संसद की स्टैंडिंग कमिटी ने OTT, सोशल मीडिया के नए नियमों की वैधानिकता पर खड़े किए सवाल

केंद्र सरकार ने पिछले महीने वॉट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर, नेटफ्लिक्स, यूट्यूब और अमेजन प्राइम वीडियो जैसे प्लेटफॉर्म के लिए इंटरमीडियरी गाइडलाइन और डिजिटल मीडिया आचार संहिता की घोषणा की थी.

सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति (Standing Committee) के कुछ सदस्यों ने ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के रेगुलेशन के लिए सरकार द्वारा तय किए गए नए नियमों पर सवाल उठाए. इस समिति के अध्यक्ष कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद शशि थरूर हैं. सोमवार को संसदीय समिति के सामने सूचना और प्रसारण मंत्रालय तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी पेश हुए.

संसदीय समिति के सूत्रों ने कहा कि कुछ सदस्यों और अध्यक्ष ने अधिकारियों से कई सवाल पूछे, जिनमें यह भी पूछा गया कि क्या नियम कानूनी ढांचे के अनुरूप है. समिति में अलग-अलग दलों के सांसदों ने अधिकारियों से पूछा कि नियामक व्यवस्था में केवल नौकरशाह ही क्यों हैं और सिविल सोसायटी, न्यायपालिका तथा पेशेवर लोगों का प्रतिनिधित्व क्यों नहीं है. समिति के सदस्यों को सरकारी अधिकारियों ने इस तरह के नियमों की जरूरत और इसे लाने के बारे में तर्क पेश किए.

सोशल मीडिया और स्ट्रीमिंग कंपनियों के लिए नियम कड़े करते हुए केंद्र सरकार ने पिछले महीने वॉट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर, नेटफ्लिक्स, यूट्यूब और अमेजन प्राइम वीडियो जैसे प्लेटफॉर्म के लिए इंटरमीडियरी गाइडलाइन और डिजिटल मीडिया आचार संहिता की घोषणा की थी.

अश्लील कंटेंट को शिकायत के 24 घंटे के भीतर हटाना होगा

इन नए नियमों के तहत प्लेटफॉर्म्स को नग्नता, अश्लील हरकत और तस्वीरों से छेड़छाड़ जैसी सामग्री को शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर हटाना होगा. साथ ही शिकायतों से निपटने के लिए एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होगा और इस अधिकारी को 24 घंटे के अंदर शिकायत स्वीकार करनी होगी और 15 दिनों के अंदर उसका निवारण करना होगा.

किसी भी प्लेटफॉर्म को अदालती या सरकारी आदेश मिलने के बाद किसी ऐसे कार्यक्रम की मेजबानी या प्रकाशन नहीं करना चाहिए जो भारत की संप्रभुता या जन व्यवस्था के हित में प्रतिबंधित किया गया हो. वहीं यूजर्स की संख्या के आधार पर सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म्स की दो श्रेणियां- सोशल मीडिया इंटरमीडियरी और अहम सोशल मीडिया इंटरमीडियरी (प्लेटफॉर्म) बनाई गई हैं.

सरकार ने कहा था कि अहम सोशल मीडिया इंटरमीडियरी के निर्धारण के लिए यूजर्स की संख्या सीमा जल्द घोषित की जाएगी. अहम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अतिरिक्त उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा. जिसमें उन्हें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल संपर्क व्यक्ति, स्थानीय शिकायत अधिकारी नियुक्त करना होगा. इन तीनों अधिकारियों को भारत में ही रहना होगा.

नए नियमों के तहत हर महीने जारी करनी होगी रिपोर्ट

इसके अलावा इन प्लेटफॉर्म्स को मिलने वाली शिकायतों, उनपर की गई कार्रवाई और सक्रियता से हटाई गई सामग्री पर हर महीने अनुपालन रिपोर्ट जारी करनी होगी. इन्हें अपनी वेबसाइट या मोबाइल ऐप या दोनों पर भारत में अपने भौतिक पते का प्रकाशन करना होगा. नए नियमों के तहत मैसेजिंग प्लेटफॉर्म से कहा गया है कि उन्हें सूचना की शुरुआत करने वाले प्रथम व्यक्ति की पहचान का खुलासा करना होगा जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और लोक व्यवस्था को कमतर करती हो. इंटरमीडियरी को मैसेज की सामग्री का खुलासा करने की जरूरत नहीं होगी.

जो यूजर्स अपने अकाउंट का खुद से वेरिफिकेशन कराना चाहते हैं, उन्हें ऐसा करने की व्यवस्था मिलनी चाहिए. यदि सोशल मीडिया अपने आप ही सामग्री हटाता है तो उसे यूजर्स को उसकी पूर्व सूचना देना होगा और उसका कारण बताना होगा. यूजर्स को इंटरमीडियरी द्वारा की कार्रवाई पर सवाल उठाने का मौका दिया जाना चाहिए.

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