A …कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाने की हो रही तैयारी… एक साथ फीस लेने पर होगी रोक ?
कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाने की हो रही तैयारी, कानून बनाएगी राजस्थान सरकार; एक साथ फीस लेने पर होगी रोक
राजस्थान सरकार कोचिंग संस्थानों और छात्रावासों पर सख्ती के लिए राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक-2025 ला रही है। इसमें झूठे विज्ञापनों पर कार्रवाई एक साथ पूरी फीस लेने पर रोक फीस वापसी और क्लास टाइम सीमित करने जैसे नियम होंगे। कोचिंग हब कोटा में आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए शिकायत पेटी हेल्पलाइन और निगरानी प्राधिकरण बनाने का भी प्रावधान किया गया है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में कोचिंग संस्थानों और छात्रावासों पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश सरकार कानून बनाएगी। इसके लिए बुधवार को विधान सभा में उप मुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा ने राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक-2025 पेश किया, जिसमें कोचिंग संस्थानों के झूठे विज्ञापनों, दावों एवं लाभप्रद प्रस्तावों के लिए दंड का प्रविधान किया गया है। अब 21 मार्च को इस पर चर्चा होगी, जिसके बाद विधेयक पारित होगा।
विधेयक के प्रविधानों के तहत कोचिंग संस्थान किसी भी पाठ्यक्रम की कोचिंग के लिए छात्रों से पूरी फीस एक साथ नहीं ले सकेंगे। कुल फीस चार किस्तों में जमा करने की सुविधा देनी होगी। अगर छात्र बीच में संस्थान छोड़ता है तो शेष अवधि की फीस 10 दिनों के भीतर वापस करनी होगी। हॉस्टल संचालकों पर भी यह लागू होगा। एक दिन में पांच घंटे से अधिक क्लास नहीं लग सकेगी।
कोचिंग संस्थानों के लिए लागू किए गए ये प्रविधान
कोचिंग संस्थानों में सप्ताह में एक दिन अवकाश रखने, शिकायत पेटी लगाने, 24 घंटे काम करने वाला कॉल सेंटर स्थापित करने को बाध्यकारी किया गया है। संस्थानों पर नियंत्रण और निगरानी के लिए प्रदेश स्तरीय प्राधिकरण बनाने का भी प्राविधान किया गया है। प्राधिकरण में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव, अध्यक्ष और 11 अन्य विभागों के सचिव व विभागाध्यक्ष सदस्य होंगे। निगरानी के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तर पर समिति बनाई जाएगी। विधेयक में कोचिंग संस्थानों के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। अगर किसी संस्थान का क्षेत्रफल प्रति छात्र न्यूनतम एक वर्ग मीटर से कम है तो उसका पंजीकरण नहीं होगा।
संस्थानों को देनी होगी जानकारी
संस्थान की अलग-अलग शाखाओं को अलग-अलग संस्थान माना जाएगा। संस्थानों को अपनी वेबसाइट पर शिक्षकों सहित सभी विषयों की जानकारी देनी होगी। कम से कम स्नात्तक पास शिक्षक रखने होंगे। तय शर्तें नहीं मानने पर संस्थान को पहली बार दो लाख एवं दूसरी बार पांच लाख रुपये का जुर्माना व पंजीकरण रद की कार्रवाई होगगी।
उल्लेखनीय है कि देश में कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध कोटा में कोचिंग करने वाले छात्र-छात्राओं की विभिन्न कारणों से आत्महत्या की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इस साल अब तक सात छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या की थी। पिछले साल ऐसा करने वालों की संख्या 17 थी।
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- कोई भी कोचिंग शुरू करना चाहेगा तो पहले उसे सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी।
- अगर घर पर भी ट्यूशन सेंटर है और 50 से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं, तो सरकार के पास रजिस्ट्रेशन कराकर अनुमति लेनी होगी।
- कोचिंग को बताना होगा कि क्या सिलेबस पढ़ाएंगे, कितने टाइम में सिलेबस कवर हो जाएगा और प्रत्येक बैच में अधिकतम कितने स्टूडेंट्स होंगे।
- सरकारी टीचर कोचिंग में नहीं पढ़ा सकेंगे।
- प्रोस्पेक्टस में कोचिंग को हर कोर्स की फीस बतानी होगी।
अगर ऐसा नहीं किया तो?
