इंदौर पर ड्रग्स का दाग ?
इंदौर में जहां मांगो, वहां ड्रग्स मिल जाएगी। यहां कोड वर्ड में बुकिंग से लेकर डिलीवरी तक का पूरा संगठित नेटवर्क है। इसमें महिलाएं भी शामिल हैं।
…….रिपोर्टर ने ‘ऑटो ड्राइवर’ बनकर 700 रुपए में ब्राउन शुगर की डील की। पैडलर कुछ ही देर में ‘माल’ लेकर आ गया। इंदौर की गलियों में ड्रग्स बिक्री को एक्सपोज करने के लिए रिपोर्टर ने शहर के सात इलाकों में स्टिंग कर ब्राउन शुगर से लेकर एमडीएमए खरीदने का सौदा किया।
5 अक्टूबर को गुजरात ATS और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने भोपाल में एमडीएमए (केमिकल से तैयार होने वाली एक ड्रग्स) बनाने की बड़ी फैक्ट्री पकड़ी थी। इस ड्रग्स की सबसे ज्यादा खपत वाले इंदौर शहर में भास्कर ने पूरे नेटवर्क को इन्वेस्टिगेट किया।
रिपोर्टर ने दो दिन तक ड्रग्स एडिक्ट के साथ रहकर समझा कि उन्हें ड्रग्स कौन सप्लाई करता है। इसके बाद सात दिन तक ऑटो रिक्शा ड्राइवर बनकर उन लोगों तक पहुंचा जो ड्रग्स की सप्लाई करते हैं, उनसे सौदा किया। किसी भी पैडलर से ड्रग्स खरीदा नहीं, केवल डील की। …
इस पूरे ऑपरेशन के दौरान 3 बातें सामने आईं
- ड्रग्स के लिए इंदौर में ‘टोकन’ कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है। एक ‘टोकन’ का मतलब है एमडीएमए या ब्राउन शुगर की एक पुड़िया।
- पैडलर अपने नेटवर्क से जुड़े व्यक्ति के अलावा किसी को ड्रग्स सप्लाई नहीं करते। एक बार पहचान होने बाद डील करने लगते हैं।
- ड्रग्स का 1 रुपए का रेट मतलब 100 रुपए है। पैडलर 7 रुपए की डिमांड कर रहा है, इसका मतलब 700 रुपए मांग रहा है।
स्टिंग 1: ड्रग्स की डील कैंसिल की तो रिपोर्टर को धमकाया- दिखना मत, टांगें तोड़ देंगे
सबसे पहले भास्कर टीम ने इंदौर के पलासिया इलाके से स्टिंग ऑपरेशन शुरू किया। यहां गीता मंदिर के पीछे बड़ी ग्वालटोली की एक संकरी गली से होते हुए ड्रग बेचने वाली महिला के घर तक पहुंचे। उसे लोग ‘भाभी’ के नाम से जानते हैं। उसका पति हर आने-जाने वाले पर नजर रखता है। दो मंजिला मकान के बाहर खुले बरामदे में काली पॉलीथिन हाथ में लेकर बैठी मिली। रिपोर्टर और डमी ग्राहक ने महिला से ड्रग्स की डील की…
डमी ग्राहक : भाभी एक टोकन (ड्रग्स) चाहिए?
महिला : तुम दो लोग आए हो, दूसरे को मैं नहीं जानती हूं, पहले बताओ यह कौन है?
डमी ग्राहक : भाभी मैं तो आपके पास रोज आता हूं। यह मेरा दोस्त है। आप चिंता मत करो।
महिला : नहीं मुझे इस पर शक है। इसका मोबाइल चेक करवाओ। ( .. और रिपोर्टर के हाथ से महिला ने मोबाइल छीन लिया। मोबाइल की फोटो गैलरी में जाकर चेक किया तो कोई वीडियो नहीं मिला)
महिला : (मोबाइल वापस रिपोर्टर को देते हुए…) पता नहीं कब कोई शिकायत कर दे? इसलिए सावधानी जरूरी है।
जब रिपोर्टर और डमी ग्राहक की महिला से बात हो रही थी, उसी दौरान उसका पति आया और बोला क्या हो गया? हमने कहा कुछ नहीं हुआ। भाभी को थोड़ा शक हुआ था।
रिपोर्टर : भाभी टोकन तो मिल जाएगा न?
महिला : काली पॉलीथिन से एक पुड़िया निकालते हुए बोली- कौन सा टोकन लगवाना है बताओ? एक लगवाना है या दो?
