भारत अब सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को खड़ा करने की तैयारी कर चुका है !
संकट के समय लिया गया था सेमीकंडक्टर का संकल्प, अब गेम-चेंजर बनने की तैयार
सेमीकंडक्टर ही आने वाले वक्त में दुनिया का ड्राइवर है. भारत ने इस सेक्टर में अपने हाथ मजबूत करना शुरू कर दिया है. भारत अभी दूसरे देशों से सेमीकंडक्टर खरीदता है.
भारत सरकार इस समय सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के विकास पर पूरा जोर दे रही है. कोरोना वायरस के समय लगाए गए पूरी दुनिया में लॉकडाउन की वजह से सेमीकंडक्टर की सप्लाई रुक गई थी. उस समय इसकी कमी ने वाहन उद्योग सहित तमाम कारोबार के उत्पादनों को ठप कर दिया था. कार बुकिंग के बाद उसको घर तक लाने में 1 साल तक लोगों को इंतजार करना पड़ा. हालात ये थे कि सुरक्षा से जुड़े उपकरणों की सप्लाई भी बंद हो गई थी. उस समय ही सेमीकंडक्टर की अहमियत समझ में आई. एक वक्त ऐसा भी आया था कि लगा सेमीकंडक्टर की कमी की वजह से सारा कामकाज ठप न पड़ जाए.
डिजिटल होती दुनिया में सेमीकंडक्टर का बाजार भी बढ़ रहा है. भारत सरकार भी साल 2021 से लेकर अब तक कई नीतियां इस सेक्टर को लेकर बना चुकी है. इसी कड़ी में असम के मोरीगांव में टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (टीएसएटी) ने सेमीकंडक्टर इकाई शुरू कर दी है. यह परियोजना न केवल तकनीकी विकास का प्रतीक है, बल्कि यह भारत के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को भी पूरा करने में बड़ा कदम साबित होने जा रहा है.
भारत सरकार की ओर से मिले डाटा की मानें तो इस इकाई में 27,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है,और यह रोज 480 लाख सेमीकंडक्टर चिप्स का उत्पादन करेगी. इसमें उन्नत पैकेजिंग तकनीकों जैसे फ्लिप चिप और इंटीग्रेटेड सिस्टम इन पैकेज (आईएसआईपी) का इस्तेमाल किया जाएगा. यह इकाई ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, दूरसंचार और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे आवश्यक क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन की गई है.साल 2025 तक यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से काम करना शुरू कर देगा.
भारत में सेमीकंडक्टर इकाइयों की स्थापना
पैरामीटर | विवरण |
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कार्यक्रम का नाम | भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले निर्माण इकोसिस्टम का विकास |
शुरुआत की तिथि | 21 दिसंबर 2021 |
कुल बजट | ₹76,000 करोड़ |
स्वीकृत इकाइयों की संख्या | 3 |
निर्माण कार्य की शुरुआत | घोषणा के 100 दिनों के भीतर |
इस प्रोजेक्ट से होने वाला फायदा
मोरीगांव की यह सेमीकंडक्टर इकाई केवल तकनीकी विकास तक सीमित नहीं है; यह 15,000 प्रत्यक्ष और 11,000 से 13,000 अप्रत्यक्ष नौकरियों का भी जरिया बन चुकी है. यह प्रोजेक्ट यह असम और आस-पास के क्षेत्रों में क्षेत्रीय आर्थिक विकास में योगदान दे रही है. बताया जा रहा है कि यइ इकाई देश और अंतरराष्ट्रीय मांग के हिसाब से सेमीकंडक्टर का उत्पादन करेगी.
सेमीकंडक्टर फैब
पैरामीटर | विवरण |
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इकाई का नाम | टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (TEPL) और PSMC, ताइवान का सहयोग |
स्थान | धोलेरा, गुजरात |
निवेश | ₹91,000 करोड़ |
क्षमता | 50,000 वेफर प्रति माह (WSPM) |
तकनीकी साझेदार | PSMC (पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन) |
तकनीकी क्षेत्र | उच्च प्रदर्शन कंप्यूट चिप्स (28 एनएम तकनीक), पावर प्रबंधन चिप्स |
कवर किए गए क्षेत्र | इलेक्ट्रिक वाहन, दूरसंचार, रक्षा, ऑटोमोबाइल, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, डिस्प्ले आदि। |
भारत सेमीकंडक्टर मिशन
भारत सरकार ने आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं.उद्योग के अनुमानों के मुताबिक,साल 2023 में भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार लगभग 38 अरब डॉलर का होगा और 2030 तक यह बढ़कर 109 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. इसके लिए भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) का मकसद एक स्थायी सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम तैयार करना है. आईएसएम सरकारी मंत्रालयों, उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच पुल का काम करता है ताकि संसाधनों का ठीक से इस्तेमाल किया जा सके.
भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग की प्रगति: मोरीगांव परियोजना की जानकारी
विषय | विवरण |
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परियोजना का नाम | टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (TSAT), मोरीगांव, असम |
निवेश राशि | ₹27,000 करोड़ |
उत्पादन क्षमता | प्रतिदिन 48 मिलियन सेमीकंडक्टर चिप्स |
तकनीकी विशेषताएं | फ्लिप चिप और इंटीग्रेटेड सिस्टम इन पैकेज (ISIP) जैसी उन्नत पैकेजिंग तकनीक |
लक्ष्य क्षेत्र | ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, दूरसंचार, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स |
समाप्ति अवधि | मध्य 2025 |
रोजगार सृजन | 15,000 प्रत्यक्ष और 11,000-13,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां |
बाजार आपूर्ति | घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों |
सेमीकंडक्टर मिशन | 2030 तक $109 बिलियन बाजार तक पहुंचाने के लिए आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम का निर्माण |
अन्य परियोजनाएं | गुजरात (धोलेरा और साणंद), मोहाली प्रयोगशाला आधुनिकीकरण |
सरकारी योजनाएं | सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI), SPECS |
सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम
साल 2021 में शुरू किया गया सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम घरेलू सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए फंड के साथ स्थापित किया गया था. यह पहल केवल निर्माण सुविधाओं (फैब) तक सीमित नहीं है, बल्कि पैकेजिंग, डिस्प्ले वायर, आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग (ओएसएटी), सेंसर और अन्य महत्वपूर्ण घटकों का भी ध्यान रखती है. इस कार्यक्रम के तहत चार योजनाएं शुरू की गई हैं:
1.सेमीकंडक्टर फ़ैब की स्थापना: भारत में सेमीकंडक्टर फ़ैब की स्थापना के लिए संशोधित योजना.
2. डिस्प्ले फ़ैब की स्थापना: भारत में डिस्प्ले फ़ैब की स्थापना के लिए संशोधित योजना.
3. संवेदनशील फ़ैब: कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स/सिलिकॉन फ़ोटोनिक्स/सेंसर फ़ैब/डिस्क्रीट सेमीकंडक्टर्स.
4.डिज़ाइन लिंक्ड प्रोत्साहन (डीएलआई): डिज़ाइन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना.
अन्य परियोजनाएँ
मोरीगांव प्रोजेक्ट भारत सरकार की मदद से चलाई गई परियोजनाओं के व्यापक नेटवर्क का हिस्सा है. कैबिनेट ने देश भर में कई अन्य सेमीकंडक्टर इकाइयों की स्थापना को मंजूरी दी है, जिसमें गुजरात के धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और साणंद में सीजी पावर शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, कायन्स सेमीकॉन प्राइवेट लिमिटेड को भी साणंद में एक इकाई स्थापित करने की मंजूरी दी गई है.
विशेष सेमीकंडक्टर ATMP यूनिट
पैरामीटर | विवरण |
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इकाई का नाम | सीजी पावर और Renesas इलेक्ट्रॉनिक्स (जापान), Stars माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स (थाईलैंड) का सहयोग |
स्थान | साणंद, गुजरात |
निवेश | ₹7,600 करोड़ |
क्षमता | 15 मिलियन चिप्स प्रतिदिन |
तकनीकी साझेदार | Renesas इलेक्ट्रॉनिक्स (माइक्रोकंट्रोलर्स, एनालॉग, पावर और SoC उत्पादों में विशेषज्ञता) |
कवर किए गए क्षेत्र | उपभोक्ता, औद्योगिक, ऑटोमोबाइल और पावर एप्लीकेशंस। |
भविष्य की दिशा
सरकार ने मोहाली में सेमी-कंडक्टर प्रयोगशाला के आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है और इलेक्ट्रॉनिक घटकों तथा सेमीकंडक्टर्स (एसपीईसीएस) के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना बनाई है. ये प्रयास चिप डिजाइन, निर्माण, परीक्षण और असेंबली सहित हर क्षेत्र में समर्थन सुनिश्चित करते हैं.
असम के मोरीगांव में स्थापित होने वाली यह सेमीकंडक्टर इकाई भारत की तकनीकी नींव को मजबूत करने और आर्थिक लचीलेपन तथा आत्मनिर्भरता के मकसद को पूरा करती है. जैसे-जैसे दुनिया भर में सेमीकंडक्टर्स की मांग बढ़ रही है, भारत का बढ़ता हुआ सेमीकंडक्टर्स इन्फ्रास्ट्रक्चर नई तकनीक को बढ़ावा देने, रोजगार सृजित करने और वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण देश बनने की दिशा में तैयार हो रहा है.
सेमीकंडक्टर का अंतरराष्ट्रीय बाजार और भारत की निर्भरता
भारत विश्व स्तर पर सेमीकंडक्टर्स का एक बड़ा खरीददार है. साल 2022 में, भारत का सेमीकंडकर आयात लगभग 24 अरब डॉलर का था. यह संख्या इस बात को दर्शाती है कि देश अपनी बढ़ती इलेक्ट्रॉनिक घटकों की मांग को पूरा करने के लिए दूसरे देशों पर कितना निर्भर है.
