सरकारी कंपनियां, बैंक, बीमा, एयरपोर्ट, बंदरगाह सब बेच देंगे’, बजट को लेकर कमलनाथ का तंज
कमलनाथ (Kamalnath) ने बजट (Budget) को लेकर लिखा है, “70 साल में जनता की कमाई से देश ने जो संस्थान बनाए थे, सब बिक रहे हैं. सरकारी कंपनियां बेचेंगे, सरकारी बैंक बेचेंगे, बीमा कंपनियां बेचेंगे, एयरपोर्ट, बंदरगाह, बिजली प्राइवेट हाथों को देंगे.
देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को संसद में वित्त वर्ष 2021-22 का बजट (Budget 2021) पेश कर दिया है, जिसमें कई सेक्टर्स के लिए अहम घोषणाएं की गई हैं. बजट पेश होने के बाद कांग्रेस नेता और अन्य विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Kamalnath) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट पर बड़ा तंज कसा है. उन्होंने कहा कि यह बजट है या देश को बेचने की स्कीम.
कमलनाथ ने बजट को लेकर प्रकाशित हुई खबरों को लेकर ट्वीट करते हुए लिखा है, “70 साल में जनता की गाढ़ी कमाई से देश ने जो संस्थान बनाए थे, सब बिक रहे हैं. सरकारी कंपनियां बेचेंगे, सरकारी बैंक बेचेंगे, बीमा कंपनियां बेचेंगे, एयरपोर्ट, बंदरगाह, बिजली प्राइवेट हाथों को देंगे और गैस भी प्राइवेट कंपनियों के पास चली जाएगी, यह बजट है या देश को बेचने की स्कीम?” उन्होंने कहा कि धनराशि जुटाने के लिए सरकार PSU (Public Sector Undertaking) में अपनी हिस्सेदारी बेचेगी.
राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर लगाया यह आरोप
बजट 2021 पर अलग-अलग सेक्टर और एक्सपर्ट्स अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. साथ में ये भी बता रहे हैं कि किस सेक्टर को फायदा होगा, या किसे नुकसान और आगे जाकर कैसे अवसर पैदा होंगे. लेकिन बजट पेश होते ही कांग्रेस (Congress) लगातार इसे देश को प्राइवेट कंपनियों के हाथों बेचने की स्कीम बताने में लगी है. इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आरोप लगाते हुए कहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भारत की संपत्ति को अपने कुछ पूंजीपति दोस्तों को सौंपना चाहती है.
बजट के रूप में किसानों से लिया बदला : चिदंबरम
वहीं, कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम (P. Chidambaram) ने कहा कि ‘वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का सोमवार को पेश किया गया बजट लोगों के साथ धोखा है. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने भारत के लोगों को धोखा दिया है, विशेष रूप से गरीबों, मजदूर वर्ग, प्रवासियों और किसानों को धोखा दिया है और औद्योगिक इकाइयों (Industrial Units) को स्थायी रूप से बंद कर दिया है. यह उन हजारों किसानों के खिलाफ एक बदला लेने वाला काम है, जिन्होंने इतिहास की सबसे लंबी ट्रैक्टर रैली निकाली.