2047 तक अमीर देश बनने की भारत की राह आसान नहीं ?

2047 तक अमीर देश बनने की भारत की राह आसान नहीं, नामुमकिन भी नहीं?
भारत ने 2047 तक अमीर देश बनने का जो सपना देखा है, उसे पूरा करना इतना आसान नहीं होगा. World Bank की रिपोर्ट कहती है कि अगर हम ‘जैसे चल रहा है वैसे ही चलते रहे’ तो सपना पूरा नहीं होगा.

वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का 2047 तक ‘अमीर’ देश बनने का सपना खतरे में है. रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि अगर भारत को 2047 तक उच्च आय वाला देश बनना है, तो उसे हर साल 7.8% की रफ्तार से विकास करना होगा. वर्ना, ‘अमीर’ भारत का सपना सिर्फ सपना ही रह जाएगा. 

लेकिन, क्या आज की हालत में यह मुमकिन है? क्या हम वाकई इतनी तेजी से विकास कर पा रहे हैं? क्या हमारी सरकारें, हमारे नेता और हम खुद, इतनी तेजी से बदलते हुए दुनिया के साथ कदम मिला पा रहे हैं? 

रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है कि जैसे चल रहा है वैसे ही चलने से काम नहीं चलेगा. हमें बिजली की रफ्तार से सुधार करने होंगे. हालांकि, साल 2000 से लेकर आज तक, हमारी अर्थव्यवस्था काफी बढ़ी है. यह असल में चार गुना बढ़ गई है और हर व्यक्ति की औसत आमदनी लगभग तीन गुना हो गई है. आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.

2047 तक अमीर देश बनने की भारत की राह आसान नहीं, नामुमकिन भी नहीं?

2047 तक ‘अमीर’ देश बनने के लिए क्या करना होगा?
भारत ने तरक्की की सीढ़ी पर तेजी से कदम बढ़ाए हैं, लेकिन ऊपर चढ़ना और भी मुश्किल होगा. 2007-08 में भारत ‘निम्न मध्यम आय वाला देश’ बना, और 2032 तक इसके ‘उच्च मध्यम आय वाला देश’ बनने की उम्मीद है. पिछले 20 सालों में भारत ने हर साल औसतन 6.7% की दर से विकास किया है, जो चीन के अलावा बाकी सभी बड़े देशों से तेज है.

रिपोर्ट कहती है कि 2047 तक अमीर देश बनने के लिए भारत की आमदनी को आज के मुकाबले 8 गुना बढ़ाना होगा. इसके लिए अगले 20 सालों तक विकास की गति को और तेज करना होगा और उसे बनाए रखना होगा. ऐसा करना बहुत मुश्किल है और कुछ ही देश ऐसा कर पाए हैं. हमें सिर्फ अभी जो काम हो रहे हैं, उन्हें जारी रखने से काम नहीं चलेगा. बल्कि, हमें और बड़े और तेज सुधार करने होंगे. अपनी नीतियों को और बेहतर बनाना होगा और उन्हें सही तरीके से लागू भी करना होगा.

2047 तक अमीर देश बनने की भारत की राह आसान नहीं, नामुमकिन भी नहीं?

ऐसा करना आसान नहीं है, लेकिन नामुमकिन भी नहीं. कुछ ही देश ऐसे हैं जो 20 साल से कम समय में ‘मध्यम आय’ से ‘उच्च आय’ वाले देश बन पाए हैं. वहीं, ब्राजील, मलेशिया, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की जैसे कई देश 20 साल से ज्यादा समय से ‘उच्च मध्यम आय’ वाले देशों में फंसे हुए हैं. वे अमीर देश नहीं बन पाए हैं.

How will India become rich country by 2047? World Bank told improvements ABPP 2047 तक अमीर देश बनने की भारत की राह आसान नहीं, नामुमकिन भी नहीं?
अमीर देश बनने के लिए भारत को अपनी अलग राह बनानी होगी

भारत को बनानी होगी अपनी राह!
अमीर देश बनने के लिए भारत को अपनी अलग राह बनानी होगी. दुनिया के जो देश अमीर बने हैं, उन्हें तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है.

