क्या हो रहा है महाराष्ट्र की राजनीति में, क्यों गिर सकती है उद्धव की सरकार?
2 दिन बाद महाराष्ट्र की महाअघाड़ी सरकार 1 साल पूरा करने वाली है. पर इस बीच महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गरम हो गई है. अटकलों का बाजार गर्म हो गया है कि क्या महाराष्ट्र मे एक बार फिर उलट फेर होने वाला है? पिछले साल 28 नवंबर को शिवसेना के नेतृत्व में कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाया था. 2019 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 288 विधानसभा सीटों में करीब 105 सीट जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी तो बन गई पर सरकार बनाने से चूक गई. जिसका दर्द बीजेपी नेताओं में रह रह कर उभरता है. इधर हाल ही में बीजेपी के कई बड़े नेताओं के जैसे बयान आए हैं उससे लगता है कि महाराष्ट्र में जरूर कोई खिचड़ी पक रही है. महाराष्ट्र के विधानसभा में पार्टियों की दलगत स्थित ऐसी है कि कभी किसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
- सोमवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस कथन के बाद मराठा राजनीति में उबाल आया हुआ है जिसमें उन्होंने कहा कि अगर महाअघाड़ी सरकार गिर जाती है तो अब शपथ ग्रहण सुबह सुबह नहीं होगा. वैसे इन सब बातों को याद नहीं रखा जाना चाहिए. फडणवीस के इस बयान को उनसे पहले बोले गए बीजेपी के अन्य नेताओं के बयान से जोड़कर देखा जाने लगा है.
- केंद्रीय मंत्री राव साहब दानवे ने हाल ही विधान परिषद के चुनाव में औरंगाबाद में स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्य़ाशी का प्रचार करते हुए कार्यकर्ताओं से कहा कि महाराष्ट्र में जल्द ही बीजेपी की सरकार बनने वाली है. कैसे बनेगी इसका उत्तर उन्होंने सरकार बनने के बाद देने को कहा था.
- इन दोनों नेताओं से पहले बीजेपी के सांसद प्रताप सिंह राणे भी महाराष्ट्र की उद्धव सरकार की डेडलाइन घोषित कर चुके हैं. उन्होंने कुछ दिन पहले सरकार में शामिल तीनों पार्टियों के बीच आपसी अविश्वास को आधार बताते हुए कहा था यह सरकार एक साल पूरा करने के पहले गिर जाएगी और 30 नवंबर तक बीजेपी के नेतृत्व मे नई सरकार बन जाएगी.
वर्तमान राजनीतिक परिवेश को देखकर ऐसा नहीं लगता कि बीजेपी महाराष्ट्र सरकार गिराने की हड़बड़ी में है. पर अगर ऐसा नहीं है तो क्या कारण हैं कि बीजेपी के नेताओं के बयान आए दिन ऐसे संकेत देर रहे हैं?
दरअसल 2019 के चुनावों में न केवल बीजेपी को अपने सहय़ोगी पार्टी शिवसेना से धोखा मिला बल्कि बीजेपी अजित पवार से मिले धोखे को भी भूल नहीं पाई है. बीजेपी या कोई भी पार्टी कभी नहीं चाहती उसके काडर में यह बात पहुंचे कि उसका नेतृत्व कमजोर पड़ गया किसी नेता या दल के मुकाबले में. बीजेपी को महाराष्ट्र की राजनीति में अगर सबसे बड़ी पार्टी की भूमिका में बने रहना है तो या तो वो महाराष्ट्र में सरकार बनाए या अपने समर्थकों के बीच जल्द ही सरकार बना लेंगे का भ्रम बनाए रखना होगा.
25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ राज्यों को केंद्र की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं और परियोजनाओं को लागू न करने के लिए आडे़ हाथों लिया. महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन परियोजना पर कोई काम नहीं होना बीजेपी नेतृत्व और वोटर्स के लिए कहीं से भी ठीक नहीं रहेगा. बीजेपी को अगले आम चुनाव में बुलेट ट्रेन की उपलब्धि देश के सामने रखना है. इस दिशा में जहां गुजरात में बहुत तेजी से काम हो रहा है वहीं महाराष्ट्र में काम करीब करीब रुक सा गया है. गुजरात में बुलेट ट्रेन ट्रैक के लिए जहां जमीन अधिग्रहण खत्म होने के कगार पर है महाराष्ट्र में केवल 25 परसेंट ही हुआ है. महाराष्ट्र में अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट और केंद्र की अन्य परियोजनाओं का क्रियान्वयन भी ठीक से हो सकेगा.
बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 288 विधानसभा सदस्य वाली विधानसभा में कम से कम 145 विधायकों की जरूरत होगी. अभी बीजेपी के पास केवल 105 सदस्य हैं. बीजेपी के पास आरएसपी के 1, जेएसएस के 1 और निर्दलीय 7 विधायक शामिल हैं इस तरह बीजेपी के पास 114 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. इस तरह पार्टी को सरकार बनाने के लिए ज्यादे की जरूरत नहीं है. शिवसेना के (57), एनसीपी (54) , कांग्रेस के (44) विधायकों में कोई भी टूटता है तो बीजेपी के लिए जादुई आंकड़ा जुटाना मुश्किल नहीं है. पर महाराष्ट्र में और राजस्थान में हाथ जलाने के बाद बीजेपी कोई भी कदम उठाने से पहले फूंक फूंक कर कदम रख रही है.