जीवाजी विवि के FIR दर्ज कराने से हड़कंप, ईमानदार जांच हुई तो कई फंसेंगे, B.Sc. Nursing Exam Scandal
मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित जीवाजी विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक मुकदमा दर्ज कराया है. यह मुकदमा साल 2019 में हुए B.Sc. Nursing Exam घोटाले के संबंध में है. यूनिवर्सिटी कुलपति के सचिव द्वारा यह मुकदमा बुधवार को विवि थाने में दर्ज कराया गया. मुकदमा दर्ज कराये जाने के बाद से घोटाले से जुड़े संदिग्धों में हड़कंप मचा हुआ है. कहा जा रहा है कि अगर पुलिस ने मामले की ईमानदार जांच कर दी, तो इस घोटाले में यूनिवर्सिटी के अंदर और बाहर के तमाम लोग फंसेंगे. यह मुकदमा विवि द्वारा कराई गयी आंतरिक जांच रिपोर्ट के बाद दर्ज कराया गया है. मामला साल 2019 में बीएससी नर्सिंग चतुर्थ वर्ष के टेबुलेशन चार्ट में अदला-बदली का है.
ग्वालियर विवि थाना पुलिस द्वारा दर्ज किये गये मुकदमे के मुताबिक, “धोखेबाजों ने टेबुलेशन चार्ट बदलकर असली की जगह नकली चार्ट दाखिल कर दिये थे. जब इसकी भनक विवि प्रशासन को लगी तो उसने गोपनीय आंतरिक जांच बैठा दी. जांच में कई तथ्य सही पाये जाने पर, बात थाने-चौकी तक पहुंची है. ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. साथ ही पूरे मामले में बदनामी से विवि प्रशासन की भी खाल बच सके. फिलहाल यूनिवर्सिटी कुलपति के सचिव जगपाल सिंह ने इस बाबत शिकायत थाने में दर्ज करायी है.”
टुबेलेशन चार्ट में पाई गई संदिग्धता
दर्ज शिकायत के मुताबिक, बीते साल यानि साल 2020 के नवंबर महीने में जीवाजी विवि में बीएससी चतुर्थ वर्ष के 2019 के टुबेलेशन चार्ट की Soft Copy और Hard Copy में संदिग्धता पाई गयी थी. मामला संज्ञान में आते ही विवि ने पहले निकाली जा चुकी मार्कशीट्स को रद्द कर दिया. साथ ही पूरे मामले से Indian Nursing Council को भी अवगत करा दिया. ताकि बाद में किसी जिम्मेदारी या फिर इस घोटाले का ठीकरा इंडियन नर्सिंग काउंसिल द्वारा, जीवाजी विवि के सिर न फोड़ दिया जाये.
अपनों ने ही करा डाला बंटाधार
सूत्रों के मुताबिक, इस घोटाले की आंतरिक जांच के दौरान यूनिवर्सिटी को अपने जिन कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध लगी, उनमें से चार को सस्पेंड भी कर दिया था. मामले की जांच के लिए एक विशेष तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन भी विवि प्रशासन द्वारा उसी वक्त कर दिया गया था. इस घोटाले की जांच के बाबत विवि ने Higher Education Department को भी लिखा था. ताकि अगर आईंदा कहीं भी किसी भी स्तर पर जांच हो, तो उसमें कहीं किसी भी तरह से जिम्मेदार के बतौर जीवाजी विवि की गर्दन न फंसने पाये. जब तीन सदस्यीय समिति ने जांच की तो उसमें तमाम खामियां मौजूद मिली थीं. जांच रिपोर्ट में बताया गया था कि, टेबुलेशन चार्ट बदले गये हैं. जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में विवि कर्मचारियों के साथ-साथ बाहरी लोगों की संलिप्तता की भी आशंका साफ-साफ जताई थी.
अपनी गर्दन बचाने को दर्ज करायी FIR!
लिहाजा कई महीने इस रिपोर्ट पर माथा-पच्ची करने के बाद विवि प्रशासन को खुद की गर्दन बचाने का जब कोई रास्ता नजर नहीं आया, तो उसने कानून का सहारा लेने में ही भलाई समझी. लिहाजा बुधवार को मामला विवि थाने में पहुंच गया. ग्वालियर पुलिस के एक उच्च पदस्थ सूत्र के मुताबिक, “शिकायत कुछ दिन पहले आयी थी. शिकायत में दर्ज तथ्यों की पुष्टि की जा रही थी. जब शिकायत में और उसके साथ लगाये गये दस्तावेजों में दम नजर आया तो, आईपीसी की धारा 429 (धोखाधड़ी) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.”
‘काफी पहले दर्ज हो जाना चाहिए था मुकदमा’
उधर जीवाजी विवि सूत्रों ने बताया, “दरअसल यह मुकदमा काफी पहले ही दर्ज हो जाना चाहिए था. जांच रिपोर्ट मिलने के बाद भी विवि प्रशासन कथित रुप से इस उम्मीद में था कि शायद घर का घपला घर में ही निपटा लिया जाये. विवि के कानूनी सलाहकारों ने मगर जब हाथ खड़े कर दिये. विवि को कानूनी सलाहकारों ने सीधे-सीधे मुकदमा दर्ज करा देने में ही भलाई की सीख दी. तो उसके बाद मुकदमा दर्ज कराने के अलावा विवि प्रशासन के पास और दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा था.”