  • संसाधन वाले देश: जैसे सऊदी अरब, जिनके पास तेल और गैस जैसे प्राकृतिक संसाधन बहुत हैं
  • यूरोपीय देश: जैसे पोलैंड, जिन्हें यूरोपीय संघ का साथ मिला
  • पूर्वी एशियाई देश: जैसे कोरिया, जिन्होंने दुनिया भर में अपना सामान बेचकर तरक्की की

भारत की स्थिति इन सबसे अलग है, इसलिए उसे अपनी राह खुद बनानी होगी. नए कारखाने, सड़कें, बिजली घर बनाने के लिए पैसा लगाना होगा. ज्यादा लोगों को काम पर लगाना होगा, ताकि ज्यादा उत्पादन हो. कम संसाधनों में ज्यादा सामान बनाना सीखना होगा.

पिछले 20 सालों में भारत में जो विकास हुआ है, उसकी वजह ‘बेहतर तरीके से काम करना’ और  ‘पैसा लगाना’ थी. लेकिन कोरोना महामारी से पहले ‘पैसा लगाना’ कम हो गया था और  काम करने वाले लोग भी उतना योगदान नहीं दे पा रहे थे.

2047 तक अमीर देश बनने की भारत की राह आसान नहीं, नामुमकिन भी नहीं?

दूसरे देशों ने कैसे किया?
दुनिया के जो देश तेजी से तरक्की कर रहे हैं, उन्होंने अपने काम करने के तरीके बदले. उन्होंने खेती-बाड़ी जैसे कम आमदनी वाले कामों से लोगों को हटाकर फैक्ट्री और सर्विस जैसे ज्यादा आमदनी वाले कामों में लगाया. उन्होंने शहरों का विकास किया, जहां लोगों को बेहतर काम और ज्यादा पैसे मिलते हैं. मगर, भारत में यह बदलाव बहुत धीरे हो रहा है. आज भी 45% से ज्यादा लोग खेती-बाड़ी में लगे हैं, जबकि फैक्ट्री में काम करने वालों की संख्या सिर्फ 11% है.

1995 से 2018 के बीच छोटी और मंझोली कंपनियों की उत्पादकता में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई, जबकि बड़ी कंपनियों, खासकर सर्विस सेक्टर में काफी तरक्की की. दुनिया के साथ व्यापार करने से देश की उत्पादकता बढ़ती है, लेकिन भारत आज पिछले दशक के मुकाबले कम ‘खुला’ है.

भारत की खासियत ये है कि आईटी और बीपीओ जैसी सेवाओं में काफी आगे है. भारत कई तरह के सामान दुनियाभर में बेचता है, जैसे मोबाइल फोन. लेकिन समस्या यह है कि 2012 में भारत का कुल व्यापार (आयात और निर्यात)जीडीपी का 56% था, जो अब घटकर 46% रह गया है. बाहर से आने वाले सामानों पर टैक्स ज्यादा है. टैक्स के अलावा और भी कई रुकावटें हैं, जिससे व्यापार करना मुश्किल होता है. इस वजह से भारत दुनिया भर की सप्लाई चेन में पूरी तरह से शामिल नहीं हो पा रहा है.

भारत में निवेश कम हुआ है?
किसी भी देश की तरक्की के लिए जरूरी है कि वहां लोग नए-नए कामों में पैसा लगाएं. इसे निवेश कहते हैं. लेकिन भारत में पिछले कुछ सालों में निवेश कम हुआ है. साल 2000 के आसपास निवेश काफी बढ़ा था, लेकिन बाद में यह रफ्तार कम हो गया. दुनिया के अमीर देशों ने लगातार निवेश बढ़ाया और फिर जब उनकी आमदनी एक स्तर पर पहुंच गई, तो निवेश अपने आप कम हो गया.

