आटो और ई-रिक्शा से वार्डों तक ले जाए जा रहे मरीज, एंबुलेंस खड़ी धूल खा रही

HighLights
- जेएएच में पेशेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाने के स्वास्थ्य मंत्री ने दिए थे निर्देश
- अस्पताल प्रबंधन मरीज को वार्ड व्याय तक उपलब्ध नहीं करा पा रहा
- मरीज आटो और टमटम से एक वार्ड से दूसरे वार्ड जा रहे हैं
ग्वालियर। मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ग्वालियर में जब पहली बार जेएएच आए थे तो पेशेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम शुरू करने का नवाचार अच्छा लगा था, उन्होने तत्काल इसे लागू करने के निर्देश दिए। मरीजों की पीड़ा से जुड़ा मामला था इसलिए महत्वपूर्ण भी था। जेएएच के जिम्मेदार मंत्रीजी के जाते ही सब भूल गए, उन्हे अब कोई मतलब नहीं, मरीज कराहते रहें, भटकते रहें। शर्मनाक हकीकत यह है कि मरीज आटो और टमटम से एक वार्ड से दूसरे वार्ड जा रहे हैं,क्योंकि न परिसर में कोई व्यवस्था ही नहीं है।

जिस एंबुलेंस को मरीजों को लाने ले जाने रखा है वह एक कोने में धूल खा रही है। जीआरएमसी के डीन डा अक्षय निगम, जेएएच अधीक्षक सुधीर सक्सेना हों या अन्य जिम्मेदार मरीजों की पीड़ा से इन्हें मतलब नहीं है। यहां आकस्मिक उपचार केंद्र से लेकर अस्पताल में भर्ती होने और जांच के लिए मरीजों को दर्द झेलना पड़ रहा है। परिवहन सुविधा तो छोड़िए अस्पताल प्रबंधन मरीज को वार्ड व्याय तक उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। स्वजन स्वयं ही स्ट्रेचर खींच रहे हैं।
लापरवाह जेएएच प्रबंधन: झेल रहे मरीज, इन मरीजों की पीड़ा ही हकीकत
गोरेलाल-दो दिन चक्कर काटे, आटो से ही पहुंचे कैंसर वार्डछतरपुर से उपचार के लिए शनिवार की सुबह जयारोग्य अस्पताल पहुंचे गोरेलाल रविवार दोपहर तक परेशान होते रहे। शनिवार से रविवार तक इनको एक हजार बिस्तर अस्पताल, कैंसर वार्ड और आकस्मिक उपचार केन्द्र के बीच चिकित्सक झुलाते रहे। रविवार दोपहर करीब तीन बजे इनको कैंसर वार्ड के लिए भेजा गया। कैंसर वार्ड जाने के लिए स्वजन को आटो करना पड़ी।
रामविशाल-घूमकर जाना पड़ा, कोई बताने वाला ही नहीं थाट्रामा सेंटर में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को सीटी स्कैन कराने परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां मरीजों की सहायता के लिए हेल्प डेस्क तक नहीं है। छतरपुर के रामविशाल को सिर में चोट होने पर चिकित्सक ने सीटी स्कैन कराने पर्ची लिखी। स्वजन ट्रायसाइकिल पर रामविशाल को लेकर सीटी जांच कराने निकले। रास्ते की जानकारी न होने से उनको 500 मीटर की दूरी तय कर जांच केंद्र पहुंचना पड़ा।
डीन की बहानेबाजी एंबुलेंस ले जा रही मरीज
हमारे पास एम्बुलेंस हैं उनके जरिए मरीजों को वार्ड तक पहुंचाने का काम किया जाता है। ई-रिक्शा खरीदी की प्रक्रिया भी की जाएगी। मरीजों को परेशानी न हो इसके लिए ट्रामा सेंटर पर एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है।
-डा. आरकेएस धाकड़, डीन, जीआरएमसी
अधीक्षक के भी गोलमोल जवाब
सामान्य परिषद की बैठक में उप मुख्यमंत्री ने पेशेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित करने को कहा था। इसके लिए हमने ई-रिक्शा खरीदी के लिए डीन कार्यालय को पत्र भेजा है। इसके साथ ही ट्रामा सेंटर पर एम्बुलेंस को खड़ा किया गया है। जिससे भर्ती मरीजों को वार्डों तक भेजा जाता है। इस व्यवस्था को और व्यवस्थित किया जाएगा।
-डा. सुधीर सक्सेना, अधीक्षक, जेएएच