक आते ही फुटपाथियों की समस्या भी बढ़ जाती है।
ये हैं विशेषताएं
- 200 दुकानें हैं पाटनकर बाजार में
- 50 फीट चौड़ा रोड है पाटनकर बाजार में
- 100 साल से भी पुराना शिवाजी पार्क है यहां
- 02 सेक्टर हैं पाटनकर बाजार में
व्यापारी लें संकल्प
- दुकानों के बाहर दो-दो डस्टबिन रखें। गीला-सूखा कचरा अलग-अलग डलवाएं।
- सीसीटीवी कैमरे लगवाएं और जरूरत पड़ने पर फुटेज साझा करें।
- अपनी व कर्मचारियों की गाड़ियां सड़क पर पार्क न करें।
- गारमेंट और किराना कारोबारी रोड तक सामान न फैलाएं।
- खुले में गंदगी फैलाने वाले ग्राहकों को रोकें व उन्हें समझाइश दें।
- व्यापारी संघ द्वारा बनाए गए नियमों का स्वयं पालन करें और दूसरों से भी कराएं।
- टायलेट के लिए सुविधा केंद्र का ही उपयोग करें।
सरदार पाटनकर के नाम पर बसा बाजार, 100 साल पुराना है शिवाजी पार्क
जिस समय सिंधिया राजघराने के सदस्य गोरखी महल में रहा करते थे, उस समय आसपास के इलाकों में उनके सिपहसालारों के निवास भी बनाए गए। गोरखी से सराफा बाजार होते हुए सरदारों का पहला ठिकाना सरदार पाटनकर बाजार था। यहां पाटनकर का बाड़ा में उनका निवास था और मुख्य मार्ग पर बाजार लगा करता था। पाटनकर बाजार में पहले सिलाई-कढ़ाई का काम हुआ करता था। इसके अलावा कुछ किराने और साहित्य सामग्री की दुकानें भी हुआ करती थीं, जो आज भी हैं। आज इस बाजार में फल की कुछ दुकानें नजर आती हैं। इसके अलावा बैंक, शोरूम, खानपान की दुकानों के रूप में यह मिश्रित बाजार की शक्ल ले चुका है।
- 60 साल से भी पुराना माधव पुस्तकालय हुआ करता था यहां
- 05वीं पीढ़ी के बैठ रहे दुकानदार
- 30 किमी दूर से भी खरीदारी करने आते हैं ग्राहक