लेकिन भारत में ऐसा नहीं हुआ. यहां निवेश कम हो गया, जबकि आमदनी अभी भी कम है. 1990 के दशक में जब भारत में कई आर्थिक सुधार हुए थे, तब निवेश काफी बढ़ा था. लेकिन उसके बाद, खासकर जब से दुनियाभर में आर्थिक मंदी आई, तब से निवेश कम होता जा रहा है. पहले कंपनियों को कर्ज मिलने में बहुत दिक्कत होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब कंपनियों को कर्ज मिलना पहले से ज्यादा आसान हो गया है. इसलिए, अब निवेश बढ़ाने में कर्ज की कमी कोई बड़ी रुकावट नहीं है.

विदेशी निवेश: भारत में पैसा आ रहा है, पर कम!
भारत में बाहर के देशों से काफी पैसा (FDI) आ रहा है, लेकिन जितना आना चाहिए, उतना नहीं आ रहा है. पिछले 20 सालों में भारत में जितना FDI आया है, वह देश की कुल कमाई (GDP) का सिर्फ 1.6% है. जबकि वियतनाम में यह 5%, मलेशिया में 3.3%, चीन में 3.1% और अमीर देशों के समूह (OECD) में 2.8% है. 2024 में तो भारत में FDI और भी कम होकर GDP का सिर्फ 0.3% रह गया.

जबकि, पहले के मुकाबले भारत में FDI के लिए नियम काफी आसान हो गए हैं, खासकर सर्विस सेक्टर में (जैसे टीवी, मीडिया, दुकानें, फोन). लेकिन समस्या यह है कि अभी भी कुछ क्षेत्रों में FDI के लिए काफी रुकावटें हैं, जैसे वकील, अकाउंटेंट, प्रॉपर्टी और बिजनेस सेवाओं में. 

वहीं, भारत में जमीन खरीदने-बेचने में कई दिक्कतें हैं, जिससे फ़ैक्ट्रियों को नुकसान हो रहा है. 2000 के बाद से बड़ी कंपनियों के लिए जमीन लेना आसान हुआ है, लेकिन छोटी कंपनियों के लिए यह और मुश्किल हो गया है. अगर जमीन से जुड़ी समस्याएं दूर होंगी, तो भारत में और ज्यादा फैक्ट्रियां लगेंगी, इससे नौकरियां बढ़ेंगी और देश की तरक्की होगी.

2047 तक अमीर देश बनने की भारत की राह आसान नहीं, नामुमकिन भी नहीं?

भारत के पास ‘युवा शक्ति’ का खजाना, पर समय कम है!
भारत के पास युवाओं की बहुत बड़ी तादाद है, लेकिन भारत इस खजाने का पूरा फायदा नहीं उठा पा रहा है. 2000 से 2019 के बीच काम करने लायक लोगों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन काम करने वालों की संख्या कम हो गई. पहले 58% लोग काम पर जाते थे, अब सिर्फ 49% लोग ही काम पर जाते हैं.

अगले 30 सालों में युवाओं की संख्या बढ़ने की रफ्तार कम हो जाएगी. बुज़ुर्गों की संख्या बढ़ेगी, इससे काम करने वाले लोगों पर बोझ बढ़ेगा. मतलब, भारत के पास यह ‘युवा शक्ति’ का फायदा उठाने के लिए ज्यादा समय नहीं है. अगर हमने अभी कदम नहीं उठाए, तो हम यह मौका गंवा देंगे.

अच्छी नौकरियां चाहिए, सिर्फ नौकरियां नहीं!
भारत में नौकरियां तो बढ़ रही हैं लेकिन ज्यादातर ऐसी नौकरियां हैं जिनमें तनख्वाह कम होती है और काम करने की स्थिति अच्छी नहीं होती. बैंक, आईटी कंपनी और बड़े उद्योगों में नौकरियां कम बढ़ रही हैं. आज भी 45% से ज्यादा लोग खेती-बाड़ी में लगे हैं, जहां आमदनी कम होती है. छोटी कंपनियों में ज्यादातर नौकरियां अनौपचारिक होती हैं, यहां नौकरी की सुरक्षा नहीं होती और तनख्वाह भी कम होती है. 

अगर भारत में अच्छी नौकरियां बढ़ेंगी, तो लोगों की आमदनी बढ़ेगी, गरीबी कम होगी और देश तेजी से विकास करेगा.

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