AAP जहां पैदा हुई, वो गढ़ हारी !

AAP जहां पैदा हुई, वो गढ़ हारी; पार्टी में भगदड़ मचेगी, केजरीवाल की लीडरशिप को चुनौती, क्या फिर जेल जाएंगे

आम आदमी पार्टी का जहां जन्म हुआ, जहां लगातार 2 विधानसभा चुनाव में एकतरफा जीत दर्ज की, वो ‘दिल्ली का किला’ ढहता दिख रहा है। ताजा रुझानों और नतीजों के मुताबिक दिल्ली में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनती दिख रही है।

दिल्ली हारने से अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी पर क्या असर पड़ेगा…

1. अपने गढ़ दिल्ली में हारी, तो बिखर जाएगी आम आदमी पार्टी राजनीतिक विश्लेषक दिलबर गोठी कहते हैं कि आम आदमी पार्टी का जन्म दिल्ली से हुआ है। उसका हेडक्वार्टर भी दिल्ली में है। केजरीवाल ने 2013 में 28 सीटों के साथ दिल्ली की राजनीति शुरू की थी। इसके बाद 2015 में आप ने 70 में से 67 सीटें जीतीं और 2020 में सीटों की संख्या 62 रही।

28 दिसंबर 2013 को अरविंद केजरीवाल ने पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
28 दिसंबर 2013 को अरविंद केजरीवाल ने पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

आप एक आंदोलन से निकली हुई पार्टी है। अब दिल्ली में डैमेज होने से पार्टी बिखर जाएगी। इससे जुड़े लोग पेशेवर पॉलिटिशियन नहीं हैं। सत्ता से बाहर हो जाने पर एक बड़ा वर्ग इस पार्टी को छोड़ जाएगा।

हाल ही में 10 मौजूदा विधायकों ने आप छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की है। ऐसे में जो लोग दूसरी पार्टियों से आए थे वो भी अपनी मूल पार्टी में लौट सकते हैं। दो या तीन धड़े भी पार्टी में बन सकते हैं।

2022 में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली मॉडल का प्रचार करके पंजाब का विधानसभा चुनाव जीता था। वहीं गुजरात में कई जगह पर नंबर दो पार्टी के रूप पहचान बनाई थी। दिल्ली में आप हारी तो दो साल बाद पंजाब और गुजरात में होने वाले चुनाव में भी पार्टी को नुकसान हो सकता है।

2. अरविंद केजरीवाल की इमेज पर बड़ा डेंट, पार्टी में रसूख घटेगा अन्ना आंदोलन से लेकर आम आदमी पार्टी बनने तक अरविंद केजरीवाल केंद्र में रहे हैं। पार्टी में उनकी ही चली है। जिस किसी ने केजरीवाल का विरोध किया या चुनौती दी, उसे पार्टी से बाहर होना पड़ा है। चाहे वो योगेंद्र यादव हों, प्रशांत भूषण हों या कुमार विश्वास। इस चुनाव में हार का ठीकरा केजरीवाल के सिर ही फूटेगा।

रशीद किदवई कहते हैं कि शराब घोटाले में जमानत मिलने के बाद केजरीवाल ने 15 सितंबर को इस्तीफा देते हुए कहा था कि मैं सीएम की कुर्सी पर तब तक नहीं बैठूंगा, जब तक जनता अपना निर्णय न सुना दे। अगर मैं बेईमान हूं तो मुझे वोट मत देना।

15 सितंबर को केजरीवाल ने दिल्ली के AAP ऑफिस में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते समय इस्तीफे का ऐलान किया। इस दौरान उन्होंने 'भगत सिंह की जेल डायरी' किताब भी दिखाई।
15 सितंबर को केजरीवाल ने दिल्ली के AAP ऑफिस में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते समय इस्तीफे का ऐलान किया। इस दौरान उन्होंने ‘भगत सिंह की जेल डायरी’ किताब भी दिखाई।

केजरीवाल के हारने से ये साबित हो जाएगा कि जनता ने उन्हें बेईमान मानकर खारिज कर दिया। केजरीवाल का राजनीतिक भविष्य खतरे में आ जाएगा। अब पार्टी में दबे जुबान से उनके खिलाफ बोलने वाले नेता खुलकर बोलेंगे।

