भारत में हर किसान की आईडी क्यों जल्दी बनवाना चाहती है सरकार?
भारत में हर किसान की आईडी क्यों जल्दी बनवाना चाहती है सरकार?
किसानों की आईडी एक 12 अंकों वाला यूनीक पहचान होगा, जिसे देश के हर किसानों को दिया जाएगा. यह आईडी किसानों की डिजिटल पहचान के रूप में काम करेगी.
भारत का एक बड़ा वर्ग किसानी पर निर्भर है. यही कारण है कि केंद्र और राज्य सरकार अलग-अलग तरीके या टेक्नोलॉजी तलाशती रहती है ताकि खेती को और भी ज्यादा उत्पादक और लाभदायक बनाया जा सके. इसी क्रम में डिजिटल आईडी कार्ड की पहल की गई है.
इस आईडी का उद्देश्य न केवल किसानों को सशक्त बनाना है, बल्कि कृषि क्षेत्र को डिजिटल तरीके से ज्यादा पारदर्शी और प्रभावी भी बनाना है. सरकार के इस कदम से किसानों को सरकारी योजनाओं का सीधा और तत्काल लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही कृषि विभाग को बेहतर डाटा के माध्यम से योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन करने में भी सहायता मिलेगी. सरकार का यह कदम डिजिटल कृषि क्रांति की ओर एक बड़ा कदम है, जो देश के किसान समुदाय को एक नई दिशा देने का वादा करता है.
ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं कि आखिर क्या है किसानों की ये डिजिटल आईडी और सरकार इसे जल्दी क्यों बनवाना चाहती है?
किसानों की आईडी क्या है?
किसानों की आईडी एक 12 अंकों वाला यूनीक पहचान है, जिसे देश के हर किसानों को जिया जाएगा. यह आईडी किसानों की डिजिटल पहचान के रूप में काम करेगी. इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को सरकारी योजनाओं और सेवाओं का फायदा आसानी से और बिना किसी समस्या के दिलवाना है.
कैसे काम करेगी यह आईडी?
किसानों को पीएम किसान योजना, फसल बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसे अलग-अलग सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए इस आईडी की जरूरत पड़ेगी. इसके जरिये उन्हें इन योजनाओं का लाभ बिना किसी परेशानी के आसानी से मिल जाएगा.
इतना ही नहीं इस आईडी से किसानों को आसानी से कृषि ऋण (क्रेडिट) और वित्तीय मदद भी मिल सकेगी, क्योंकि उनकी पहचान पहले से ही सरकार के पास दर्ज होगी. यह आईडी किसान के भूमि रिकॉर्ड से भी जुड़ी होगी, ताकि सरकार को यह पता चल सके कि किस किसान के पास कौन सी जमीन है और किसकी जरूरत क्या है. इससे योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन भी हो पाएगा.
सरकार इतनी जल्दी क्यों चाहती है कि हर किसान को यह आईडी मिल जाए?
1. सरकारी योजनाओं का लाभ आसान बनाना
भारत में किसानों के लिए कई योजनाएं और सहायताएं उपलब्ध हैं, जैसे पीएम किसान, पीएम फसल बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड आदि. इन योजनाओं का लाभ पाना किसानों के लिए अक्सर एक जटिल प्रक्रिया होती है. ऐसे में यूनिक किसान आईडी के जरिये सरकार किसानों का डेटा एकत्रित करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि हर किसान को इन योजनाओं का सही और समय पर लाभ मिले. आईडी के जरिए किसानों को बिना किसी परेशानी के सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिल सकेगा, क्योंकि उनकी पहचान और भूमि रिकॉर्ड सीधे जुड़े होंगे.
2. कृषि डेटा का बेहतर संग्रहण और निगरानी
भारत में किसानों की संख्या बड़ी है और उनकी ज़रूरतें भी विविध हैं. वर्तमान में कृषि क्षेत्र से जुड़ी योजनाओं का डाटा अलग अलग विभागों और राज्यों में बिखरा हुआ है, जिससे योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने में काफी कठिनाई होती है. सरकार का उद्देश्य एक केंद्रीय डेटाबेस तैयार करना है, जो सभी राज्य सरकारों के डेटा को एकत्रित कर, किसानों की स्थिति और जरूरतों के बारे में सटीक जानकारी प्रदान कर सकें. यूनीक आईडी के माध्यम से, यह डेटाबेस सरकार को कृषि योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन, नीति निर्माण और निगरानी में मदद करेगा.
3. डिजिटल तकनीक से कृषि में सुधार
इस आई के जरिये किसानों की पहचान और भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल तरीके से जोड़ा जाएगा. और इससे कृषि क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ेगा. GIS (भौगोलिक सूचना प्रणाली) के माध्यम से भूमि पार्सल और कृषि संबंधित जानकारी को डिजिटाइज किया जाएगा. इससे सरकार और निजी क्षेत्र दोनों को किसानों को सही सलाह देने और कृषि से जुड़ी आवश्यकताओं को पहचानने में मदद मिलेगी. जैसे-जैसे GIS डेटा उपलब्ध होगा, किसानों को मौसम, सिंचाई, खाद्य इस्तेमाल और अन्य कृषि संबंधित फैसलों के लिए बेहतर मार्गदर्शन मिलेगा.
4. कृषि क्रेडिट और वित्तीय मदद
भारत में छोटे और मझोले किसानों को अक्सर बैंक से कृषि क्रेडिट या वित्तीय मदद प्राप्त करने में कठिनाई होती है. सरकार का मानना है कि यूनिक किसान आईडी के माध्यम से किसानों को वित्तीय सुविधाएं और कृषि क्रेडिट सीधे उनके खाते में मिल सकेगी. इसके साथ ही, भूमि रिकॉर्ड के आधार पर कृषि बीमा और अन्य वित्तीय योजनाओं का सही तरीके से वितरण संभव होगा, जिससे किसानों को आर्थिक सहायता जल्दी और प्रभावी रूप से मिल सकेगी.
5. नकल से बचाव और पारदर्शिता
भारत में कृषि योजनाओं के बारे में अक्सर गलत जानकारी फैला दी जाती है. कई बार तो कोई अन्य व्यक्ति गलत तरीके से इन सरकारी योजनाओं का लाभ उठा लेते हैं और जिन्हें वाकई इसका लाभ मिलना चाहिए उनतक सही जानकारी ही नहीं पहुंच पाती है. ऐसे में इस आईडी के बाद पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होने की उम्मीद है.
6. कृषि विभाग और राज्य सरकारों के लिए बेहतर योजना और रणनीति
किसानों का एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाने का मतलब है कि सभी किसानों के बारे में एक जगह पर सटीक और पूरी जानकारी एकत्रित की जाएगी. इससे राज्य सरकार और केंद्रीय मंत्रालय कृषि से जुड़ी योजनाओं और खरीदारी के बारे में बेहतर योजना बना सकेंगे. जब उनके पास सही और ताज़ा आंकड़े होंगे, तो वे इन योजनाओं को सही तरीके से लागू कर पाएंगे और किसान समुदाय को सही समय पर मदद मिल सकेगी. साथ ही, राज्यों को अपनी कृषि नीतियों को भी सही तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी, क्योंकि उन्हें पता होगा कि किस राज्य में किस तरह की कृषि गतिविधियां चल रही हैं और किस किसान को किस प्रकार की मदद की जरूरत है. इस तरह से, योजनाओं का असर अधिक प्रभावी होगा और किसानों को बेहतर लाभ मिलेगा.
11 करोड़ किसानों को मिलेगी डिजिटल पहचान
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सरकार के लक्ष्य 11 करोड़ किसानों का डिजिटल पहचान पत्र बनाना है. इन 11 करोड़ किसानों से 6 करोड़ किसानों को वित्त वर्ष 2024-25, तीन करोड़ को वित्त वर्ष 25-26 और 2 करोड़ किसानों को वित्त वर्ष 2026-27 में कवर किया जाएगा.
यही कारण है कि केंद्र सरकार ने अब इन किसानों की आईडी बनवाने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है. इस मामले में 28 नवंबर को कृषि मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों को पत्र भी भेजा गया है.
राज्यों को मिलेगी प्रोत्साहन राशि
कृषि मंत्रालय ने सभी राज्यों में किसान आईडी को बनाने के लिए शिविर लगाने का निर्देश दिया है. इसके साथ केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों को शिविर लगाने के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान करने की भी घोषणा की गई है. इसमें हर शिविर से लिए 15000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा.
इन राज्यों में तेजी से बन रही है किसान आईडी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और यूपी में किसान आईडी बनाने का काम काफी रफ्तार से चल रहा है. वहीं ओडिशा, असम और छत्तीसगढ़ यह फील्ड परिक्षण के चरण में है.