रिपोर्टर : अभी तो एक ही टोकन चाहिए।
..जैसे ही महिला ने पुड़िया निकाली, रिपोर्टर ने अपने पास कम पैसे होने का हवाला देते हुए डील कैंसिल कर दी।
चाचा : अगली बार गली के आसपास दिखना नहीं चाहिए। अगर यहां दिख गए तो टांगे तोड़ दूंगा। सामान खरीदना नहीं है तो टाइम क्यों खराब कर रहे हो।
विवाद बढ़ता देख भास्कर रिपोर्टर और डमी ग्राहक दोनों वहां से निकल गए। यहां की गलियां इतनी संकरी हैं कि यदि किसी ने हमला किया तो बचने की गुंजाइश कम है।
स्टिंग 2: आंटी बोली- भाव बढ़ गया, एक पुड़िया अब 700 रुपए में मिलेगी
बड़ी ग्वालटोली इलाके में ही एक और महिला के बारे में पता चला कि वह भी ड्रग्स बेचती है। उसे लोग ‘आंटी’ कहते हैं। घर पलासिया पुलिस थाने के ठीक पीछे वाली गली में है। भास्कर रिपोर्टर डमी ग्राहक को लेकर महिला से ड्रग्स खरीदने पहुंचा।
डमी ग्राहक : (500 का नोट ‘आंटी’ के हाथ में थमाते हुए)- एक पुड़िया चाहिए।
आंटी : तुझे पहले ही बताया था कि एक पुड़िया का भाव बढ़ गया है। अब 7 रुपए (700 रुपए) लगेंगे। ( इसी बीच पीछे खड़े रिपोर्टर पर नजर पड़ी) किसी को साथ क्यों लाए हो, लेना है तो अकेले आओ।
रिपोर्टर : आंटी मैं तो इनके साथ ही रहता हूं।
डमी ग्राहक : आंटी 6 रुपए में दे दो?
रिपोर्टर के सामने ही वह 6 रुपए में पुड़िया देने के लिए राजी हो गई। बातचीत के दौरान महिला को शक हुआ कि रिकॉर्डिंग तो नहीं की जा रही। पास बैठी उसकी लड़की ने मोबाइल चेक करने की कोशिश की, लेकिन तब तक टीम वहां से बाहर निकल चुकी थी। इस दौरान घरों की छतों से बच्चों ने आवाज लगाई, भैया टोकन लगवाना है क्या?
गली से बाहर लोगों ने बताया कि ‘आंटी’ का पूरा परिवार पुड़िया बेचता है। उसे पुलिस का बिल्कुल भी डर नहीं है।
स्टिंग 3: कॉल पर जहां डिलीवरी मांगी, वहां ड्रग्स लेकर पहुंच गया पैडलर
भास्कर इन्वेस्टिगेशन टीम ने निपानिया इलाके के बड़े पैडलर राज भाई को उसके मोबाइल नंबर +91 8103736338 पर कॉल किया। राज ने पूछा- कौन से इलाके में डिलीवरी चाहिए? रिपोर्टर ने कहा- विजय नगर में। राज ने कहा- स्टाफ की कमी है, स्टार चौराहे पर आकर ले लो। भास्कर टीम स्टार चौराहे पर पहुंची और राज को कॉल किया।
रिपोर्टर : राज भैया हम स्टार चौराहे पर आ गए हैं।
राज: चौराहे पर कहां-किस साइड खड़े हो, कौन सी गाड़ी है?
जब सारी जानकारी दी तो उसने कोकिलाबेन अस्पताल की तरफ आने के लिए कहा।
रिपोर्टर : हम कोकिलाबेन अस्पताल के कब्रिस्तान के पास हैं।
राज : कहां हो दिखाई नहीं दे रहे… दिख गए, आ रहा हूं।
राज का साथी बाइक चला रहा था और वह पीछे बैठा था। उसने अपनी जेब से एमडीएमए की पुड़िया निकालकर दिखाई।
भास्कर की टीम ने आसपास के लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि राज ब्राउन शुगर और एमडीएमए ड्रग्स का बड़ा पैडलर है। विजय नगर और इसके आसपास के इलाके में इसका काफी प्रभाव है। हालांकि, थोड़े दिन पहले ही पुलिस से पकड़ कर ले गई थी। वह जेल में बंद था।
स्टिंग 4: पैडलर ने दावा किया- जहां कहोगे, वहां नशा उपलब्ध करवा दूंगा
भास्कर टीम इंदौर के भागीरथपुरा इलाके में पहुंची। यहां सबसे ज्यादा नशे का कारोबार होता है। पुलिस चौकी से 700 मीटर दूर एक गली में इंदौर का बड़ा ड्रग्स पैडलर रोहित रहता है। इंदौर के अलग-अलग इलाकों में रहने वाले स्टूडेंट और मजदूर वर्ग के लोग उसके पास ड्रग्स लेने पहुंचते हैं। जब कोई ग्राहक संपर्क करता है तो वह छोटे बच्चों से ड्रग्स की डिलीवरी करवाता है।
रोहित को घर से बाहर निकलते देख रिपोर्टर उससे मिलने पहुंचा। उसने पूछा- आप कौन? रिपोर्टर ने खुद को नगर निगम ऑफिसर बता कर रोहित से बातचीत शुरू की।
रिपोर्टर: क्या काम करते हो ?
रोहित: मैं कुछ भी नहीं करता हूं, मेरा काम आप जान नहीं पाओगे?
रिपोर्टर: बताइए तो..?
