‘अंकल आग लग गई है, बच्चों को बाहर निकालो’
इससे ड्यूटी पर तैनात एक नर्स हल्की झुलस गई। उसने आवाज लगाते हुए कहा ‘अंकल आग लग गई है, बच्चों को बाहर निकालो’। उसकी बात सुनकर वह भी बच्चों को बाहर निकालने में लग गए। आग में झुलसने से मरी दो नवजात बेटियों के पिता याकूब ने बताया कि शाम 5 बजे शॉर्ट सर्किट हुआ था मगर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। मारकुआं निवासी किशोरी नामक महिला ने बताया कि शाम 5 बजे हल्की आग लगी थी, मगर किसी ने भी समस्या का निदान नहीं कराया।
झांसी मेडिकल कॉलेज में मासूमों की मौत
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा वार्ड (एसएनसीयू) में शुक्रवार रात लगी आग से झुलसे सभी दस नवजातों की पहचान हो गई है। इनमें झांसी के चार, ललितपुर के तीन, हमीरपुर के दो और जालौन का एक मासूम है। छह बच्चे अब भी लापता हैं। मेडिकल कॉलेज में 16 बच्चों का इलाज चल रहा है। इनमें चार गंभीर हैं। मेडिकल कॉलेज से एक बच्चे को छुट्टी दे दी गई। इनके अलावा झांसी के ही अन्य अस्पतालों में 22 बच्चे भर्ती हैं। इनमें आठ बच्चे गंभीर हैं। एसएनसीयू में कुल 55 बच्चे भर्ती थे। यहां शुक्रवार रात करीब पौने ग्यारह बजे शार्ट सर्किट से ऑक्सीजन कंसनट्रेटर में आग लग गई। इसके बाद अफरातफरी मच गई। वहीं, शनिवार सुबह पहुंचे उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने आग पीड़ितों की मदद के निर्देश दिए।
डिप्टी सीएम ने त्रिस्तरीय जांच के दिए निर्देश
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अग्निकांड के त्रिस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। शनिवार सुबह पहुंचे उप मुख्यमंत्री ने बताया कि तीन टीमें मामले की जांच करेंगी। इन टीमों में शासन स्तर से स्वास्थ्य विभाग की टीम, पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम और तीसरी मजिस्ट्रेट जांच होगी। तीनों जांच का मुख्य बिंदु आग लगने की वजह का पता लगाना है। लापरवाही मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मंडलायुक्त ने शुरू की जांच, नर्सिंग स्टाफ के दर्ज किए गए बयान
मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने शनिवार को अग्निकांड की जांच शुरू कर दी। ड्यूटी पर तैनात नौ डॉक्टर, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ के बयान दर्ज किए गए। अब वह अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। उसके आधार पर शासन स्तर से कार्रवाई की जाएगी।मृतकों में हमीरपुर की जुड़वा बेटियां
अग्निकांड में झांसी के पूनम की बेटी, संध्या के बेटे, बबीना के सुनील के बेटे, कटेरा के कविता पत्नी बालकिशन के बेटे की मौत हो गई। वहीं, ललितपुर की पूजा, संजना और भगवती के एक-एक बेटे ने दम तोड़ दिया। हमीरपुर की नजमा की जुड़वा बेटियों की भी जान चली गई। जालौन के संतोषी पत्नी संतराम के बेटे की भी मौत हो गई।
इनके नवजातों का नहीं चला पता
झांसी के एरच की संध्या कंचन, बंगरा की कविता, राजगढ़ की नैंसी के नवजात शिशु का पता नहीं चल पाया है। वहीं, ललितपुर के फुलवारा की संजना, जालौन जनपद के पचनादेव की संतोषी, हमीरपुर के रिगवारा की सुखवती के बच्चे के बारे में भी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है।हेल्पलाइन नंबर जारी
नवजातों के बारे में जानकारी के लिए जिला प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर 6389831357 जारी किया है। इस पर संपर्क करके जानकारी ली जा सकती है।
मृतकों के परिजन को सात-सात लाख और घायलों को 50,000 रुपये मुआवजा
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से मृतकों के परिजन को सात लाख रुपये दिए जाएंगे। इनमें राज्य सरकार की ओर से पांच और केंद्र सरकार की ओर से दो लाख रुपये हैं। वहीं, राज्य सरकार की ओर से घायलों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे।
आयुक्त ने पूछे जेआर, स्टाफ से सवाल, भेजेंगे रिपोर्ट
अग्निकांड के समय एसएनसीयू में ड्यूटी पर तैनात रहे स्टाफ के बयान मंडलायुक्त ने दर्ज किए। उन्होंने जूनियर रेजिडेंट और स्टाफ से पूछताछ की। बयान के आधार पर रिपोर्ट तैयार करके शासन को भेजी जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई होगी। जिस समय ये अग्निकांड हुआ, तब ड्यूटी पर डॉ. विजय कीर्ति, डॉ. मेघा, स्टाफ नर्स मेधा जेम्स, पवन, रीना, मोहिनी, आरती, निशा आदि की ड्यूटी थी। चूंकि, शासन स्तर से जांच करके रिपोर्ट मांगी गई है। ऐसे में शनिवार को सुबह सभी को बयान दर्ज करने के लिए प्राचार्य कार्यालय बुलाया गया।
एसएनसीयू में आग कैसे लगी?
यहां पर मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने जूनियर रेजिडेंट और स्टाफ से पूछताछ की। सूत्रों के मुताबिक स्टाफ से पूछा गया कि एसएनसीयू में आग कैसे लगी। जब घटना हुई, तब आपकी ड्यूटी कहां थी। आग बुझाने के लिए क्या प्रयास किए गए। आग से बचाव के केंद्र में क्या इंतजाम थे समेत कई बिंदुओं पर बयान दर्ज किए गए हैं। अब आयुक्त अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। जांच में जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई तय है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने झांसी के सरकारी अस्पताल में आग लगने से 10 नवजातों की मौत की घटना का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है। आयोग ने मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर एस सप्ताह में घटना की रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। आयोग ने पाया है कि यह घटना लापरवाही की वजह से हुई, जो कि मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। आयोग ने मामले में एफआईआर की स्थिति, जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई, घायलों को प्रदान की जा रही चिकित्सा और पीड़ित परिवारों को दिए गए मुआवजे की जानकारी देने को कहा है। साथ ही, यह भी पूछा है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।