MP में शराब ठेके का लाइसेंस महंगा:लाइसेंस फीस 5% से बढ़ाकर 10% की, 10 माह के लिए दिए जाएंगे ठेके, अब देशी शराब की 90ML की बोतल भी मिलेगी

  • शिवराज कैबिनेट की बैठक में लिया गया फैसला
  • पहले 180 एमएल से कम की नहीं हो सकती थी बिक्री

अब मध्यप्रदेश में शराब ठेके का लाइसेंस महंगा कर दिया गया है। अब लाइसेंस फीस 5 % से बढ़ाकर 10 % कर दी गई है। शराब दुकानों के अगले ठेके 10 महीनों के लिए बढ़ी हुई दर से ही दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में शुक्रवार शाम हुई कैबिनेट की बैठक में वाणिज्यिक कर विभाग के प्रस्ताव काे मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा अब लोगों को देशी शराब की छोटी 90 एमएल की बोतल भी उपलब्ध होगी। सरकार ने यह निर्णय जहरीली शराब की बिक्री रोकने के लिए लिया है। अभी तक 180 ML से कम शराब की बिक्री नहीं हो सकती थी। हालांकि शराब की खुदरा कीमतें सरकार तय करती है। माना जा रहा है कि आम आदमी की जेब पर इसका असर नहीं पड़ेगा।

काेरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने इस बार ऐसी आबकारी नीति लागू की है, जिसमें आमदनी अधिक हो और ठेकेदारों पर बोझ न पड़े। यही वजह है, जिन ठेकेदारों के पास शराब दुकानों को के ठेके हैं, उन्हें लाइसेंस फीस में 10% की वृद्धि कर अगले 10 महीनों के लिए ठेके देने का निर्णय लिया है। जिन जिलों में ठेकेदार 10% की वृद्धि से सहमत नहीं होंगे, वहां छोटे-छोटे ग्रुप में टेंडर कराए जाएंगे।

11 मई को पिछली बैठक में लाइसेंस फीस 5% बढ़ाने का प्रस्ताव था, लेकिन गृह मंत्री ने यह तर्क देकर विरोध किया था कि शराब से कारोबारी खूब कमाते हैं, इसलिए लाइसेंस फीस ज्यादा बढ़ाई जाना चाहिए। इस पर मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को टाल दिया था। वाणिज्यिक कर विभाग के एक अफसर ने बताया कि चूंकि प्रदेश में कोरोना महामारी के चलते शराब की दुकानें 10 अप्रैल से बंद हैं।

अभी जल्दी खुलने की संभावना भी कम है। ऐसे में मौजूदा हालातों और कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए नई नीति लागू करने के बजाय वर्तमान लाइसेंस फीस में 5% की वृद्धि करने का प्रस्ताव स्वीकृति के लिए कैबिनेट में भेजा गया। जिसे टाल दिया गया था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 10% करने का प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा गया, जिसे मंजूरी दे दी गई है।

बड़े ठेकेदार तैयार नहीं
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि 10% लाइसेंस फीस बढ़ाकर बड़े ठेकेदार तैयार नहीं है। उनका कहना है कि शादी-ब्याह का सीजन निकल चुका है। अब शेष 10 महीने के लिए 10% फीस बढ़ाना न्यायोचित नहीं है। बता दें कि प्रदेश में शराब की नई नीति 1 अप्रैल से लागू होना थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते वर्तमान ठेकेदारों को लाइसेंस फीस में 5% की वृद्धि कर इसे 31 मई तक के लिए लागू किया गया था।

पिछले साल हुआ 2500 करोड़ का नुकसान
पिछले साल कोरोना के चलते सरकार को शराब से करीब 2500 करोड़ का नुकसान हो चुका है। इसकी एक वजह यह भी है कि पिछले साल अप्रैल में टोटल लॉकडाउन के कारण शराब दुकानें बंद रही। इसके बाद मई में ठेकेदारों ने दुकानें खोलने से इंकार कर दिया था, क्योंकि टेंडर के समय तय दुकान खुलने का समय कम कर दिया गया था। इस पर जून माह में आबकारी विभाग ने शराब दुकानें खोली थी। इसमें सरकार को 2500 करोड़ राजस्व घाटा हुआ था।

5% वृद्धि से 450 करोड़ की आय
विभाग के सूत्रों ने बताया कि लाइसेंस फीस 5% बढ़ाई जाती है तो सरकार को करीब 450 करोड़ रुपए की आय बढ़ जाएगी। सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए शराब की ऑन लाइन बिक्री को नया जरिया बनाने की तैयारी में है। इसका भी ठेकेदार विरोध कर रहे हैं।

21% की दर से बढ़ रही शराब की खपत
प्रदेश में साल दर साल शराब की खपत बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2002-03 में 7 करोड़ 40 लाख लीटर शराब की खपत थी। यह वर्ष 2019-20 में बढ़ कर 32 करोड़ 20 लाख लीटर हो गई। खपत औसतन 21 % की दर सालाना बढ़ रही है। सरकार का अनुमान है कि शराब के रेट में कम वृद्धि होने से खपत बढ़ेगी।

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