केजरीवाल के 10 साल में दिल्ली कितनी सेफ ?

महिलाएं बोलीं- सड़कों पर न लाइट, न पुलिस
सरकार कहती है, करती नहीं; केजरीवाल के 10 साल में दिल्ली कितनी सेफ

16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में निर्भया कांड हुआ। 23 साल की निर्भया से चलती बस में गैंगरेप किया गया। फिर उसे और उसके दोस्त को बस से बाहर फेंक दिया। दोनों मुनिरका से द्वारका जाने के लिए बस में बैठे थे। इस घटना का शोर पूरे देश में सुनाई दिया। सरकार सुरक्षा को लेकर सख्त हुई और नई गाइडलाइन बनाई गई।

अब 12 साल बाद क्या दिल्ली की महिलाएं सेफ महसूस करती हैं? ये समझने के लिए दैनिक भास्कर मुनिरका पहुंचा। यहां न स्ट्रीट लाइट जली मिलीं और न पुलिस दिखाई दी। ऑफिस से लौट रही आरके पुरम में रहने वाली तृप्ति कहती हैं, ‘सड़क पर पैदल निकलने में डर लगा रहता है। सड़कों पर न लाइट है, न पुलिस। शिकायत किससे करें।’

शाहदरा में रहने वाली मोनिका कहती हैं, ’सरकार बस कहती है। अपनी सेफ्टी हमें खुद करनी पड़ती है। सरकार शराब बंद कर दे, हम सेफ हो जाएंगे।’ ये सिर्फ तृप्ति या मोनिका की बात नहीं है। निदा, अनु और राधिका समेत दिल्ली की ज्यादातर महिलाएं यही महसूस करती हैं।

दिल्ली में महिला सुरक्षा को लेकर AAP भी केंद्र सरकार पर हमलावर है। अरविंद केजरीवाल ने 16 दिसंबर को दिल्ली में महिला अदालत लगाई। केंद्र सरकार पर दिल्ली की महिलाओं को सुरक्षा न दे पाने का आरोप लगाया। वहीं, BJP केजरीवाल और आतिशी से पूछ रही है कि लॉ एंड ऑर्डर पर मीटिंग कब की।

दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है। चुनाव में महिलाओं के लिए सुरक्षा कितना बड़ा मुद्दा है, दिल्ली में इसे लेकर मौजूदा हालात क्या हैं, पॉलिटिकल पार्टियां इसे कैसे देख रही हैं? ‘हम भी दिल्ली’ सीरीज में आज बात महिलाओं की सुरक्षा की।

मुनिरका में हाईवे वाले रूट से जाने पर डर लगता है…

मुनिरका से लगे आरके पुरम में रहने वाली तृप्ति कहती हैं, ‘मैं रात 9 से 9.30 के बीच ऑफिस से घर लौटती हूं। यहां स्ट्रीट लाइट्स बंद रहती हैं। अंधेरे में थोड़ा डर तो लगता है। अभी तो यहां लोग हैं, कई बार ये जगह सुनसान रहती है।’

‘मैं अब ज्यादातर मेट्रो से ही सफर करती हूं। कैब या बस सेफ नहीं है। मेट्रो में हमारे आसपास लोग रहते हैं, तो सेफ्टी रहती है। अगर कभी सड़क पर पैदल निकलना पड़े, तो डर लगा रहता है कोई पीछे से न आ जाए। खासतौर पर जब हम मुनिरका से वसंत कुंज मॉल जाते वक्त हाईवे वाले रास्ते पर जाते हैं। वहां अंधेरे में गुजरने से डर लगता है।’

वे आगे कहती हैं, ‘बस से कभी-कभार ही जाना होता है, लेकिन अब कुछ सुधार दिखता है। कैमरे लग गए हैं। पुलिस की गाड़ी भी दिख जाती है, लेकिन हाईवे वाला रूट अब भी अनसेफ है। इस पर किसी का ध्यान नहीं है।’

दिल्ली में मुनिरका की ओर जाने वाले हाईवे पर स्ट्रीट लाइट नहीं है। रात के वक्त महिलाएं यहां से पैदल गुजरने में अनसेफ फील करती हैं।
दिल्ली में मुनिरका की ओर जाने वाले हाईवे पर स्ट्रीट लाइट नहीं है। रात के वक्त महिलाएं यहां से पैदल गुजरने में अनसेफ फील करती हैं।

सरकार शराब बंद कर दे, तो महिलाएं सेफ हो जाएंगी’

शाहदरा में रहने वाली मोनिका रोज देर शाम करीब 7.30 बजे से 8.30 बजे के बीच नोएडा से दिल्ली जाती हैं। वे कहती हैं, ‘सरकार हमें क्या देती है। बस का सफर फ्री है, लेकिन सेफ्टी हमें खुद करनी पड़ती है। पीसीआर वैन इत्तफाक से ही कभी दिखती है।’