3. AAP को खत्म करने में जुट जाएगी बीजेपी एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बीजेपी, कांग्रेस, समाजवादी या कम्युनिस्ट पार्टी की तरह आम आदमी पार्टी की कोई एक विचारधारा नहीं है। उसका गठन सत्ता के लिए हुआ था। पार्टी को एकजुट रहने के लिए सत्ता में रहना जरूरी है।

आप जिस तरह की राजनीति करती है, उससे बीजेपी असहज महसूस करती है। ऐसे में उसे खत्म करने के लिए बीजेपी ने पूरा जोर लगा दिया। चाहे उसके नेताओं को जेल भेजना हो या पार्टी में भगदड़ मचा देना।

4. दिल्ली चुनाव हारने के बाद जेल जा सकते हैं केजरीवाल 13 सितंबर 2024 को तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद केजरीवाल ने कहा था, ‘बीजेपी को लगा कि मुझे जेल में डालकर मेरा हौंसला तोड़ देंगे। आज मैं जेल से बाहर आ गया हूं और मेरे हौसले 100 गुना ज्यादा बढ़ गए हैं। जेल की सलाखें केजरीवाल के हौंसले को कम नहीं कर सकतीं।’

लेकिन चुनावी नतीजों ने बाजी पलट दी। दिल्ली में बीजेपी की जीत केजरीवाल के लिए किसी झटके से कम नहीं। मोदी बनाम केजरीवाल का नैरेटिव लगभग टूट चुका है। बीजेपी ने केजरीवाल तो दोबारा जेल भेजने की तैयारी शुरू कर दी।

7 जनवरी को दिल्ली LG वीके सक्सेना ने केजरीवाल के घर पर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को भेज दिया। ACB की टीम केजरीवाल, सांसद संजय सिंह और मुकेश अहलावत के घर जांच के लिए पहुंची। करीब डेढ़ घंटे तक केजरीवाल के घर में जांच की, लीगल नोटिस दिया और रवाना हो गई।

ACB की टीम केजरीवाल के घर पहुंची थी।
ACB की टीम केजरीवाल के घर पहुंची थी।

दिलबर गोठी कहते हैं कि शराब नीति घोटाले में जो केस हुए हैं, वो चलते रहेंगे। 31 जनवरी को दिल्ली के द्वारका में मोदी ने कहा था कि कि चुनाव के बाद आप के भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार होगा। अगर ऐसा होता है तो केंद्रीय जांच एजेंसियां आप नेताओं की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं, क्योंकि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, संजय सिंह, सत्येंद्र जैन सहित कई नेता घोटाले के आरोपी हैं।

AAJ KA EXP-SLIDE-07 FEB

5. AAP पंजाब बचाने में जुटेगी और गुजरात पर फोकस बढ़ाएगी दिलबर गोठी कहते हैं कि आप दिल्ली चुनाव हारने के बाद सबसे पहले अपने दूसरे गढ़ पंजाब को बचाने में जुट जाएगी। दिल्ली हारने से पंजाब के आप नेताओं का मोरल डाउन होगा। भले ही वहां बीजेपी की दो सीट हैं, लेकिन इतिहास बताता है कि बीजेपी 2 को 20 में बदल सकती है। पहले भी उसने मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ऐसा किया है।

चूंकि केजरीवाल की लीडरशिप में पार्टी चुनाव हारी है तो हो सकता है कि पार्टी का संयोजक यानी अध्यक्ष बदला जाए। हो सकता है कि केजरीवाल की मर्जी से मनीष सिसोदिया जैसे काम करने वाले नेता या संजय सिंह या सौरभ भारद्वाज जैसे मुखर नेता को संयोजक बनाया जाए।

पंजाब के बाद आप लीडरशिप के सामने गुजरात में भरोसा जमाए रखना बड़ा चैलेंज होगा। वहां पार्टी बढ़ रही है। गुजरात विधानसभा चुनाव में आप को 5 सीटें मिली थीं। वह 35 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *