कौन है जो दिल्ली को दहलाने की साजिश रच रहा है? चुप क्यों हैं गृह मंत्री
कौन है जो दिल्ली को दहलाने की साजिश रच रहा है? चुप क्यों हैं गृह मंत्री
दिल्ली को दहलाने की कौन कोशिश कर रहा है? वो कौन अपराधी हैं जो इस कदर बेख़ौफ़ है कि कानून को खुली चुनौती दे रहे हैं? एक साथ दिल्ली के 40 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी. यह घटना नजरअंदाज करने योग्य नहीं है, क्योंकि धमकी देने वाले ने 30 हजार डॉलर की मांग भी रखी है. केंद्रीय गृहमंत्रालय के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती इसलिए भी है क्योंकि लगातार आम आदमी पार्टी दिल्ली में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर लगातार जोरदार तरीके से उठा रही है.
राजनीतिक हमला अपनी जगह है, लेकिन असुरक्षित दिल्ली वाजिब चिंता की वजह भी है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में कानून व्यवस्था बड़ा मुद्दा रहने वाला है, इसमें भी कोई संदेह नहीं रह गया है. दिल्ली में बम ब्लास्ट की धमकी और स्कूलों में छुट्टी की घटना के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, “दिल्लीवालों ने दिल्ली में कानून व्यवस्था की इतनी बुरी हालत पहले कभी नहीं देखी. केंद्रीय गृह मंत्री को आकर दिल्लीवालों को जवाब देना चाहिए.”
चुप क्यों हैं केंद्रीय गृह मंत्रालय?
केंद्रीय गृहमंत्राल चुप है. दिल्ली के एलजी विवेक सक्सेना खामोश हैं. इनकी चुप्पी को भी आम आदमी पार्टी ने मुद्दा बना दिया है. दिल्ली में घटी इस घटना ने देश की चिंता बढ़ा दी है कि राजधानी दिल्ली के लोग किस दहशतजदा माहौल में जी रहे हैं. कहीं राजधानी की आंच दूसरे प्रदेशों और शहरों तक न पहुंच जाए. शुक्र है कि कोई घटना नहीं घटी. बच्चों को उनके माता-पिता स्कूल से अपने-अपने घर ले गये. स्कूलों में छुट्टी कर दी गई. कुछ स्कूल ऐसे भी थे जहां रात में ही मैसेज बच्चों के लिए भेज दिए गये कि स्कूल में छुट्टी रहेगी. हजारों बच्चे और अभिभावक चिंतित और परेशान दिखे. वहीं, पुलिस को भी रात-दिन सजग रहकर किसी अनहोनी को न होने देने के लिए सक्रिय रहना पड़ा है. अब तक लूट, हत्या, छेड़खानी, बलात्कार जैसी घटनाएं हो रही थीं, लेकिन अब बम से स्कूल उड़ाने की धमकी तक बात आ चुकी है.
बढ़ती आपराधिक घटनाओं से खौफ में दिल्ली
बम की अफवाह अक्सर स्कूल, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डों पर अफरातफरी मचाते रहे हैं. इस साल नवंबर के महीने में हवाई जहाज और हवाई अड्डों पर करीब हज़ार बार बम होने की धमकी दी गई. इस वजह से उड़ानों में देरी और रूट डायवर्जन हुए.
-मई के महीने में दिल्ली और आसपास के 100 से ज्यादा स्कूलों में ई-मेल से मिली बम की धमकी के कारण हज़ारों छात्रों को स्कूल खाली करना पड़ा
-उत्तर पश्चिम दिल्ली स्थित रोहिणी के प्रशांत विहार इलाके में कम तीव्रता वाला विस्फोट नवंबर 2024 में हुआ, कोई हताहत नहीं हुआ, फिर भी इस घटना ने दिल्ली को दहशतज़दा कर दिया
-20 अक्टूबर को रोहिणी में ही सीआरपीएफ स्कूल के बाहर बम विस्फोट हुआ, यहां से क्रूड बम बरामद किए गए
-एक के बाद एक घट रही छोटी-बड़ी घटनाएं दिल्लीवालों को दहशतज़दा कर रही हैं. आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ 2024 में अब तक 308 हत्याएं दिल्ली में हो चुकी हैं. 1034 डकैती की घटनाएं घटी हैं.
-छिनैती की 4,316 और ठगी की 5,735 घटनाएं इस साल दिल्ली में हुई हैं। 12, 698 चोरी की घटनाएं और 25,140 वाहनो की चोरी हुईं
-सड़क सुरक्षा अलग से ही चिंता का सबब हैं जहां 878 प्राण घातक घटनाएं और 2,702 सामान्य दुर्घटनाएं हुई हैं
-बलात्कार के मामले में दिल्ली महानगरों में टॉप पर है, यहां हर दिन 6 लड़कियों के साथ बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं
अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि सरेआम कारोबारियों से फिरौती मांगी जा रही है. बदमाशों पर कार्रवाई करने के बजाए पुलिस उन्हें ही पकड़ रही है जो पीड़ित हैं और गुंडागर्दी का शिकार हैं. वे आम आदमी पार्टी विधायक नरेश बाल्यान की गिरफ्तारी का भी उदाहरण दे रहे हैं, जिन्होंने पांच बार दिल्ली पुलिस और दिल्ली के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी कि जेल में बंद गैंगस्टर उनसे फिरौती मांग रहे हैं, लेकिन, कार्रवाई करने के बजाए उल्टे उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया गया.
ताजा आपराधिक घटनाओं के हवाले से आम आदमी पार्टी कह रही है कि कारोबारी की दिनदहाड़े मॉर्निंग वॉक करते वक्त हत्या हो रही है. विश्वास नगर की घटना ताजा उदाहरण है. गोविंदपुरी में चाकू मारने की घटना और एक हफ्ता पहले ही पुलिस कॉन्स्टेबल की हत्या हुई थी.
कोई ऐसा दिन नहीं जाता जब दिल्लीवासी जानलेवा हमलों का शिकार नहीं होते. इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के बजाए रोहिंग्या और घुसपैठ जैसे मुद्दे उठाकर बीजेपी राजनीति करने में लगी ही है.
राजधानी दिल्ली को सुरक्षित रखने का सवाल बड़ा बनता जा रहा है. केंद्रीय गृहमंत्री को जवाब लेकर सामने आना होगा। एलजी को भी जवाब देना होगा. दिल्ली पुलिस का फौरी कदम होना चाहिए बम की धमकी देने वालों की गिरफ्तारी हो. पुलिस को यह भी पता लगाना चाहिए कि अपराधी का मकसद यहां अपराध से ज्यादा दिल्ली को डराने का है तो क्यों? वे कौन लोग हैं जो दिल्ली की सुरक्षा को ख़तरे में डालकर आपराधिक कार्रवाई को अंजाम देने का साहस दिखा रहे हैं? अगर दिल्ली बेचैन है तो गृहमंत्री चैन की बंसी बजाते क्यों नज़र आ रहे हैं? क्यों नहीं दिल्ली को सुरक्षित रखने के लिए मजबूत कदम उठाते वे नज़र आ रहे हैं?
प्रेम शंकर सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
(पूर्व मैनेजिंग एडिटर, साधना प्राइम न्यूज/ पूर्व आउटपुट एडिटर, इंडिया न्यूज़)
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि ……. न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]