‘शराब पीकर घूमने वाले बस या सड़क पर कहीं भी आ आते हैं। चोर-उचक्के बस में घुस आते हैं। कोई कुछ नहीं बोलता।’

सरकार आपकी सुरक्षा नहीं कर पा रही? मोनिका गुस्से में कहती हैं, ‘सरकार शराब बंद कर दे, तो महिलाएं अपने आप सेफ हो जाएंगी।’

कोई गलत तरीके से टच करता है, तो कोई पीछा करता है

दिल्ली के कल्याणपुरी में रहने वाली अनु NGO में काम करती हैं। वो रोज देर शाम 7 बजे से 8 बजे के बीच नोएडा से कल्याणपुरी तक सफर करती हैं। अनु कहती हैं, ‘कल्याणपुरी में जहां मैं रहती हूं, वो इलाका बिल्कुल सेफ नहीं। रोजाना चाकू-छुरी चलते हैं। मर्डर होते हैं। सबसे ज्यादा डर तो यहीं लगता है।’

अनु नोएडा से दिल्ली के बीच रोज 20-22 किमी का सफर बस से तय करती हैं। वे कहती हैं, ‘रात में सफर करना सेफ बिल्कुल नहीं। डर लगता है, लेकिन काम करना है तो निकलना मजबूरी है। बस में गलत तरीके से टच किया जाता है। कई बार लोग पीछा करते हैं। ऐसे लोग बस से लेकर सड़क तक कहीं भी मिल जाते हैं।’

पुलिस से शिकायत क्यों नहीं करतीं? अनु कहती हैं, ‘पुलिस हो तो शिकायत करें। नोएडा मोड़ पर ट्रैफिक पुलिस दिखती है। PCR वैन तो मुझे नहीं दिखी। मैं इसीलिए अब ई-रिक्शा लेने लगी हूं। हालांकि वो भी कहां सेफ है। एक बार तो रिक्शे वाला ही पीछे पड़ गया था। मैंने जैसे-तैसे किसी से मदद लेकर खुद को बचाया।’

10-11 किलोमीटर की दूरी पर बीच में थाने तो होंगे? जवाब मिला- ‘उनका क्या करें। पुलिस अगर सड़क पर दिखे, तब तो उसके पास जाएं।’

अनु कहती हैं, ‘मेरे पिता नहीं हैं। मां खेलगांव में जॉब करती हैं। एक छोटी बहन और छोटा भाई है। घर का खर्च हम दोनों को ही उठाना है। कितना भी डर लगे, दिखा नहीं सकते। नहीं तो लोग और कमजोर समझेंगे।‘

शाम हो या रात, पुलिस कभी नहीं दिखती…

शाहदरा की निदा रोज देर शाम 7 से 8 बजे के बीच सफर करती हैं। उनसे हमारी मुलाकात शाहदरा जाने वाली बस में हुई।

निदा कहती हैं, ‘बस में भीड़ होती है तो अनकम्फर्टेबल लगता है। कई बार कुछ लोग सेक्शुअल एक्टिविटीज करते मिल जाते हैं। उनसे डर लगता है। हालांकि कंडक्टर या ड्राइवर से शिकायत करने पर एक्शन होता है। अभी जो नई बसें लॉन्च हुई हैं, उनमें CCTV कैमरे और पैनिक बटन भी हैं। हालांकि अब तक मुझे इनकी जरूरत नहीं पड़ी है।’

क्या बसों में मार्शल होते हैं? जवाब में कहती हैं, ‘मैंने तो नहीं देखे।’

आप रेगुलर रात में सफर करती हैं, कभी पुलिस वैन दिखती है? जवाब मिला- ‘कभी नहीं। शाम हो या फिर देर रात, पुलिस कभी नहीं दिखती। महिला पुलिस तो कभी नहीं दिखती।’

बसों में शराबी चढ़ते हैं, महिलाओं से सटकर खड़े होते हैं

मयूर विहार में रहने वाली राधिका सेफ्टी के बारे में पूछने पर कहती हैं, ‘बस में जेबकतरे और चोर चढ़ते हैं। जेब कतरे तो ब्लेड और चाकू लिए होते हैं। जरा सा भी रिएक्ट करने पर हमला कर देते हैं। बस में शराबी तक चढ़ जाते हैं। महिलाओं से सटकर खड़े होते हैं। कंडक्टर और ड्राइवर कुछ नहीं बोलते। उनकी आपस में कुछ सेटिंग होगी, तभी नहीं बोलते।’