- पहली बार नियम तोड़ने पर 25 हजार रुपए जुर्माना, दूसरी गलती पर 1 लाख का जुर्माना और तीसरी गलती पर कोचिंग का रजिस्ट्रेशन रद्द।
दरअसल, कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार ने राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट्स (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल-2023 तैयार कर लिया है। विधि विभाग ने गुरुवार को इसे मंजूरी दे दी।
इस विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार विधानसभा के बजट सत्र में पेश करेगी। अगर विधानसभा में यह विधेयक पारित हो जाता है तो कोचिंग संस्थानों की मनमानी को बंद करने के लिए कानून बन जाएगा।
क्या है ये बिल और इससे जुड़ी बातें जो स्टूडेंट्स, पेरेंट्स और कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालकों को जाननी चाहिए…
नई कोचिंग शुरू करनी है तो..
ये बिल मंजूर होने के बाद कोई भी कोचिंग संस्थान बिना सरकार की अनुमति के शुरू नहीं किया जा सकेगा। वर्तमान में चल रहे सभी कोचिंग संस्थानों को भी कानून लागू होने के तीन माह के भीतर रजिस्ट्रेशन करवाकर सर्टिफिकेट लेना होगा। ऑनलाइन कोचिंग के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। 50 स्टूडेंट वाले होम ट्यूशन सेंटर भी इसके दायरे में आएंगे। उनके लिए भी रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा।
अगर किसी कोचिंग संस्थान की एक से ज्यादा ब्रांच होगी तो उसे प्रत्येक ब्रांच का अलग-अलग रजिस्ट्रेशन कराना होगा। संस्थान को यह बताना होगा कि उसके यहां क्या सिलेबस पढ़ाया जाएगा? यह भी बताना होगा कि प्रत्येक सिलेबस में अधिकतम कितने स्टूडेंट्स होंगे और कौनसा सिलेबस कितनी अवधि में पूरा कराया जाएगा। कोई भी कोचिंग संस्थान रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में बताई गई जगह से दूसरी जगह कोचिंग को बिना सरकार की लिखित अनुमति शिफ्ट नहीं कर सकेगा।
10 हजार रुपए रजिस्ट्रेशन फीस, 3 साल के लिए रजिस्ट्रेशन
सभी जिलों में डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी का गठन होगा। जो भी व्यक्ति, सोसायटी या कंपनी कोचिंग संस्थान चलाना चाहता है, उसे निर्धारित फार्मेट में दस हजार रुपए रजिस्ट्रेशन फीस के साथ डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के यहां आवेदन करना होगा। यदि कोचिंग सेंटर सभी शर्तों को पूरा करेगा तो आवेदन के 30 दिन के अंदर डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी उसे सर्टिफिकेट जारी कर देगी।
किसी भी कोचिंग संस्थान के लिए रजिस्ट्रेशन की अवधि तीन वर्ष की रहेगी। डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी की ओर से समय-समय पर कोचिंग संस्थान का निरीक्षण करके यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्धारित शर्तों का पालन हो रहा है या नहीं। अगर किसी कोचिंग संस्थान के रजिस्ट्रेशन का आवेदन अथॉरिटी की ओर से रिजेक्ट कर दिया जाएगा तो छह महीने के बाद ही नया आवेदन किया जा सकेगा।

बताना होगा-कितनी फीस लेंगे
कोचिंग संस्थानों के लिए यह जरूरी होगा कि उनके यहां जितने भी सिलेबस पढ़ाए जाएंगे उनके बारे में प्रोस्पेक्टस के जरिए खुलासा हो। प्रोस्पेक्टस में किस सिलेबस की कितनी अवधि होगी और कितनी फीस होगी, यह भी सार्वजनिक करना होगा। प्रत्येक सिलेबस के बारे में यह बताना होगा कि उसके लिए कितने टीचर हैं और उस सिलेबस के लिए कितने ग्रुप डिस्कशन होंगे।
कोचिंग में ये सुविधाएं उपलब्ध करानी अनिवार्य होगी
विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि कोचिंग संस्थानों का इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐसा हो ताकि प्रत्येक छात्र के लिए न्यूनतम एक वर्ग मीटर क्षेत्र अनिवार्य रूप से उपलब्ध हो सके। छात्रों के लिए प्रत्येक कोचिंग संस्थान द्वारा पर्याप्त फर्नीचर (बेंच/डेस्क), पर्याप्त रोशनी, पीने का पानी,टाॅयलेट, साफ-सफाई की सुविधा,अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था, तनाव प्रबंधन, परामर्शदाताओं की व्यवस्था जरूरी होगी।
एक बार कोचिंग में एडमिशन लेने के बाद अगर कोई स्टूडेंट वहां से निकलना चाहे तो फीस वापसी की स्पष्ट नीति जरूरी होगी। कोचिंग संस्थान को ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि स्टूडेंट्स और उनके परिजनों की शिकायत का तत्काल हल हो सके। कोचिंग में चिकित्सा सहायता और उपचार की सुविधा भी उपलब्ध करानी होगी। कैंटीन की सुविधा और वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा अनिवार्य होगी।
मेरिट के झूठे दावे किए तो कार्रवाई
डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोचिंग सेंटर्स पर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही या नहीं। अथॉरिटी जिला स्तर और ब्लॉक स्तर पर स्टूडेंट्स और पेरेंट्स की समस्याओं के निदान के लिए सेल गठित करेगी। कोचिंग सेंटर्स की तरफ से किए जाने वाले फर्जी विज्ञापन और एग्जाम में सलेक्टेड स्टूडेंट्स के बारे में झूठे दावों पर अथॉरिटी कार्रवाई करेगी।
अथॉरिटी स्वयं के स्तर पर या कोई शिकायत मिलने पर किसी भी कोचिंग संस्थान के किसी भी रिकॉर्ड की जांच कर सकेगी। कोचिंग संस्थान के प्रभारी या मालिक के लिए यह आवश्यक होगा कि वह निरीक्षण के दौरान सक्षम अधिकारी को मांगा गया रिकॉर्ड उपलब्ध कराएं। अथॉरिटी यह भी तय करेगी कि कोचिंग संस्थानों में ऐसी कोई गतिविधि न हो, जिसकी वजह से स्टूडेंट्स में किसी भी तरह का मानसिक तनाव हो।
30 दिन में शिकायतों का करना होगा डिस्पोजल
कोई भी स्टूडेंट या पेरेंट्स अगर कोचिंग संस्थान के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के पास शिकायत करेगा तो उसका 30 दिन के अंदर निस्तारण करना होगा। इसी तरह कोई कोचिंग इंस्टीट्यूट भी किसी स्टूडेंट या पेरेंट्स के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के पास शिकायत करेगा तो उसका निस्तारण भी 30 दिन के भीतर करना होगा।
शिकायतों की जांच या तो खुद डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी करेगी या इसके लिए वह जांच कमेटी भी बना सकेगी। जांच कमेटी एडीएम की अध्यक्षता में होगी, जिसमें पुलिस उपाधीक्षक और माध्यमिक शिक्षा का जिला शिक्षा अधिकारी सदस्य होंगे। सरकारी पीजी कॉलेज का प्रिंसिपल इसका मेंबर सेक्रेटरी होगा।
दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देने के बाद यह जांच कमेटी पेनल्टी, रजिस्ट्रेशन रद्द करने जैसी सिफारिश के साथ अपनी रिपोर्ट डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के चेयरमैन को सौंपेगी।
डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के फैसले के खिलाफ हो सकेगी अपील
डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के फैसले से असंतुष्ट होने पर कोचिंग संस्थान, स्टूडेंट या पेरेंट्स राज्य सरकार की अपीलेट अथॉरिटी में अपील कर सकेंगे। यह अपील 30 दिन के भीतर करनी होगी। अपीलेट अथॉरिटी में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव चेयरमैन होंगे। इसमें डिप्टी सेक्रेटरी, पुलिस महानिदेशक या उनके नॉमिनी, कॉलेज शिक्षा कमिश्नर, उच्च शिक्षा विभाग के वित्तीय सलाहकार और राजस्थान विधि सेवा के अफसर सदस्य होंगे। उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव इसमें मेंबर सेक्रेटरी होंगे। इस अपीलेट अथॉरिटी को दोनों पक्षों की सुनवाई करके 45 दिन के अंदर अपना फैसला सुनाना होगा। अपीलेट अथॉरिटी का फैसला अंतिम होगा।
