वाराणसी : NGT का DM से सवाल-पी सकते हो गंगा का पानी?
NGT का DM से सवाल-पी सकते हो गंगा का पानी?:वाराणसी में लगवा दीजिए बोर्ड, गंगाजल पीने-नहाने लायक नहीं
वाराणसी में गंगा की सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार में देरी पर एनजीटी ने सख्त रुख दिखाया। गंगा की स्वच्छता को लेकर वाराणसी डीएम एस. राजलिंगम से कई सवाल किए। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पीठ ने डीएम से पूछा- आप वाराणसी में गंगा का पानी पी सकते हैं? क्या गंगा आचमन और स्नान योग्य हैं?
सवालों पर डीएम की खामोशी देखकर एनजीटी ने कहा- अगर ऐसा है तो गंगा किनारे बोर्ड क्यों नहीं लगवा देते कि वाराणसी में गंगा का पानी अब नहाने या पीने योग्य नहीं है। इस पर डीएम ने जवाब दिया- ऐसा मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। शासन की मंशा के अनुरूप ही जिलाधिकारी काम करते हैं।
एनजीटी ने डीएम पर लगाया था जुर्माना इस पर NGT ने कहा- जिलाधिकारी के पास बहुत पावर होता है। इसलिए आप हेल्पलेस मत दिखिए! पीठ ने सरकार के वकील को गंगा और वरुणा-असि के वर्तमान हालात और जीर्णोद्धार पर तत्काल हलफनामा देने का निर्देश दिया। जिसे अगली सुनवाई 13 दिसंबर तक दिया जाए। तीन महीने पहले सुनवाई में एनजीटी ने वाराणसी DM पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था।
एनजीटी गंगा की सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार में लापरवाही पर सुनवाई कर रहा है। एनजीटी मेन बेंच की जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और डॉ. ए संथिल वेल की पीठ ने सोमवार को डीएम वाराणसी एस राजलिंगम को तलब किया था। डीएम वर्चुअल पेशी पर एनजीटी पीठ के सामने पेश हुए।
NGT ने DM से पूछा- आप वाराणसी में कब से तैनात याचिकाकर्ता सौरभ तिवारी ने बताया, एनजीटी ने डीएम से कहा कि असि-वरुणा नदियों के जीर्णोद्धार के प्रोजेक्ट में देरी की जा रही है। बैक-टू-बैक मीटिंग हो रही है, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं दिख रहा। इसके बाद सरकारी वकील भंवर पाल जादौन ने सरकार का पक्ष रखा, गंगा के लिए प्रदूषण बोर्ड और सरकार के प्रयासों के बाबत जानकारी दी।
पीठ ने डीएम से पूछा कि आपका कार्यकाल वाराणसी में कब से है? इस पर डीएम ने बताया कि नवंबर 2022 से बनारस में तैनात हैं। इन दो साल में आपने गंगा के लिए क्या प्रयास किए? तीन सदस्यीय पीठ के मुख्य जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अनुपस्थिति में कोई निर्णय नहीं हो सका, लेकिन पीठ ने सरकार की ओर से हलफनामा मांगा है। 13 दिसंबर को अन्य दस्तावेजों के साथ पक्ष को तलब किया है।
NGT में 4 अगस्त को दायर हुई थी याचिका वाराणसी में गंगा की 2 बड़ी सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार की धीमी प्रगति को लेकर 4 अगस्त 2024 को एनजीटी में याचिका दायर हुई थी। 150 पन्नों की इस याचिका में बताया गया था कि NGT ने 2021 में इस काम को पूरा करने के लिए 5 साल का समय दिया गया था।
अब तक 3 साल से ज्यादा समय बीत चुका है। लेकिन ग्राउंड पर कोई काम नहीं हुआ है। NGT ने 23 नवंबर, 2021 को ऑर्डर दिया था। इसके बाद 29 नवंबर को सुपरवाइजरी कमेटी और एग्जीक्यूशन कमेटी की बैठक हुई। यहां से इस प्रोजेक्ट को लागू करने की कवायद शुरू हुई।
बताया जा रहा है कि कागज पर ही जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। अधिकारियों की केवल मीटिंग, प्रपोजल और बजट ही फाइनल किया जाता है। कुल 40 एग्जीक्यूटिव और कमिश्नर मीटिंग हो चुकी हैं, लेकिन नदी के एरिया में कुछ काम नहीं दिख रहा है। यहां तक कि वरुणा और अस्सी के उद्गम स्थल भी पहले जैसे ही हैं। जबकि, इन दोनों जगहों की कायाकल्प के लिए NGT ने 12 महीने का समय तय किया था, अब तक 33 महीने बीत चुके हैं।