राधिका लक्ष्मी नगर में चाय की दुकान चलाती हैं। वो रोज सुबह 9 बजे दुकान पहुंचती हैं और शाम को 6.30 से 7 के बीच लौटती हैं। रोजाना बस से आती-जाती हैं। उनसे बस के मुफ्त सफर के बारे में पूछा तो वो भड़कते हुए कहती हैं, ‘क्या फ्री है। बस का इंतजार करते आधे घंटे से ज्यादा हो गए। बस टाइम से नहीं आती। रोज लेट होते हैं।’

‘रात में भी यही हाल है। अकेले डर लगता है, उस पर ये लोग लेट कराते हैं। कभी-कभी तो घर पहुंचने में 10 बज जाते हैं।’

पॉलिटिकल पार्टीज के आरोप और दावे क्या हैं… AAP: पुलिस BJP की है, महिलाएं सेफ फील नहीं करतीं

आम आदमी पार्टी के उपाध्यक्ष जितेंद्र सिंह तोमर कहते हैं, ‘महिलाओं की सेफ्टी को हमने सबसे ज्यादा गंभीरता से लिया। 4 लाख लाइट्स लगाईं, ताकि कोई डार्क प्लेस न रह जाए। ढाई लाख CCTV कैमरे लगाए। बसों में मार्शल तैनात किए, जिन्हें LG ने हटवा दिया।’

वे आगे कहते हैं, ‘दिक्कत ये है कि लॉ एंड ऑर्डर संभालने वाली पुलिस केंद्र की है। यहां की महिलाएं सोने की चेन पहनकर भी बाहर नहीं निकलती हैं। फोन छीने जा रहे हैं।‘

त्रिलोकपुरी से आम आदमी पार्टी की कैंडिडेट अंजना पारचा कहती हैं, ‘केजरीवाल हमेशा कहते हैं कि केंद्र की BJP सरकार पर दिल्ली की एक जिम्मेदारी है, ये उसे भी नहीं निभा पा रहे हैं। अगर लॉ एंड ऑर्डर नहीं संभल रहा तो हमें दे दीजिए। हम दिल्ली की हर बहन बेटी की सुरक्षा करेंगे।’

BJP: आतिशी-केजरीवाल ने कानून व्यवस्था को लेकर कब मीटिंग की

BJP के सीनियर लीडर रमेश बिधूड़ी कहते हैं, ‘दिल्ली महिलाओं के लिए सेफ है और पहले भी थी। इसे अनसेफ करने का काम केजरीवाल सरकार ने किया। अब आप कहेंगे कि पुलिस तो केंद्र के अधीन आती है, लेकिन मैं ये बात बिल्कुल नहीं मानता। राज्य की CM इस वक्त आतिशी हैं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि उन्होंने कानून व्यवस्था को लेकर DCPC, ACPC और SHO की मीटिंग कब की।’

वे आगे कहते हैं, ‘आतिशी या फिर पूर्व सीएम केजरीवाल ने कभी पुलिस से पूछा कि नशाबंदी क्यों नहीं हो रही। लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन क्यों नहीं हो रहा। अगर उन्हें पुलिस फॉलो नहीं कर रही है तो प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं की। वैसे तो हर बात को लेकर वो प्रेस में आ जाते हैं।’

त्रिलोकपुरी से BJP कैंडिडेट रविकांत उज्जैन कहते हैं, ‘जहां भी हमारी सरकार है, वहां महिलाएं सेफ हैं। केजरीवाल का विजन महिलाओं को लेकर क्लियर नहीं है। उनके घर और दफ्तर में महिलाओं को अपमानित किया जाता है।’

वे आगे कहते हैं, ‘इसीलिए हमने संकल्प पत्र में कहा है कि सरकार बनते ही सबसे पहले दिल्ली को अपराध मुक्त करेंगे। तभी हमारी महिलाएं सुरक्षित होंगी।’

कांग्रेस: केजरीवाल कहते हैं- पुलिस हमारी नहीं, BJP की जवाबदेही नहीं

कांग्रेस स्पोक्सपर्सन गौरव जैन दिल्ली के लॉ एंड ऑर्डर पर केजरीवाल सरकार और BJP दोनों को घेरते हैं। वे कहते हैं, ’कांग्रेस के वक्त कोई घटना होती थी, तो जनता के पास दिल्ली की CM को घेरने का मौका था। लोग मुख्यमंत्री से सवाल पूछ सकते थे। शीला जी ये कभी नहीं बोलती थीं कि पुलिस हमारे पास नहीं है।’

’आज कोई घटना होती है तो दिल्ली के CM से सवाल ही नहीं पूछ सकते। वे कह देते हैं कि पुलिस हमारी नहीं। वहीं, BJP भी बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन जवाबदेही उनकी भी नहीं है। फिर दिल्ली की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है।’

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