कलेक्टर होंगे चेयरमैन, पुलिस अधीक्षक और लोकल बॉडी के अफसर सदस्य
डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी का चेयरमैन कलेक्टर होगा। पुलिस अधीक्षक और स्थानीय निकाय के मुखिया इसके सदस्य होंगे। सरकारी पीजी कॉलेज के प्रिंसिपल को सदस्य सचिव और वित्तीय सलाहकार स्तर के अकाउंट्स अफसर को अथॉरिटी में सदस्य नियुक्त किया जाएगा।
यह अथॉरिटी जिले के सभी कोचिंग सेंटर्स पर नियंत्रण रखेगी। अथॉरिटी को अपने ऑफिस में एक हेल्पलाइन भी संचालित करनी होगी ताकि कोई भी कोचिंग स्टूडेंट और पेरेंट्स अपनी शिकायत या पूछताछ के लिए संपर्क कर सकें। किसी भी तरह की जानकारी चाहने पर अथॉरिटी की तरफ से स्टूडेंट्स और पेरेंट्स को संतुष्ट जवाब देना होगा।

कोचिंग सेंटर्स अब 100% सिलेक्शन और 100% नौकरी देने का दावा नहीं कर पाएंगे। केंद्र सरकार ने बुधवार को कोचिंग सेंटर्स के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी। ऐसा भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए किया गया है।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के अनुसार कोचिंग सेंटर अब ऐसे झूठे दावे नहीं कर सकते जो उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकते हैं। सरकार ने यह फैसला कई शिकायतों के बाद किया है। अब तक कोचिंग संस्थानों को 54 नोटिस जारी किए गए। इसके अलावा 18 कोचिंग इंस्टीट्यूट्स पर करीब 54.60 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया हैं और उन्हें भ्रामक विज्ञापन वापस लेने का आदेश भी दिया गया है।
ये गाइडलाइन एकेडमिक सपोर्ट, एजुकेशन, गाइडेंस और ट्यूशन सर्विस से जुड़े सभी संस्थान, कोचिंग सेंटर्स और ऑर्गनाइजेशन पर मान्य होगी। अगर कोचिंग सेंटर्स इसका पालन नहीं करते हैं तो उन पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।

अफसर ने कहा- सरकार कोचिंग सेंटर्स के खिलाफ नहीं
कंज्यूमर अफेयर्स सेक्रेटरी निधि खरे ने कहा, ‘हमने देखा कोचिंग सेंटर्स जानबूझकर स्टूडेंट्स को लुभाने के लिए सच्चाई छिपाते हैं। यही वजह है कि हमें कोचिंग इंडस्ट्री के लिए ये गाइडलाइन लानी पड़ी। सरकार कोचिंग सेंटर्स के खिलाफ नहीं है, लेकिन किसी भी एडवर्टाइजमेंट की क्वालिटी कंज्यूमर राइट्स के खिलाफ नहीं हो सकती।’
NCH ने स्टूडेंट्स को 1.15 करोड़ रुपए की फीस रिफंड कराई
नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन यानी NCH को स्टूडेंट्स और पेरेंट्स से कई शिकायतें मिली थीं। इनमें से ज्यादातर शिकायतें एनरोलमेंट फीस रिफंड न होने की थी। इसके बाद NCH ने पीड़ित स्टूडेंट्स को करीब 1.15 करोड़ रुपए रिफंड की पहल शुरू की और मुकदमेबाजी से पहले ही इन स्टूडेंट्स को उनका रिफंड मिल गया था।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने भी जनवरी में गाइडलाइन जारी की थी
इस साल जनवरी में स्टूडेंट्स की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, क्लासेज में आग की घटनाओं और कोचिंग सेंटर्स में सुविधाओं की कमी के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने भी गाइडलाइन जारी की थी। इसके तहत कोचिंग इंस्टीट्यूट्स 16 साल से कम उम्र के बच्चों को एडमिशन नहीं दे सकेंगे। इसके अलावा भ्रामक वादे करना और अच्छे नंबरों की गारंटी देने पर भी पाबंदी लगा दी थी।