रोहित: मैं दिन भर नशा बेचने का काम करता हूं।
रिपोर्टर: पुलिस का डर नहीं लगता है?
रोहित: मुझे किसी का डर नहीं लगता है, क्योंकि मेरे बड़े लोगों से संपर्क हैं।
इतना कहने के बाद रोहित आगे बढ़ा। रिपोर्टर ने टोकन यानी ड्रग्स की बात की..।
रोहित : इंदौर में आप जिससे कहेंगे उसे मैं फोन करूंगा। मेरे नंबर से कॉल जाएगा तो आपका काम हो जाएगा। सभी से मेरे अच्छे संपर्क है। इंदौर में आप जहां कहेंगे वहां पर आपको नशा उपलब्ध करवा दूंगा।
ड्रग्स सप्लाई के नेटवर्क को 2 पॉइंट में जानिए…
1. आती कहां से है..
राजस्थान का प्रतापगढ़ एमडीएमए सप्लाई का सेंटर, मुंबई से भी आती है ब्राउन शुगर
मालवा के साथ इंदौर में ड्रग्स सप्लाई मुख्य केंद्र राजस्थान का प्रतापगढ़ है। पिछले महीने इंदौर क्राइम ब्रांच ने 43 लाख रुपए की एमडीएमए ड्रग्स के साथ तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से दो लखन और दशरथ राजस्थान के थे। ये ड्रग्स की डिलीवरी के लिए इंदौर आए थे। तीसरा आरोपी इरशाद इंदौर का है। यह लोकल में सप्लाई करता है।
एडिशनल DCP राजेश दंडोतिया के मुताबिक इरशाद ने लखन और दशरथ के माध्यम से डल (प्रतापगढ़) से ड्रग्स मंगवाई थी। इसी साल अक्टूबर में भोपाल में पकड़ी गई एमडीएम ड्रग्स की फैक्ट्री के तार भी राजस्थान के प्रतापगढ़ के तस्कर शोएब लाला से जुड़े थे। वहीं ब्राउन शुगर की सप्लाई मुंबई से होती है।
2. पैडलर तक कैसे पहुंचती है..
एजेंट से 10-15 ग्राम खरीदते हैं, ग्राहक को एक-एक ग्राम में बेचते हैं
……टीम को ड्रग्स पैडलर ……का नंबर मिला। अर्पित कुछ दिन पहले ही जेल से बाहर आया है और वह एमआर 10 इलाके में ड्रग्स सप्लाई करता है। अर्पित से मिलकर समझा कि पैडलर तक ड्रग्स कैसे पहुंचती है। अर्पित ने बताया कि इंदौर के सभी पैडलर्स को ड्रग सप्लाई का काम खान भाई की टीम करती है।
दिन के वक्त फोन पर डीलिंग होती है और रात में खान भाई के लोग ड्रग्स की सप्लाई करते है। हम 10-15 ग्राम की मात्रा में खरीदते हैं और एक-एक ग्राम की पुड़िया बनाकर ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। अर्पित ने बताया कि मैंने खान भाई को कभी नहीं देखा है।
अर्पित से खान भाई का नंबर मांगा तो उसने नंबर दे दिया। भास्कर टीम ने + 91 935860#### इस नंबर पर खान भाई को वॉट्सऐप कॉल किया। जवाब मिला – मैं तुमको नहीं जानता, आगे से न तो कॉल करना और न ही मैसेज भेजना।
एडिशनल DCP बोले- पुलिस से बचने के लिए टुकड़ों में सप्लाई
गली-मोहल्लों में बिक रही ड्रग्स को लेकर भास्कर ने इंदौर के एडिशनल DCP राजेश दंडोतिया से बात की। उन्होंने कहा कि ये कहना गलत है कि पुलिस कार्रवाई नहीं करती। आंकड़े गिनाते हुए उन्होंने बताया- पिछले 20 दिनों में इंदौर के अलग-अलग थानों में 100 से अधिक NDPS एक्ट के मामले दर्ज हुए हैं। ये बात सही है कि ज्यादातर पैडलर ही गिरफ्त में आए हैं।
DCP के मुताबिक बड़े से लेकर छोटे ड्रग्स सप्लायर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाती है और उनसे ये पता करने की कोशिश करते हैं कि आखिर उन्हें ये ड्रग्स सप्लाई कौन करता है। पुलिस से बचने के लिए सप्लायर टुकड़ों में इसकी सप्लाई करते हैं।
DCP ने भी माना- पैडलर महिलाओं और बच्चों का इस्तेमाल करते हैं
क्राइम ब्रांच के DCP राजेश कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि ड्रग्स बेचने वाले बड़े शातिर होते हैं। वो खुद को बचाने के लिए महिलाएं और बच्चों को आगे करते हैं। यह माना जाता है कि पुलिस का महिलाओं को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर होता है। पुलिस भी तलाशी तभी लेती है, जब महिला पुलिस कॉन्स्टेबल साथ में हो। ड्रग्स पैडलर इसका फायदा उठाते हैं