भारत की अधिकांश सेमीकंडकर आवश्यकताएं ताइवान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देशों से पूरी होती हैं. ताइवान की TSMC (ताइवान सेमीकंडक्टर्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी) और दक्षिण कोरिया की सैमसंग प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं.
साल 2020 में शुरू हुई वैश्विक सेमीकंडकर कमी ने भारत के विनिर्माण क्षेत्र पर असर डाला है. इस कमी ने चिप्स पर निर्भर उद्योगों जैसे ऑटोमोटिव और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में कीमतों में वृद्धि और उत्पादन में देरी की वजह बना.
वर्तमान समय में, भारत कई प्रमुख देशों पर निर्भरता बनाए हुए है जो उच्च गुणवत्ता वाले चिप्स प्रदान करते हैं.
भारतीय सेमीकंडकर बाजार में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसके अनुसार यह 2030 तक 109 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.
भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (A मशीन लर्निंग (ML), और 5G दूरसंचार जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है जो एडवांस सेमीकंडक्टर चिप्स की मांग को बढ़ाएंगी.
जैसे-जैसे दुनिया भर में चिप्स की मांग बढ़ रही है, भारत अपने बढ़ते हुए सेमी-कंडक्टर्स इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मजबूत बनाने हेतु तैयार हो रहा है.
वैश्विक सेमीकंडक्टर उत्पादन में प्रमुख देश
1.ताइवान: ताइवान का TSMC (ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी) दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे एडवांस सेमीकंडक्टर निर्माता है. TSMC लगभग 54% वैश्विक चिप उत्पादन का योगदान करता है और यह कई प्रमुख तकनीकी कंपनियों के लिए चिप्स का निर्माण करता है.
2. दक्षिण कोरिया: दक्षिण कोरिया की सैमसंग और SK Hynix जैसी कंपनियाँ भी वैश्विक चिप उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. सैमसंग, विशेष रूप से, मेमोरी चिप्स के लिए जानी जाती है और यह दुनिया की सबसे बड़ी मेमोरी चिप निर्माता है
3. संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका में Intel, Qualcomm, और NVIDIA जैसी कंपनियाँ प्रमुख हैं. अमेरिका उच्च तकनीकी चिप्स के विकास में अग्रणी है, विशेषकर एआई और डेटा सेंटर के लिए आवश्यक चिप्स में.
4.जापान: जापान की कंपनियाँ जैसे कि Toshiba और Renesas भी सेमीकंडक्टर उद्योग में महत्वपूर्ण हैं, विशेषकर ऑटोमोटिव चिप्स के उत्पादन में.
5.चीन: चीन तेजी से अपने सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ा रहा है, लेकिन अभी भी इसे उच्च गुणवत्ता वाले चिप्स के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ता है.
भारत का सेमीकंडक्टर आयात
भारत अपनी बढ़ती इलेक्ट्रॉनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इन देशों से सेमीकंडक्टर का आयात करता है. भारत का सेमीकंडक्टर आयात 2022 में लगभग 24 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. यह संख्या इस बात को दर्शाती है कि भारत अपनी बढ़ती इलेक्ट्रॉनिक घटकों की मांग को पूरा करने के लिए विदेशी स्रोतों पर कितना निर्भर है.
भारत को सेमीकंडक्टर देने वाले प्रमुख देश
ताइवान: भारत ताइवान से उच्च गुणवत्ता वाले चिप्स का आयात करता है, विशेषकर TSMC से.
दक्षिण कोरिया: सैमसंग जैसे दक्षिण कोरियाई निर्माताओं से मेमोरी चिप्स और अन्य आवश्यक चिप्स का आयात किया जाता है.
संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका से विशेष रूप से एआई और डेटा प्रोसेसिंग के लिए आवश्यक उच्च तकनीकी चिप्स का आयात होता है
सेमीकंडक्टर उद्योग एक वैश्विक नेटवर्क पर निर्भर करता है जिसमें ताइवान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, जापान और चीन जैसे देश प्रमुख भूमिका निभाते हैं. भारत इन देशों पर अपनी बढ़ती इलेक्ट्रॉनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए निर्भर है. हालांकि, आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए कदमों के साथ, भारत अपने घरेलू उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है ताकि भविष्य में इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर सके. इस प्रकार, भारत की रणनीति न केवल आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में काम कर रही है बल्कि इसे वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी बनाने की भी कोशिश कर रही है.
सेमीकंडक्टर उद्योग से फायदा
श्रेणी | प्रभाव |
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भारत सेमीकंडक्टर मिशन | चिप निर्माण, उन्नत पैकेजिंग और सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम का विकास। |
रोजगार संभावनाएं | प्रत्यक्ष: 20,000 नौकरियां; अप्रत्यक्ष: 60,000 नौकरियां |
क्षेत्रीय लाभ | ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, औद्योगिक निर्माण और अन्य सेमीकंडक्टर उपयोग क्षेत्रों में वृद्धि। |