एआई एक अच्छा मौका है, हम इसे गंवा नहीं सकते
पेरिस में हुई एआई एक्शन समिट में भाग लेने का मुझे भी मौका मिला था। वहां पर कई चर्चाओं में एआई को सामाजिक रूप से अधिक लाभकारी दिशा में ले जाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। हमें यह पूछकर ही शुरुआत करनी चाहिए कि मानव समाज में क्या मूल्यवान है और क्या आगे बढ़ाने लायक है।
जो चीज हम मनुष्यों को इतना खास बनाती है, वह है बड़ी और छोटी समस्याओं के समाधान तैयार करने, नई चीजों को आजमाने और इनोवेटिव प्रयासों में अर्थ खोजने की हमारी क्षमता। हमारे पास न केवल ज्ञान के निर्माण की क्षमता है, बल्कि हम उसे साझा करना भी जानते हैं। हालांकि मानव यात्रा हमेशा ही सहज नहीं रही है, हमारी क्षमताएं, मशीनें और ज्ञान हमें नुकसान भी पहुंचाते हैं, इसके बावजूद निरंतर पूछताछ और सूचनाओं का आदान-प्रदान हमारे लिए जरूरी है।
विगत दो लाख से भी ज्यादा सालों से तकनीक हमारी कहानी के केंद्र में रही है। पत्थर के औजारों से लेकर आज तक, हमने अपनी तमाम चुनौतियों के समाधान खोजे हैं। मौखिक कहानी सुनाने और लेखन के आविष्कार से लेकर प्रिंटिंग प्रेस और इंटरनेट तक, हमने ज्ञान साझा करने के नए और बेहतर तरीके विकसित किए हैं।
पिछले 200 सालों में हमने यह भी पता लगा लिया है कि बेहतर और ज्यादा स्वतंत्र रूप से प्रयोग कैसे करें। वैज्ञानिक प्रक्रिया ने हमें स्थापित तथ्य दिए हैं, जिससे प्रत्येक पीढ़ी अपने पूर्ववर्तियों की प्रगति पर और ऊंची इमारत का निर्माण कर सकी है।
इसने पिछली दो शताब्दियों में अधिकांश देशों में शानदार विकास को भी आधार बनाया। जहां आर्थिक विकास ने देशों के बीच और उनके भीतर भारी विषमता पैदा की है, वहीं लगभग हर जगह लोग आज 18वीं सदी की तुलना में ज्यादा स्वस्थ और समृद्ध हैं। एआई मानव कौशल, प्रतिभा और ज्ञान को पूरक बनाकर हमारे निर्णय लेने, प्रयोग करने और उपयोगी ज्ञान के अनुप्रयोगों में सुधार करके इसे मजबूत कर सकता है।
कुछ लोग सवाल कर सकते हैं कि क्या हमें इस उद्देश्य के लिए एआई की आवश्यकता है। आखिरकार, हम पहले से ही सूचना की प्रचुरता के युग में रह रहे हैं। हर वह चीज जो कोई चाहता है- और बहुत कुछ ऐसा भी जो कोई नहीं चाहता- आज इंटरनेट के माध्यम से सुलभ है। लेकिन उपयोगी जानकारी आज भी दुर्लभ है। किसी विशेष संदर्भ में, विशेष समय पर, एक खास समस्या हल करने के लिए आपको जो चाहिए, वो अगर आपको मिल जाए तो मेरी ओर से आपको मुबारकबाद।
यह प्रासंगिक व्यावहारिक ज्ञान ही है- न कि केवल जानकारी- जो कि कारखाने के श्रमिकों को अधिक उत्पादक बनाती है; इलेक्ट्रीशियन को नए उपकरणों को संभालने और अधिक परिष्कृत कार्य करने में सक्षम बनाती है; नर्सों को स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाली भूमिका निभाने में मदद करती है; और सभी कौशल और पृष्ठभूमि के श्रमिकों को नई और अधिक उत्पादक भूमिकाएं निभाने की सुविधा देती है।
एआई को अगर ठीक से विकसित और उपयोग किया जाए, तो वह वास्तव में हमें बेहतर बना सकता है। वह अधिक समझ के साथ सोचने और कार्य करने की हमारी क्षमता का भी विस्तार कर सकता है। लेकिन वह हमारे सामने एक गंभीर खतरा भी पैदा करता है।
संकट केवल यही नहीं है कि सुपर-इंटेलिजेंट मशीनें किसी दिन हम पर राज करने लगेंगी; बल्कि यह है कि एआई हमारी सीखने, प्रयोग करने, ज्ञान को साझा करने की क्षमता को कमजोर कर देगा। अगर यह लगातार कार्यों और नौकरियों को खत्म करता है; सूचना को अत्यधिक केंद्रीकृत करता है; परीक्षण करने व सीखने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करता है; कुछ कंपनियों को हमारे जीवन पर शासन करने का अधिकार देता है; और व्यापक असमानताओं के चलते दो-स्तरीय समाज बनाता है, तो वह हमें बहुत कमजोर कर देगा। वह लोकतंत्र और मानव सभ्यता को भी नष्ट कर सकता है।
मुझे डर है हम इसी दिशा में जा रहे हैं। लेकिन कुछ भी पहले से तय नहीं है। हम अपने समाजों को संचालित करने के लिए बेहतर तरीके रच सकते हैं, और प्रौद्योगिकी के लिए ऐसी दिशा चुन सकते हैं जो ज्ञान प्राप्ति को बढ़ावा दे और मानव समृद्धि को अधिकतम करे।
हम यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि एआई सभी के लिए अधिक अच्छी नौकरियां और बेहतर क्षमताएं पैदा करे, चाहे उनकी शिक्षा और आय का स्तर कुछ भी हो। लेकिन यह तभी होगा, जब प्रौद्योगिकीविद्, इंजीनियर और अधिकारी लोकतांत्रिक संस्थानों के साथ मिलकर काम करेंगे, और अगर अमेरिका, यूरोप, चीन के डेवलपर्स दुनिया के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों की बात सुनेंगे।
हमें विशेषज्ञों से अधिक विचारशील सलाह और राजनेताओं से अधिक प्रेरक नेतृत्व की सख्त जरूरत है। आज जरूरत है कि उनका ध्यान नीति और नियामक ढांचों के माध्यम से मानव-समर्थक एआई को प्रोत्साहित करने पर हो।