अग्रित पत्रिका संवाद !

 अग्रित पत्रिका संवाद : दिल्ली का ये औद्योगिक क्षेत्र बेहाल, अतिक्रमण-जर्जर सड़कें और सफाई का अभाव; महिलाएं असुरक्षित

फ्रेंड्स कॉलोनी औद्योगिक क्षेत्र के करवा बारी….

यमुनापार के फ्रेंड्स कॉलोनी औद्योगिक क्षेत्र में अतिक्रमण, जर्जर सड़कें, साफ-सफाई अभाव से कारोबारी लंबे समय से परेशान है। स्थिति यह है कि शाम को स्ट्रीट लाइट न जलने से पूरे क्षेत्र में अंधेरा हो जाता है। ऐसे में महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही असामाजिक तत्वों का भी जमावड़ा लगा रहता है।

कारोबारियों का कहना है कि यहां पर हजारों लोग काम करते हैं, लेकिन उनके लिए पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। वह अलग-अलग टैक्स के नाम पर सरकार को मोटी रकम अदा करते हैं, लेकिन सरकार उन्हें मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरसा रही है।
बरसात के दिनों में सड़कों पर पानी जमा हो जाता है। यहां सड़कों की हालत इतनी जर्जर है कि माल वाहक वाहनों की आवाजाही प्रभावित होती है। औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद स्ट्रीट लाइटों के अभाव में अक्सर आपराधिक घटनाओं की भी शिकायतें आती रहती हैं। बिजली की दरों में भी कटौती नहीं की जा रही है। यदि यह सब समस्याएं हल कर दी जाएं तो कारोबार की गति बढ़ने लगेगी। यह बातें बृहस्पतिवार को फ्रेंड्स कॉलोनी औद्योगिक क्षेत्र के कारोबारियों ने अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में रखीं।
फ्रेड्स कॉलोनी दिल्ली का आजादी से भी पहले का औद्योगिक क्षेत्र है। पहले यहां पर बड़े उद्योग थे। लेकिन बाद में 1951 और 1961 में मास्टर प्लान एक और दो आए तो यहां पर छोटी-छोटी फैक्टरियां लगनी शुरू हुई। वर्तमान में यहां 3000 के करीब औद्योगिक इकाइयां हैं। यहां की गलियां संकरी हैं। इन समस्याओं का समाधान जरूरी है। 
सबसे बड़ी समस्या अतिक्रमण की है। इसको लेकर संबंधित एजेंसियों की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। इससे माल वाहक वाहनाें का आवागमन प्रभावित होता है।
लंबे समय इस क्षेत्र में हम कारोबार कर रहे हैं। लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। सरकारें अलग-अलग तरह के टैक्स ले रही हैं। नालियां और गटर खुले हुए हैं। 
क्षेत्र में पीने के पानी को बड़ी समस्या है। यहां के हजारों कर्मियों को दिक्कत होती है। पानी गंदा आता है। सीवर लाइन ओवरफ्लो हो रही है।  -विनीत जैन, महासचिव, फ्रेंड्स कॉलोनी इंडस्ट्रियलिस्ट एसोसिएशन
फ्रेंड्स कॉलोनी औद्योगिक
क्षेत्र में महिला सुरक्षा केनाम पर कुछ नहीं है। यहां पर महिला कर्मियों की संख्या काफी है। ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। -हेमा शर्मा, उद्यमी 

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